Management skill Powerful Life lesson from Sunderkand in hindi | सुंदरकांड से जीवन की सीख हिंदी में

Life lesson from sunderkand-सुंदरकांड रामबाण है। इसमें मुख्य तौर पर हनुमान जी का जिक्र है। जिसमें उनकी श्री राम के प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है। सुंदरकांड को सुनने से, आपके मन में खुशी और हमारी सोच सकारात्मक होती है। अगर आप किसी तरह की दिक्कत का सामना कर रहे हैं। तो सुंदरकांड के पाठ से आपको शांति महसूस होगी और आप बेहतर तरीके से ध्यान लगा पाएंगे। सुंदरकांड में हनुमान जी की बुद्धि उनकी ताकत और साहस का विवरण मिलता है। और उन सभी घटनाओं का वर्णन भी, जो उनके जीवन में घटित हुई।

Importance of sunderkand | सुंदरकांड का महत्व और लाभ

कहा जाता है कि सुंदरकांड का पाठ घर में करने से सारा काला जादू खत्म हो जाता है। आपकी समृद्धि में बढ़ोतरी होती है और आप अपने दुश्मनों से जीतने में सक्षम हो पाते हैं। सुंदरकांड को कई बार रामबाण की तरह भी देखा जाता है। जिससे आपके जीवन की सारी मुश्किलें खत्म हो जाती हैं। आज इस पोस्ट में हम आपके लिए सुंदरकांड से जुड़े जीवन के पाठ लाए हैं। जो आपको एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेंगे और जिससे आपके मन को सुख और शांति का एहसास होगा, तो प्रभु का नाम लेकर शुरू करते हैं। जय श्री राम!

हनुमान जी से जुड़ी एक सच्ची घटना | inspirational video

 

सुंदरकांड की महिमा | Sunderkand ki mahima

अपने काम को खत्म करें बिना, आराम करना ठीक नहीं है। जरूरी है कि आप अपनी वाणी को मधुर रखें और सबके साथ अच्छा व्यवहार करें। सुंदरकांड की शुरुआत तो हम सभी जानते हैं जामवंत जी ने हनुमान जी की उन शक्तियों को याद कराने में मदद की, जो वह भूल गए थे। इससे हमें सीखने को मिलता है कि हम सभी के पास कुछ hidden power और qualities होती है। बस जरूरी है कि हम उन्हें सही समय पर पहचान सके। अपनी छुपी हुई ताकत को पहचानिए। मुश्किलों से भागने की बजाय, उनसे लड़ने की आदत डालिए।

जीवन में जामवंत जैसे दोस्तों का होना जरूरी है। ऐसे दोस्त जो हमारे साथ खड़े रहते हैं। हमारी ताकत को खोजने और उनको अमल कराने में मदद करते हैं। उनसे बड़ा सारथी हमारे लिए कोई नहीं है। भरोसा और विश्वास ऐसे दो गुण है। जो हमारे जीवन के महत्वपूर्ण स्तंभ है।

Sunderkand बुद्धि और ताकत इस्तेमाल

बुद्धि का इस्तेमाल करना भी बहुत जरूरी है। सुंदरकांड में सुरसा नाम की एक नाग माता थी। जिसने लंका सफर के दौरान श्री हनुमान जी का रास्ता रोका था। सुरसा चाहती थी कि वह हनुमान जी को भोजन के रूप में खाना चाहती है और उन्हें आगे जाने नहीं देगी। हनुमान जी ने उससे विनती की, कि वह उन्हें इस वक्त जाने दे और जब उनकी यात्रा खत्म होगी तो वह खुद ही सुरसा के मुंह में चले जाएंगे और अपना वचन पूरा करेंगे। लेकिन सुरसा उनकी बात नहीं मानती है और अपना आकार बढ़ाने लगती है।

उसे ऐसा करता देख हनुमान जी भी वैसा ही करते हैं। और अंत में तुरंत वह बिल्कुल ही छोटा रूप लेकर उसके मुंह में चले जाते हैं और जल्दी से बाहर आ जाते हैं। ऐसा करने से वह अपना वादा भी पूरा कर लेते हैं। और अपने मकसद को भी नहीं भूलते। इस घटना से हमें सीखने को मिलता है कि हम ताकत को बिना इस्तेमाल करें,सिर्फ बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए भी जीत हासिल कर सकते हैं। शक्ति के साथ-साथ बुद्धि का इस्तेमाल करना भी उतना ही जरूरी है।

