क्या आप जानते हैं कि वे कौन लोग होते हैं जिन्हें ब्रह्मांड की शक्तियाँ अपने होने का एहसास कराने की कोशिश करती हैं या उनसे संपर्क करने का प्रयास करती हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रह्मांड की शक्तियाँ आपसे संपर्क करना चाहती हैं। आप माने या न माने, लेकिन ब्रह्मांड में कुछ ऊर्जा ऐसी भी होती हैं जो आपसे संपर्क करने की कोशिश करती हैं। यह वह ऊर्जा या शक्तियाँ होती हैं जिससे आप जान सकते हैं कि आपका आने वाला कल अच्छा होगा या नहीं, और यह शक्तियाँ आपको सावधान करने की भी कोशिश करती हैं।
ब्रह्मांड की ये विशिष्ट ऊर्जा समय-समय पर कुछ खास संकेत देती हैं। यदि आपके जीवन में बाधाएँ अचानक बढ़ने लगी हैं और आपको समझ नहीं आ रहा कि रास्ता कहाँ बंद हो गया है, तो समझ लीजिए कि ईश्वर या ब्रह्मांड की वह शक्ति आपसे संपर्क साधने की कोशिश कर रही है। आध्यात्म और ध्यान की शरण में जाकर ही आप उनके द्वारा दी जाने वाली जानकारी को ग्रहण कर सकते हैं।
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कभी-कभी हम एक ही रास्ते को चुनने और उस पर चलने के लिए बाध्य हो जाते हैं। हम चाहते हुए भी एक ही दिशा की ओर बहकते चले जाते हैं। यह भी ब्रह्मांडीय ऊर्जा द्वारा दिए जाने वाला एक संकेत होता है ताकि आप अपने जीवन के उद्देश्य को समझें और सही मार्ग पर अग्रसर रहें। इस दुनिया में संयोग जैसा कुछ नहीं होता। जो भी होता है, उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है।
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कई बार हम किसी यात्रा पर जाने की तैयारी करते हैं, लेकिन अंत में मन नहीं बनता और हम अपना प्रोग्राम कैंसिल कर देते हैं। फिर अचानक पता चलता है कि जिस जगह हमें जाना था वहाँ कोई दुर्घटना हो गई। अगर हम भी वहाँ जाते तो हम भी उस दुर्घटना का शिकार हो सकते थे। यह कोई संयोग नहीं है; इसके पीछे उन शक्तियों का कमाल होता है जिसने आपके मस्तिष्क में घूमने के प्लान को कैंसिल करने के लिए बाध्य किया।
कभी-कभी अचानक हमें अजीब सा महसूस होता है। हम कहीं भी शांति से नहीं बैठ पाते, हमारा दिमाग अशांत रहता है, और हमारे मस्तिष्क में अनेकों विचार चलते रहते हैं। हम खुश होते हुए भी खुश नहीं होते हैं। अगर यह सब आपके साथ भी होता है, तो समझिए कुछ विशेष शक्तियाँ आपसे संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं।
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जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कई बार हमें असीम खुशी मिलती है, और कई बार गहरी काली रात के समान दुख आता है। नकारात्मक सोच जब हावी हो जाती है, तब हम न अपने आप पर, न दूसरे लोगों पर, और न ही ब्रह्मांड की शक्ति पर विश्वास रखते हैं। डर, चिंता, क्रोध और निराशा हमें घेर लेती है। ऐसे समय में सबसे पहले हमें विश्वास रखना चाहिए कि जब हम बिल्कुल लाचार महसूस कर रहे थे और हमें कहीं से मदद मिल गई, तो यह ईश्वर का ही काम था। हमें यह विश्वास बनाना चाहिए कि ईश्वर हमेशा हमारे साथ है और वह सहायता अवश्य करेगा।
अगर यह विश्वास पक्का हो जाए, तो मदद जरूर मिलेगी। हमें सदा ईश्वर को याद रखते हुए खुद का आत्म-समर्पण कर देना चाहिए। यह प्रार्थना करनी चाहिए कि जो हमारे लिए सबसे कल्याणकारी हो, ईश्वर वही करें। और यह विश्वास रखना चाहिए कि ईश्वर की मर्जी में ही हमारा हित है।
