हनुमान जी का मृत्यु से हुआ आमना सामना | Management Skill from hanuman ji
हनुमान जी management skill गुरु है कपड़ा रावण का, तेल रावण का और लंका भी रावण की और जला भी उसी को आए minimum investment ,maximum return कुछ भी अपना नहीं, सारा सामान उसी का, कपड़ा भी उसी का लिया, तेल भी उसी का लिया और लंका भी उसी की जला दी। हनुमान जी से हमें सीखने की जरूरत है। अहंकार बिल्कुल भी नहीं है।
श्री हनुमान जी को मिला माता सीता से वरदान | motivational story
बहुत महत्वपूर्ण है सीता मां से आखरी में पूछते हैं। मां क्या मैं कुछ खा लूं? यह मैनेजमेंट स्किल की पराकाष्ठा है। यह सिर्फ एक घटना नहीं है, इस घटना में कई सारी घटनाएं हैं। जो हमें मैनेजमेंट स्किल को सिखाती है। जिसके लिए आज्ञा मिली थी सिर्फ इतना ही नहीं कर रहे हैं उससे भी एक कदम आगे जा रहे हैं। अरे ढूंढने तो सीता जी को आए थे, तो अब उन्हें ढूंढ लिया तो वापस जाओ, पर नहीं टारगेट लिया है। यह करने का, उसे तो पूरा ही करेंगे, साथ ही उसके ऊपर भी करके दिखाएंगे।
हनुमान जी ने सीता जी से आज्ञा ली की कुछ खा लूं, अब खाने का मतलब तो फल खाना ही था ना, लेकिन नहीं सारी की सारी अशोक वाटिका ही उजाड़ दी। पूरा उत्पात मचा कर, सारे पेड़ ही उखाड़ दिए। हाहाकार मच गया। रावण को जैसे ही खबर मिली कि एक बहुत बड़ा बंदर, उनकी लंका नगरी में घुस गया है तो उन्होंने अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा। जब अक्षय कुमार से भी बात नहीं बनी, तो रावण ने मेघनाथ को भेजा important lesson to understand in the management point of view हनुमान जी से लड़कर मेघनाथ हार गया। आखरी में हार कर मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र चलाया। हनुमान जी कहते हैं
कि अगर मैं ब्रह्मास्त्र का सम्मान नहीं करूंगा, तो ब्रह्मास्त्र की महिमा समाप्त हो जाएगी। लेकिन अगर कोई आम आदमी होता, तो शायद वह मर्यादा ही भूल जाता। लेकिन यह 100% मर्यादा में रहते हैं। हनुमान जी ने खुद को ब्रह्मास्त्र से बंधवा लिया और फिर उन्हें रावण के दरबार में ले जाया गया। रावण ने हनुमान को देखा, हनुमान जी ने रावण को देखा, रावण ने पूछा- तू कौन है हनुमान जी ने अपना परिचय दिया और रावण से कहा- बुद्धि से तो तुम बहुत ज्ञानी प्रतीत होते हो, बस अपना मन ठीक कर लो।
रावण ने पूछा- मन कैसे ठीक करूं? हनुमान जी बोले- बस प्रभु श्री राम की शरण में आ जाओ। चरण पकड़ लो। यह गुरु ने हमें सिखाया है, हम तुम्हें सिखाते हैं। दिए से दिया जलता है। रावण ने कहा- अब बंदर हमें सिखाएंगे।
बड़ा भारी बंदर गुरु बन रहा है। तू जानता है, हमारे यहां सीखाने का क्या फल मिलता है। हमारे यहां सीखने पर मृत्युदंड दिया जाता है। तुलसीदास जी लिखते हैं- कि रावण कहते हैं –
देख तेरे निकट मृत्यु खड़ी है। मृत्यु को रावण ने हनुमान जी के समीप ही खड़ा कर दिया। कि देख तेरे निकट मृत्यु खड़ी है। हनुमान जी मुस्कुरा रहे हैं। रावण ने कहा-मृत्यु तेरे निकट खड़ी है, तू हंस रहा है। हनुमान जी ने कहा- खड़ी मेरे निकट है, देख तुझे रही है।
रावण ने कहा- खड़ी तो तेरे पास है, तो देख मुझे क्यों रही है? हनुमान जी बोले हमसे तो पूछने आई है कि अभी मामला साफ कर दो या रुको, तो हमने रोक रखा है। आने से मान जाए तो ठीक, नहीं तो बाद में जो होगा, देखा जाएगा। बड़ा डिस्कशन हुआ, लेकिन सीखने की बात एक नहीं है , अनेकों चीजे आप सीख सकते हैं।
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जय जय हनुमान 🙏