रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई अर्थ सहित | Best chupaiyaa of Ramayana in hindi

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई -प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी समय पर ऐसी कठिनाई आ सकती है, जिससे उसे अप्रिय महसूस होता है। ऐसे समय में व्यक्ति अकेला महसूस करता है और सहायता की तलाश में रहता है। कई बार ऐसा महसूस होता है कि समस्या का हल नहीं मिलेगा, और उस समय ईश्वर की कृपा ही आखिरी आशा होती है। इस प्रकार की स्थिति में लोग अपने ईश्वर को याद करते हैं और उनकी मदद के लिए प्रार्थना करते हैं।

इसके अतिरिक्त, कई मंत्र होते हैं जो इंसान को संकट से निकालने में सहायक हो सकते हैं। अगर आपको भी कोई संकट है, तो आप रामायण के श्लोकों का सहारा ले सकते हैं। रामायण के पाठ से जन्म जन्मांतरों के पाप से मुक्ति, भय, रोग आदि सभी दूर हो सकते हैं। यह कहा जाता है कि रामायण के श्लोक इतने प्रभावशाली होते हैं कि उनके पाठ से धन की प्राप्ति हो सकती है। चलिए, हम उन अद्भुत श्लोकों और उनके प्रभाव को विस्तार से जानते हैं।

सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ।
हानि, लाभ, जीवन, मरण,यश, अपयश विधि हाँथ।

भावार्थ : भले ही लाभ हानि जीवन, मरण ईश्वर के हाथ हो लेकिन हानि के बाद हम हार मानकर बैठें नहीं। ये हमारे ही हाथ हैं। लाभ को हम शुभ लाभ में परिवर्तित कर लें, यह भी जीव के ही अधिकार क्षेत्र में आता है। जीवन जितना भी मिले उसे हम कैसे जिएं यह सिर्फ जीव अर्थात हम ही तय करते हैं, मरण अगर प्रभु के हांथ है तो उस परमात्मा का स्मरण हमारे अपनें हाथ है।

नाथ दैव कर कवन भरोसा। सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा॥
कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।

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भावार्थ : रामचरित मानस में यह चौपाई उस समय को बताती है, जब भगवान राम सागर पार करने के लिए सागर से रास्ता मांगने के लिए ध्यान करने जा रहे थे। लक्ष्मणजी ने तब भगवान रामजी को उनकी शक्ति और क्षमता को याद दिलाते हुए कहा था कि आप स्वयं इतने शक्तिशाली हैं कि एक बाण में समुद्र को सुखा सकते हैं, फिर सागर से अनुनय-विनय क्यों? भगवान राम यह सब जानते थे लेकिन फिर भी इन्होंने शक्ति से पहले शांति से परिस्थितियों को हल करने का प्रयास किया और बताया कि शक्तिशाली को संयमी होना भी जरूरी है। आप अपने भरोसे पर काम कीजिए ईश्वर स्वयं आपकी सहायता करेंगे।

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कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।।
पवन तनय बल पवन समाना। बुद्धि विवेक बिग्यान निधाना।।

भावार्थ : जाम्बवान्‌ ने श्री हनुमानजी से कहा- हे हनुमान्‌! हे बलवान्‌! सुनो, तुमने यह क्या चुप साध रखी है? तुम पवन के पुत्र हो और बल में पवन के समान हो। तुम बुद्धि-विवेक और विज्ञान की खान हो ।।

कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं।

राम काज लगि तव अवतारा सुनतहि भयउ पर्वताकारा ।।

भावार्थ : जगत्‌ में कौन सा ऐसा कठिन काम है जो हे तात! तुमसे न हो सके। श्री रामजी के कार्य के लिए ही तो तुम्हारा अवतार हुआ है। यह सुनते ही हनुमान्‌जी पर्वत के आकार के (अत्यंत विशालकाय) हो गए ।।

जैसा कि सभी जानते हैं कि हनुमानजी को भूलने का श्राप दिया गया था इसलिए हमें उनको बार-बार याद दिलाते रहना चाहिए ।

अंगिरा और भृगुवंश के मुनियों ने हनुमान जी को श्राप दिया कि “आप अपने बल और तेज को सदा के लिए भूल जाएं लेकिन जब कोई आपको आपकी शक्तियां याद कराएगा तभी आप उसका उपयोग कर सकोगे।”

इस श्राप के कारण हनुमान जी का बल एवं तेज कम हो गया और वह शांत सुकुमार बन कर रहने लगे ।

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Ramcharitmanas: रामचरितमानस की वो 11 चौपाइयां, जो आपके 11 मनोकामनाओं की कर सकती हैं पूर्ति - Ramcharitmanas 11 Important Chaupai For 11 Wishes