ब्रह्मांड के पास देने के लिए अनंत चीजें हैं। उन अनंत चीजों में से आपके लिए क्या सही है, यह ब्रह्मांड को ही तय करने दें। आप प्रकृति या ब्रह्मांड को अपना दिशा-निर्देश करने दें। जो काम आपके पास है, उसे ईमानदारी से करते रहें। सही समय आने पर आपको भी यह महान ब्रह्मांड पुरस्कृत करेगा।
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इसे समझने के लिए हमें लॉ ऑफ यूनिवर्स को समझना होगा। एक बार जब आप इन नियमों के हर पहलू को अच्छी तरह से समझ जाएंगे और अपने दिमाग में बिना किसी त्रुटि के डिकोड कर लेंगे, तो अवश्य ही आप सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगेंगे। ध्यान रहे कि इस पूरी प्रक्रिया में बदले की भावना का तिरस्कार करें। ब्रह्मांड के पास आपको देने के लिए वाकई उपहार है, और वह उपहार आपको देने के लिए बिल्कुल तैयार है। बस आपको उस उपहार तक पहुंचने के लिए अपनी ऊर्जा को सही तरीके से संचालित करना है। जब आप तैयार होंगे, तब आपका हक आपको सौंप दिया जाएगा।
इस ऊर्जा को सही तरीके से कैसे संचालित किया जाता है? जब आप ऊर्जा को संचालित करना नहीं सीखेंगे, तो आप स्वयं को माया जाल में घिरा हुआ पाएंगे। यह माया आपको आपके मूल स्थान से, यानी कि आपकी ऊर्जा को निर्धारित स्थान तक पहुंचने से रोकेगी और आपको भटका देगी। यह माया दरअसल आपके मन के विचार हैं जो आपकी ऊर्जा को अवरोधित करती हैं। फिर भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि लॉ ऑफ यूनिवर्स आपको यह सीखने में मदद करेगा कि आप कैसे खुद को माया जाल से ऊपर उठा सकते हैं और अपनी ऊर्जा को सही तरह से संचालित करते हुए ब्रह्मांड से जुड़कर अपने लिए मनचाहा उपहार पा सकते हैं।
दिव्य एकता का नियम
दिव्य एकता का नियम एक मनुष्य को हर उस चीज से जोड़ता है जो कि भौतिक और आध्यात्मिक है। सरल शब्दों में समझें, तो आप जो भी क्रिया करते हैं, उसका इस ब्रह्मांड पर भी असर होता है, और उस क्रिया के अनुरूप यह ब्रह्मांड आपको परिणाम देता है। जब यह ब्रह्मांड या आप इस ब्रह्मांड से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं, तो फिर भी आपको सफलता क्यों नहीं मिल रही, इस बात को स्पष्ट करना जरूरी है।
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यह ब्रह्मांड आपके मन और शरीर के अनुरूप प्रतिक्रिया करता है। आपको स्वतः इस ब्रह्मांड से उपहार प्राप्त नहीं होंगे। इसके लिए आपको त्याग करना होगा। ब्रह्मांड को सकारात्मक त्याग सबसे ज्यादा पसंद आता है। आइए इसे समझते हैं। दिव्य एकता के नियम से आप इस ब्रह्मांड से जुड़े हुए हैं, यानी कि कोई है जो निरंतर आपके द्वारा किए जा रहे सभी कामों की निगरानी कर रहा है।
अगर आप अपने दिन का बड़ा समय बेकार के कामों में लगाते हैं, अर्थात आपका ज्यादातर समय अनउत्पादक (unproductive) है, तो यह बात आपके आसपास वाले ना जान पाएं परंतु यह ब्रह्मांड आपके सभी कामों का लेखाजोखा तैयार करने में निरंतर लगा हुआ है।
अगर आप ज्यादा समय नष्ट करते हैं और आप आलसी हैं, तो यह ब्रह्मांड आपको पहले से भी ज्यादा आलसी बना देगा और समय नष्ट करने में आप महारत हासिल कर लेंगे। आपको समय नष्ट करने के अनेक कारण मिलेंगे और आपके मन में छुपी माया उसे अच्छी तरह से ग्रहण करके आपकी सफलता की सीढ़ी तक पहुंचने के मार्ग को बदल देगा। आप गलत रास्ते पर निकल पड़ेंगे और अलग-अलग कामों में सफलता पाने की चाह में भटकते रहेंगे।
