Hanuman ji ki aarti-आज हम आपके लिए लाए हैं हनुमान जी की आरती। हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है कहा जाता है कि मंगलवार को हनुमान जी की आरती करने से हनुमान जी खुश होते हैं। आरती का अर्थ होता है- ईश्वर की भक्ति में पूरी श्रद्धा के साथ डूब जाना। हनुमान जी की आराधना से उनके भक्तों में एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। जो किसी भी प्रकार की बुराई का नाश करके, हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती है। मंगलवार को हनुमान जी की आरती करने से हनुमान जी खुश होते हैं अगर हनुमान जी को सच्चे मन से याद किया जाए तो अपने भक्तों का हर कष्ट दूर करते हैं।
Hanuman ji ki aarti lyrics in hindi | हनुमान जी की आरती
चलिए हम सभी हनुमान जी की आरती गाकर उनकी महिमा का गुणगान करें।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
Shiv ji ki aarti lyrics in hindi : शिवजी की आरती
शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ।Iॐ जय शिव..॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ।Iॐ जय शिव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव..॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव..॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव..॥
हनुमान जी से जुड़े कुछ रोचक प्रसंग | हनुमान जी की कहानियाँ
हनुमान जी की रहस्यमय शक्तियां और रोचक कहानियां
हनुमान और कृष्ण जी की अद्भुत कहानी
1 thought on “Hanuman ji ki aarti | हनुमान जी की आरती और उसके लाभ | आरती कीजै हनुमान लला की”