बाँधा सेतु नील-नल नागर,राम कृपा जसु भयहुं उजागर।

बूड़हिं आनहिं बोरहिं जेई,भयहुं उपल बोहित सम तेई।।

भावार्थ : चतुर नील-नल ने सेतु बाँधा और राम के कृपा से संसार में प्रसिद्धि पाई।जो पत्थर स्यंव डूब जाते हैं और दूसरे को भी डूबो देते हैं वही पत्थर स्यंव तैर रहें हैं और दूसरे को भी पार निकाल रहें हैं।

गूढार्थ-रामायण या राम चरित मानस के रूप मे मानव ज्ञान का एक चरित्र दिया गया है जो कि परोक्ष रूप से लिखा गया मोक्ष का आदर्श यात्रा वृत्तांत है जिसमें नील-नल के माध्यम से ध्यान योग का अध्यात्मिक महत्व रेखांकित किया गया है और पत्थर मानव रूपी पत्थर है जो कि पतित है पड़ा हुआ है जिसका समाज के भलाई से कोई सरोकार नहीं हैं जो अपने भी परेशान है और दूसरे को भी परेशान कर रहा है किंतु जब मानव रूपी पत्थर को ध्यान योग छू देता है तो वह व्यक्ति समुद्र अर्थात संसार सागर मे तैरने लगता है अपने तो तैरता ही है दूसरे को भी पार निकालता है।

अरथ न धरम न काम रुचि गति न चहउँ निरबान।

जनम-जनम रति राम पद यह बरदानु न आन।।

भावार्थ :  मुझे न अर्थ की रुचि (इच्छा) है, न धर्म की, न काम की और न मैं मोक्ष ही चाहता हूँ। जन्म-जन्म में मेरा श्री रामजी के चरणों में प्रेम हो, बस, यही वरदान माँगता हूँ, दूसरा कुछ नहीं |

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सकल विघ्‍न व्‍यापहि नहिं तेही।

राम सुकृपा बिलोकहिं जेही।।

भावार्थ : मनुष्‍य को अपने जीवन में बहुत सारी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई लोगों को घबराहट होने लगती हैं। मगर, घबराने की जगह आपको रामचरितमानस की इस चौपाई का पाठ करना चाहिए। इससे आपको आर्थिक, सामाजिक और घरेलू हर तरह की परेशानियों से लड़ने का रास्‍ता मिलेगा और यह सारी पेरेशानियां आसानी से हल हो जाएंगी। साथ ही आपकी सफलता के मार्ग में आने वाली बाधाएं भी इस चौपाई को पढ़ने से दूर हो जाएंगी।

सुनहि विमुक्‍त बिरत अरू विबई।

लहहि भगति गति संपत्ति नई।।

भावार्थ : रामचरितमानस की यह चौपई आपको बहुत सारे लाभ देगी। इससे आपको जीवन में मिलने वाले सारे सुख मिलेंगे। यदि आपको बहुत दिनों से कोई दुख सता रहा है तो आपको रोज ही इस चौपाई का पाठ करना चाहिए।

भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहि जे नर अरू नारि।

तिन्‍ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसरा‍री।।

भावार्थ : रामचरितमानस को तुलसी दास ने इस तरह लिखा है कि उसके पाठ से आप सारी मनोकामनाएं पूरी हा जाती हैं। मगर इस चौपाई में यह खासियत है कि अगर आप इसका रोज पाठ करेंगी तो आपकी कोई ऐसी मनोकामना पूरी होगी जिसके पूरे होने की कामना आप बहुत दिनों से कर रही हैं। इसलिए आपको अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए हमेशा इस चौपाई का पाठ करना चाहिए।

1- खोई हुई वास्तु वापस पाने के लिए

गई बहारे गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।

भावार्थ : ऐसा कई बार होता है जब आपकी कोई बेहद प्रिय वस्‍तु आप से खो जाती है। इस वस्‍तु के खो जाने से आपको आपार दुख होता है और आप हमेशा उस वस्‍तु के वापिस मिल जाने की कामना भी करते हैं। मगर, ऐसा कम ही होता है कि खोई हुई वस्‍तु आपको वापिस मिल जाए। मगर, आप रामचरितमानस की इस चौपाई का रोजाना पूरे विश्‍वास के साथ पाठ करेंगी तो आपकी खोई हुई वस्‍तु आपको अवश्‍य ही मिल जाएगी।

2- धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई

जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।।

भावार्थ : इस चौपाई को पढ़ने से आपको अपारा सुख की प्राप्‍ती होगी और आपके घर में कभी आर्थिक संकट भी नहीं आएगा। इस चौपाई को आपको रोजाना दोहराना है। अगर आप इसे पूरी श्रद्धा के साथ दोहराएंगे तो आपको धन का लाभ मिलेगा साथ आपको जीवन के हर उस सुख की प्राप्‍ती होगी जिसकी आप कामना करते हैं। इस चौपाई का अर्थ भी यही है कि यदि मनोवांछित फल प्राप्‍त करना है तो केवल आपको रघुनाथ जी यानी श्री राम के नाम जपने से ही प्राप्‍त होगा।

3. सहायता के लिए…

चौपाई: मोरे हित हरि सम नहि कोऊ।
एहि अवसर सहाय सोई होऊ।।

अगर आपको लग रहा है कि वर्तमान स्थिति में आपकी सहायता करने वाला कोई नहीं है तो आप रोजाना इस चौपाई का ध्‍यान करें तो आपको जरूर से लाभ होगा।

4. संकट से बचने के लिए…

चौपाई: दीन दयालु विरद संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।

अगर आपको लग रहा है कि आप किसी संकट में फंस रहे हैं या फिर कोई ऐसी चीज है तो आपको डरा रही है तो आप इस चौपाई को पढ़ सकते हैं। इस चौपाई के रोजाना जप से आपको इस कठिन स्थिति में भी लाभ होगा।

5. आत्‍मरक्षा के लिए…

चौपाई : मामभिरक्षक रघुकुल नायक।
घृत वर चाप रुचिर कर सायक।।

हे रघुकुल के स्वामी! सुंदर हाथों में श्रेष्ठ धनुष और सुंदर बाण धारण किए हुए आप मेरी रक्षा कीजिए। आप महामोहरूपी मेघसमूह के (उड़ाने के) लिए प्रचंड पवन हैं, संशयरूपी वन के (भस्म करने के) लिए अग्नि हैं और देवताओं को आनंद देने वाले हैं। किसी भी प्रकार की परेशानी में आत्‍मरक्षा के लिए आपको रोजाना इस चौपाई का जप करना चाहिए।

6. विपत्ति दूर करने के लिए…

चौपाई: राजीव नयन धरे धनु सायक।
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक।।

कमल के समान नेत्रों वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने प्रिय भक्‍तों की सभी प्रकार की विपत्तियों का भंजन अर्थात नाश करके उन्‍हें सुख प्रदान करने के लिए ही सदैव हाथ में धनुष सायक अर्थात् बाण धारण किए रहते हैं।

7-इच्‍छापूर्ति के लिए

अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद्र दवारिके।।

11- अकाल मृत्यु से बचने के लिए रामचरितमानस चौपाई

नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट। लोचन निज पद जंत्रित प्रान केहि बात।।

12- रोगों से बचने के लिए

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।

13- जहर को खत्म करने के लिए

नाम प्रभाऊ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।

14- शत्रु को मित्र बनाने के लिए

वयरू न कर काहू सन कोई। रामप्रताप विषमता खोई।।

15- भूत प्रेत के डर को भगाने के लिए

प्रनवउ पवन कुमार खल बन पावक ग्यान धुन। जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप घर।।

16- ईश्वर से माफ़ी मांगने के लिए

अनुचित बहुत कहेउं अग्याता। छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।।

17- सफल यात्रा के लिए

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कौशलपुर राजा।।

18- वर्षा की कामना की पूर्ति के लिए

सोइ जल अनल अनिल संघाता। होइ जलद जग जीवनदाता।।

19- मुकदमा में विजय पाने के लिए

पवन तनय बल पवन समाना। बुधि विवके बिग्यान निधाना।।

20- प्रसिद्धि पाने के लिए

साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।।

21- विवाह के लिए

तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै। मांडवी श्रुतिकीरित उरमिला कुंअरि लई हंकारि कै।।

22- परीक्षा में सफलता के लिए रामायण चौपाई

जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी। कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।

मोरि सुधारहिं सो सब भांती। जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।

23- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई

जिमि सरिता सागर मंहु जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।

तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं। धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।

 

24- रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के लिये रामायण चौपाई

साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।

25- प्रेम वृद्धि के लिए रामायण चौपाई

सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।

 

26- सुख प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई। लहहि भगति गति संपति नई।।

27- विद्या प्राप्ति के लिए रामचरितमानस चौपाई

गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई। अलपकाल विद्या सब आई।।

28- शास्त्रार्थ में विजय पाने के लिए रामायण चौपाई

तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।

29- ज्ञान प्राप्ति के लिए रामचरितमानस चौपाई

तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।

30- विपत्ति में सफलता के लिए रामायण चौपाई

राजिव नयन धरैधनु सायक। भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।

31- पुत्र प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई

प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।

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