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सफलता हासिल करने के लिए आपको वह करना चाहिए जिसके लिए आप बने हैं। आपकी जिस भी कार्य में रुचि है, आप इस ब्रह्मांड को सबसे ज्यादा वही कार्य करके दिखाइए। समय के साथ जब यह ब्रह्मांड इस बात को जान लेगा कि आप अपने कार्य में ज्यादा मन लगा रहे हैं, तो यह स्वतः आपके आलस को कम करना शुरू कर देगा, जिससे आपको पहले से ज्यादा अपने काम में मन लगना शुरू हो जाएगा।
इस दौरान संभव है कि कर्मा के नियम के अनुसार यह ब्रह्मांड आपकी परीक्षा ले। आप कई तरह से परेशान हो सकते हैं, परंतु वे परेशानियां इसलिए आपके जीवन में आईं क्योंकि आपने अतीत में कुछ गलत किया था; समय नष्ट करना भी उन्हीं गलतियों का हिस्सा है।
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कंपन का नियम
कंपन का नियम यह बतलाता है कि ऐसा कई बार होता है जब हम उत्साहित होते हैं या खुश होते हैं, तो आसपास का माहौल प्राकृतिक तरीके से खुशनुमा बन जाता है। और इसके विपरीत भी वही होता है, जब हम उदास होते हैं या तनाव में होते हैं, तो माहौल भी उदासी का बन जाता है। तनाव में होने के कारण चीजें क्रमहीन और जटिल होने लगती हैं, और हमारा दिमाग क्रोध एवं गलतफहमी का शिकार हो जाता है। खुश रहना एक कला नहीं बल्कि एक कार्य है, जिसका प्रयास मनुष्यों को दिनभर करते रहना चाहिए। उन साधनों का पता लगाना अनिवार्य है जिससे खुशी मिलती है।
कोशिश करें कि जो वस्तु आपको सबसे ज्यादा खुशी दे रही है वह भौतिक ना होकर आध्यात्मिक हो। आध्यात्मिक खुशी लंबे समय तक बनी रहती है और कई अनचाही और अनदेखी आने वाली समस्याओं को दूर करने के काम आती है। खुश रहने का प्रयास करने से और भी अनेक तरह की खुशियां आकर्षित होती हैं।
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इस तरह से आपका ब्रह्मांड के साथ रिश्ता और गहरा होता चला जाएगा। खुशी एक खास कंपन पैदा करती है, और बेवजह भी खुश रहने का प्रयास करने से आप अपनी ओर से नकारात्मकता का सफाया कर देते हैं। जब आप खुश होते हैं, तो आप इस ब्रह्मांड से लॉ ऑफ अट्रैक्शन के नियमों के तहत और ज्यादा खुशी पाते हैं। इस तरह से आप पहले से भी ज्यादा प्राक्टिव (proactive) बन जाते हैं। इसे अपनी जिंदगी में लागू करने से आप ब्रह्मांड से सफल होने का आशीर्वाद पा सकते हैं।
कर्म के नियम
कर्म के नियम से यह पूरी सृष्टि बंधी है। कर्म के नियम आपको हर वह काम करने की अनुमति देता है जो एक इंसान को सफल बना दे, मगर ध्यान दें कि आपने इसके लिए गलत मार्ग चुना तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको उसका परिणाम झेलना पड़ेगा। वैसे यह ब्रह्मांड चाहता है कि आप अपनी मेहनत से जो चाहे वह हासिल कर लें। मेहनत ब्रह्मांड द्वारा दिया गया अनमोल उपहार है, जिसे प्राप्त करने के लिए आपको आलस को हराना होगा।
लगातार वह कर्म करते रहिए जिसमें आपको सफलता चाहिए। आप उस काम में पूंजी के रूप में समय और मेहनत लगाइए, यह ब्रह्मांड आपके उस कार्य को जरूर सम्मानित करेगा। परंतु उस कार्य में किसी भी तरह की त्रुटि ना हो, इसके लिए आपको लंबी तपस्या करनी होगी। लंबी तपस्या से मेरा अभिप्राय निरंतर अपने काम में लगे रहना होगा। फल की चिंता बिना किए अपने कार्य की चिंता पर ज्यादा जोर देना होगा। तब यह ब्रह्मांड आपको आपकी उम्मीद से भी ज्यादा देगा। इस तरह से आप अवश्य सफलता पा लेंगे।