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हमें अपनी शक्तियों और सीमाओं के बारे में पता होना चाहिए। जिससे हम कभी भी ओवर कॉन्फिडेंट ना हो और हमेशा सही जगह पर सही फैसला ले सके। इसके साथ जरूरी है कि हम अपनी शक्तियों का इस्तेमाल तभी करें,जब हमें सच में इनकी जरूरत हो। हमेशा अपने वादे पर बने रहे और अपनी जबान को कायम रखें। साथ ही साथ हम अपना अहंकार थोड़ा सा कम कर लेंगे, तो हमारे लिए जीवन में कई सारे रास्ते खुल जाएंगे। जो हमें आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। इस घटना से हमें पता लगता है कि कैसे अपनी शक्तियों को सही समय पर सही जगह पर सही इस्तेमाल कर सकते हैं।

Sunderkand Analysis | एनालिसिस करना जरूरी है

किसी भी परेशानी को सुलझाने से पहले उसे ठीक से ध्यान से समझना जरूरी है। इससे आप कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। काफी परेशानियों का सामना करने के बाद हनुमान जी लंका के तट पर पहुंचे। वहां पर पहुंचते ही उन्हें लंका की भयंकर सेना का सामना करना पड़ा। लेकिन वह उन्हें चकमा देकर, रात के समय अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर हुए। रात के समय उनका सामना लंकानी नाम की पहरेदार से हुआ। जिसे भगवान ब्रह्मा ने जीवन भर,राक्षसों के द्वार की रखवाली का श्राप दिया था।

लंकिनी ने हनुमान जी से पूछताछ की। लेकिन हनुमान जी ने उसे भड़काने की कोशिश करी। इस वक्त हनुमान जी अपने छोटे रूप में थे और लंका के राजमहल में घुसने की कोशिश कर रहे थे। लंकिनी को हनुमान जी पर विश्वास नहीं हुआ। उसके बाद उसने उन पर हमला कर दिया। कुछ समय बाद लंकिनी को हनुमान जी का असली रूप समझ में आया। इसके बाद उसने हनुमान जी से माफी मांगी। इससे हमें सीखने को मिलता है कि हमेशा अपनी शक्तियों को स्थिति के अनुसार ही इस्तेमाल करना चाहिए।

अपनी शक्तियों को हद से ज्यादा परखने से सारी योजना खराब हो सकती है। लंका पहुंचने के बाद हनुमान जी,एक पर्वत पर रुके उस पर्वत पर रुकने का मकसद यह था कि वह इतने बड़े नगर में घुसने से पहले, हर चीज को अच्छे से समझाना चाहते थे। बारीकी से हर चीज हर स्थिति को समझना चाहते थे। ऐसा जरूरी था ताकि उन्हें हर एक खतरे के बारे में जानकारी रहे और वह उसके लिए तैयार भी रहे

जैसा कि हमने पहले भी कहा है। इस वक्त हनुमान जी अपना रूप बदलकर, लंका में घुसे। हनुमान जी को लंका नगरी के एक भवन पर मंदिर दिखा, जिस पर श्री राम का चित्र अंकित था और पास ही एक तुलसी का पौधा था। उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ कि इस रावण की नगरी में, कोई श्री राम का भक्त कैसे हो सकता है और इस तरह हनुमान जी की मुलाकात विभीषण से हुई। पूरा ब्रह्मांड जानता है कि किस तरह विभीषण ने श्री राम की मदद की, रावण का वध करने में। इससे हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी परेशानी को सुलझाने से पहले हमें हर स्थिति को परखना चाहिए।

कई बार किसी परेशानी का हल हमारे सामने ही होता है और हम उसे अनदेखा कर देते हैं जरूरी है कि किसी चुनौती को पूरी तरह से समझा जाए और फिर ही उस पर कुछ सोच विचार किया जाए। किसी भी परेशानी को देखते वक्त उसकी छोटी से छोटी चीजों पर भी ध्यान देना जरूरी है। छोटी-छोटी बारीकियां को ध्यान से देखकर, हम एक समाधान की तरफ बढ़ सकते हैं। अपनी युक्ति को बनाने में यह काफी जरूरी है। साथ ही तार्किक और क्रिटिकल थिंकिंग का होना बहुत जरूरी है।

