कैसे हनुमान जी का शरीर पत्थर का हुआ | hanuman katha
kaise hanuman ji ka sharir pathar ka hua-सतयुग में जब राम सेतु निर्माण के समय वानर सेना आपस में बात कर रही होती है कि इतने बड़े समुद्र में छोटे छोटे पत्थर नहीं बल्कि बड़े बड़े पत्थर होने चाहिए थे ताकि सेतु जल्दी से बन जाए। हनुमानजी इस बात को सुन पर्वत लाने के लिए उड़ान भरते हैं। रास्ते में गोवर्धन पर्वत देख , वहां रुकते हैं और गोवर्धन को जैसे ही छूते हैं तो उनका आधा शरीर पत्थर का बन जाता है।
गोवर्धन गुस्से में हनुमानजी से कहते हैं अरे बंदर तूने मुझे छुआ कैसे? तब हनुमानजी हाथ जोड़ विन्रमता से कहते हैं चाहो तो मैं तुम्हें एक झटके में उखाड़ देता। परंतु श्रीराम के सेतु निर्माण कार्य के लिए मैं तुम्हारी सहायता मांगने आया हूं। श्रीराम का नाम सुनते ही गोवर्धन आज्ञा दे देते हैं।
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गोवर्धन पर्वत हाथ में लिए जब हनुमानजी वापस चले आ रहे होते हैं तो उन्हें पता चलता है कि सेतु निर्माण का कार्य पूरा हो गया है तो बीच रास्ते में ही गोवर्धन पर्वत रख उन्हें पूरी बात बताते हैं और उनसे माफी मांगते हैं। तब गोवर्धन हनुमानजी से कहते हैं, मैं तुम्हें इसी शर्त में माप करूंगा कि तुम मुझे वचन दो कि प्रभु श्रीराम सिर्फ एक बार ही सही परंतु मुझे स्पर्श जरूर करेंगे।
हनुमानजी वचन दे देते हैं। दोस्तो, द्वापर युग में श्रीराम ने जब श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया तो उन्होंने गोवर्धन को अपनी उंगली में उठाया था।
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कैसे हनुमान जी का शरीर पत्थर का हुआ ?
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