पत्राचार का नियम
इस नियम का पालन करने से आप यह समझ जाएंगे कि इस ब्रह्मांड में जो भी घटनाएं घट रही हैं, वह सब व्यक्तिगत रूप से आपके शरीर और मन में घटने वाली सभी घटनाओं से जुड़ी हैं। आप जैसा स्वयं के अंदर अनुभूति करते हैं, ठीक वैसा आपको बाहर की दुनिया में देखने को मिलता है। इसलिए यह जान लेना आवश्यक है कि हर बुरी और अच्छी परिस्थितियों में अगर आप स्वयं को संभाल लेते हैं, तो समय के साथ बाहर की दुनिया में भी बदलाव की कल्पना की जा सकती है, जो आपके मन के मुताबिक ही होगा। यह आपके लिए अच्छे भाग्य को जरूर खोज ले आएगा।
प्रभाव के नियम
अब बात करते हैं कारण और प्रभाव के नियम की। हर क्रिया की बराबर और उलटी प्रतिक्रिया होती है। कारण और प्रभाव का नियम इसी से जुड़ा हुआ है। यह सभी कानूनों का कानून है। आप जैसा बोएंगे, वैसा काटेंगे। इसे ही कर्म का नियम कहा जाता है। कारण और प्रभाव का नियम सीधे रूप से कर्म के नियम से चलता है। आपके प्रत्येक विचार, संवेदना और भावना जब भी बाहर की दुनिया पर अपना प्रभाव डालती है, तो उसके अनुरूप प्रतिक्रिया भी होती है। परंतु कई बार हम अच्छा काम करते हैं, इसके बावजूद भी हमारे साथ बुरा होता है। ऐसा क्यों?
जब कभी मनुष्य कोई अच्छा काम करता है, तो प्रकृति उसे उसी पल वह देती है जिसकी उस मनुष्य को सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। अच्छा काम करते हुए बुरे परिणाम को भोगना इस तरफ संकेत देता है कि प्रकृति हमें हमारे पुराने बुरे कर्मों को भोगने का अवसर देती है, जिससे हमारे पुराने दोष कम होने लगते हैं। जब कर्म आपको सभी दोषों से मुक्त कर देता है, तब जाकर आपको आपके द्वारा किए जाने वाले अच्छे कामों का तत्काल अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप ज्यादातर इस दुनिया में अच्छे कामों को करते हुए समय गुजारें। निरंतर कर्म करना आवश्यक है।
अगर आप अपने दिन का बड़ा समय बेकार के कामों में लगाते हैं अर्थात आपका ज्यादातर समय अनउत्पादक है, तो यह बात आपके आसपास वाले ना जान पाएं, परंतु यह ब्रह्मांड आपके सभी कामों का लेखाजोखा तैयार करने में निरंतर लगा हुआ है। अगर आप ज्यादा समय नष्ट करते हैं और आप आलसी हैं, तो यह ब्रह्मांड आपको पहले से भी ज्यादा आलसी बना देगा और समय नष्ट करने में आप महारत हासिल कर लेंगे।
आपको समय नष्ट करने के अनेक कारण मिलेंगे और आपके मन में छुपी माया उसे अच्छी तरह से ग्रहण करके आपकी सफलता की सीढ़ी तक पहुंचने के मार्ग को बदल देगी। आप गलत रास्ते पर निकल पड़ेंगे और अलग-अलग कामों में सफलता पाने की चाह में भटकते रहेंगे।
सफलता हासिल करने के लिए आप वही कार्य कीजिए जिसके लिए आप बने हैं। आपकी जिस भी कार्य में रुचि है, आप इस ब्रह्मांड को सबसे ज्यादा वही कार्य करके दिखाएं। समय के साथ जब यह ब्रह्मांड इस बात को जान लेगा कि आप अपने कार्य में ज्यादा मन लगा रहे हैं, तो यह स्वतः आपके आलस को कम करना शुरू कर देगा, जिससे आपको पहले से ज्यादा अपने काम में मन लगना शुरू हो जाएगा।