किसी भी परिस्थिति से डरना नहीं चाहिए। Don’t be scared

किसी भी स्थिति में, कुछ कहने से पहले, दूसरे इंसान की भी बात सुन लेनी चाहिए। श्री राम के धनुष-बाण की तस्वीर देखकर हनुमान जी समझ गए थे कि राक्षसों की इस नगरी में भी कोई राम भक्त रहता है। जब हनुमान जी विभीषण से मिले तो, विभीषण ने उन्हें बताया कि वह भले ही लंका में राक्षसों की नगरी में रहते हैं। लेकिन इसके बाद भी वह श्री राम से प्रेम करते हैं और उनके परम भक्त हैं।

वह बताते हैं कि जिस तरह से हमारी कोमल जीभ सख्त दातों के बीच रहती है। इस तरह वह भी राक्षसों के बीच रहकर प्रभु की सेवा में विश्वास रखते हैं। इससे हमें सीखने को मिलता है। कि इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि हम किस जगह, किसके साथ रह रहे हैं। अपने स्वभाव को अच्छा या बुरा बनाना, केवल हमारे खुद के हाथों में है। इसका जिम्मेदार हम किसी और को नहीं ठहरा सकते।

जिंदगी में कई बार, आपको ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जहां आपको अपनी अच्छाइयों की कई बार परीक्षा देनी पड़ेगी। आपको ऐसे लोग मिलेंगे, जो अक्सर आपको परखने की कोशिश करेंगे। लेकिन यह आपके ऊपर है कि आप किस रास्ते को चुनते हैं। केवल आप ही अपनी किस्मत को बना या बिगाड़ सकते हैं। कोई दूसरा नहीं। कोई भी दूसरा इंसान आपको बुरे रास्ते पर नहीं ले जा सकता, जब तक कि आप ना चाहे।

यह आपके ही हाथों में होता है कि आप किस तरह के इंसान बनना चाहते हैं और कैसे रास्ता चुनना चाहते हैं। विभीषण से मिलने के बाद, हनुमान जी अशोक वाटिका में माता सीता से मिलने जाते हैं। तो हनुमान जी बहुत ध्यान रखते हैं कि वह सीता मां को परेशान ना होने दे। वह एक पेड़ पर बैठते हैं। श्री राम के नाम से भजन गाते हैं और फिर धीरे से उनकी अंगूठी एक निशानी के तौर पर सीता मां के पास गिरा देते हैं। जब कोई इंसान परेशानी में होता है या बहुत ज्यादा दुखी होता है तो जरूरी है कि आप तुरंत किसी निर्णय तक न पहुंचे। आपको उस इंसान के तरीके से सोचने की जरूरत है।

जरूरी है कि आप खुद को उनकी जगह रखकर महसूस कर पाए कि उन्हें उस पल में कैसा लग रहा है। सीता मां लंका में राक्षसों के बीच रह रही थी। अगर इस पल में हनुमान जी भी उनके सामने तुरंत आ जाते, तो शायद मां सीता को वह भी, उनमें से एक ही लगते। ऐसा ना करते हुए हनुमान जी ने पहले श्री राम के नाम का भजन गया। उससे सीता मां को यकीन हो गया कि हनुमान जी भगवान श्री राम के द्वारा भेजे गए, एक संदेशवाहक है।

सुंदरकांड से कर्म और ज्ञान | sunderkand se karma aur gyan

प्रभु की भक्ति में लीन होकर, आप कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। विश्वास रखिए और अपने कर्म को निभाते हुए आगे बढ़ते चलिए। सुंदरकांड के पाठ में आगे बढ़ते हुए- हम जानते हैं कि जब रावण के बेटे मेघनाथ ने, हनुमान जी की तरफ अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा था। वह आसानी से उस अस्त्र को हरा सकते थे। हनुमान जी के पास ब्रह्मा जी का वरदान था। जिसके चलते उनके लिए यह करना बहुत आसान था। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने ब्रह्मास्त्र के सामने झुकने का फैसला लिया।

इससे हमें सीखने को मिलता है कि भले ही आप कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हो, आपको कभी भी दूसरों की शक्तियों को, कम नहीं समझना चाहिए। इसके साथ ही जरूरी है कि आप शक्तिशाली होने के बाद भी विनम्र रहे। कभी भी अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए। शक्ति किसी की भी दासी नहीं होती है। जरूरी नहीं है कि अगर आज आपके पास ज्यादा क्षमता है, तो कल को किसी और के पास, आपसे ज्यादा क्षमता ना हो। इस बात का ध्यान जरूर रखें।