इस दौरान संभव है कि कर्मा के नियम के अनुसार यह ब्रह्मांड आपकी परीक्षा ले, आप कई तरह से परेशान हो सकते हैं, परंतु वे परेशानियां इसलिए आपके जीवन में आईं क्योंकि आपने अतीत में कुछ गलत किया था। समय नष्ट करना भी उन्हीं गलतियों का हिस्सा है।
अच्छा काम करने से शुरू में परेशानियां आती हैं। ये परेशानियां आपके पुराने कर्मों का ही परिणाम होती हैं। सफलता पाना इतना आसान है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। बस जरूरत है तो उस काम में ज्यादा समय देने और धैर्य बनाए रखने की।
अब जानते हैं मुआवजे का कानून। एक इंसान हमेशा अपने द्वारा किए जा रहे कर्मों का भोगी बना रहेगा। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वह इंसान अच्छा कर्म करता है या बुरा, या फिर उसका कर्म बड़ा है या छोटा। प्रत्येक इंसान अपने कर्मों को भोगेगा। इसे ही मुआवजे का कानून कहते हैं। जो कुछ भी आप दूसरों को देंगे, बदले में आपको भी वही मिलेगा।
अगर आपकी भावना किसी को परेशान करने की है, तो आपको भी उस परेशानी का किसी अन्य रूप में सामना करना होगा। अगर आप किसी की सर्वोत्तम भावना से सेवा करते हैं, तो आपको भी यह ब्रह्मांड सर्वोत्तम उपहार देगा। सृष्टि में संतुलन बनाए रखने का यही तरीका है, क्योंकि हम हर स्थिति में ब्रह्मांड से जुड़े हैं और उसके नियमों के अंदर आते हैं।
आकर्षण के नियम
ब्रह्मांड के सभी नियमों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला और बात किया जाने वाला कानून है आकर्षण का नियम। इसे “लॉ ऑफ अट्रैक्शन” के नाम से जाना जाता है। आप इस ब्रह्मांड से जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं, वह आप हासिल कर सकते हैं। बस जरूरत है तो स्वयं के भीतर सकारात्मक ऊर्जा को बनाने की। आकर्षण का नियम यह बताता है कि दुनिया की हर वह चीज जिसमें ऊर्जा है, वे अपने मन के विचारों के अनुसार सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाएं आकर्षित करती हैं।
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तो क्यों ना आप ज्यादातर समय उन कामों में लगाएं जो कि सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं, और आपके भीतर भी सकारात्मकता का विस्तार होने लगेगा। इस प्रयास में सदैव रहें कि हमें हर उस कार्य से दूर रहना है, जो हमारे भीतर नकारात्मक और बुरे विचारों को जन्म देती है। आप अपने दिमाग में उन विचारों को बिल्कुल स्पष्ट रूप से दोहराते रहें जिन्हें आप प्राप्त करना चाहते हैं। समय आने पर आकर्षण के नियम के आधार पर आप अवश्य अपने उस लक्ष्य को पा लेंगे।
अब बात करते हैं ऊर्जा के संचरण के नियम की। हम सभी जानते हैं कि हर जीवित प्राणी के भीतर ऊर्जा का भंडार होता है। आप अपनी शारीरिक और मौजूदा स्थिति को समझकर इस बात का आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपके ऊपर किस तरह की ऊर्जा काम कर रही है—सकारात्मक या नकारात्मक।
क्या कभी आपने इन दोनों में से किसी को महसूस किया है कि आप किसी ऐसे इंसान के पास बैठे हैं जिसके विचार नकारात्मक हैं? ऐसे में वह ऊर्जा आप तक स्थानांतरित होकर आपके विचारों को भी नकारात्मक बना देगी। इसलिए इस गतिशील ऊर्जा की पहचान करना आवश्यक है। खुद को शांत और स्थिर बनाने की कोशिश करें। शांति और मन की स्थिरता सकारात्मक ऊर्जा को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं।
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