हनुमान जी के लंका सफर में, उनका सामना रावण से उनकी सभा में हुआ था। जब हनुमान जी को बंदी बनाकर रावण की सभा में ले जाया गया। तो उन्होंने वहां पर बहुत ही अजीब दृश्य देखे। उस सभा में दानव और देवता दोनों ही रावण के सामने हाथ जोड़कर खड़े हुए थे और उसकी शक्ति से डरे हुए थे। लेकिन इस बीच हनुमान जी रावण के सामने बिल्कुल नहीं घबराए और मानो उनकी चाल सांपों के बीच एक गरुड़ पक्षी के समान थी।

इसमें हमें सीखने को मिलता है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें आ जाए, आपको कभी भी अपना आत्मविश्वास नहीं खोना है। मुश्किल वक्त में दिमाग से काम लेना बहुत जरूरी है। वरना डर कर हम कभी-कभी ऐसे कदम उठा लेते हैं ,जो हमारे लिए फायदेमंद नहीं होते हैं। बड़े फैसले लेते वक्त जरूरी है कि आप घबराएं नहीं और आत्मविश्वास से अपनी बात सामने रखें।

दोस्तों हम सभी को लंका दहन के बारे में तो पता ही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान जी का ऐसा करने का मकसद क्या था। चलिए समझते हैं, हनुमान जी को पता था कि जब श्री राम, अपनी सेना के साथ, लंका पर हमला करेंगे, तो उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में हनुमान जी ने तय किया कि वह पहले ही लंका की उन जगहों को तबाह कर देंगे, जो युद्ध के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण थी। ऐसा करने से उन्होंने रावण की सेना के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी।

इससे हमें समझ आता है कि हमेशा अपने दुश्मनों के क्षेत्र को ध्यान से देखना चाहिए और अपने फायदे की चीजों को ध्यान में रखना चाहिए। किसी भी काम को बिल्कुल अंत तक टालना सही बात नहीं है। कभी-कभी ऐसी परिस्थितियों सामने आ जाती हैं कि जब आप चाह कर भी उस काम को सही वक्त पर पूरा नहीं कर पाते। इसलिए जरूरी है कि आप पहले से ही कुछ योजनाएं बना कर रखें और उन्हें सही समय पर इस्तेमाल करें। हनुमान जी लंका में अपना काम पूरा करके श्री राम के पास पहुंचे।

जब श्री राम ने उनकी सराहना करी, तो हनुमान जी ने सिर्फ इतना ही कहा-कि वह इस काम को इसलिए ही पूरा कर पाए क्योंकि वह अपने प्रभु का नाम लेते रहे। उनके आशीर्वाद से ही यह सब पूरा हो पाया। इस बात से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कैसे हमें भगवान पर भरोसा रखना चाहिए और केवल अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए। हमेशा विनम्र है आपका ध्यान इस पर नहीं होना चाहिए कि आप ही सबसे महान है और आपके बिना कोई काम नहीं हो सकता।

अगर आपके प्रयास अच्छे हैं तो लोग आपकी तारीफ खुद ही करेंगे। जब आप किसी और के लिए कुछ अच्छा करते हैं तो हमेशा उनको इस बात को याद करवाना ठीक नहीं है। इससे सामने वाले को मजबूरी महसूस होती है और उन्हें बुरा भी लग सकता है।

सुंदरकांड से हमें क्या शिक्षा मिलती है | Learning from sunderkand

सनातन धर्म एक धारणा है। जिसमें जीवन से जुड़े कई ऐसे भाग है। जिन्हें अपना कर हम अपने जीवन को सुधार सकते हैं। हनुमान जी की भक्ति में गाए जाने वाले, इस पाठ को सुनकर आप अपने चारों ओर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकते हैं। आज की जीवन शैली में हम अपने दिमाग पर बहुत ज्यादा जोर डालते हैं। जिसके चलते हमें शांति नहीं मिलती।

जरूरी है कि सुंदरकांड के पाठ को ध्यान से पढ़ा जाए और इसकी सीख को अपने जीवन में अपनाया जाए। प्रभु की भक्ति में लीन होकर, आप कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। इसलिए आज ही रामायण और उसकी बाकी भागों को पढ़ना शुरू कीजिए। आपको जरूर ही शांति महसूस होगी। जय श्री राम!

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