श्री कृष्ण वाणी से ज्ञान ज्योति | Shree Krishna vaani gyan jyoti | Inspired speech from Shri Krishna hindi

कृष्ण वाणी-आजकल की जिंदगी में जो एक चीज हमें सबसे ज्यादा परेशान करती है। वह है, गुस्सा जो किसी भी बात पर आ जाता है। गुस्सा हमारे शरीर और मन को कितना नुकसान पहुंचता है। यह सब हम बचपन से सुनते आए हैं। ऐसे ही कृष्ण से एक दिन भीम ने अपने क्रोध को लेकर सवाल किया। क्योंकि भीम को काफी ज्यादा क्रोध आता था। भीम ने गंभीर होकर कृष्ण से सवाल किया-

कृष्ण वाणी के माध्यम से अपने भीतरी दुश्मनों से लड़ना है, न कि बाहरी

कान्हा आप तो जानते ही हैं मुझे अक्सर गुस्सा आ जाता है। और चाह कर भी खुद को काबू में नहीं रख पाता ,गुस्से में मैंने कई बार कितने गलत कदम उठाए हैं।

इसे भी जरूर पढ़े- श्रीमद्भगवद्गीता के ये श्लोक आपके जीवन से जुड़ी हर परेशानी का समाधान करेंगे

कान्हा भीम को जानते थे, और उसके क्रोध को भी, वह अच्छे से जानते थे कि न सिर्फ इस समय बल्कि आने वाली कई युगों तक क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होगा। इसलिए इस बारे में जानकारी देना जरूरी था। कृष्ण ने इतना सब सोचते हुए भीम को बताया। इंसान को लगता है कि उसका दुश्मन बाहर कहीं है। पर सच यह है कि उसका दुश्मन बाहर से पहले उसके खुद के भीतर ही होता है।

 

यह भी जाने! भगवान शिव की 11 सीख/11 Important lesson of Lord Shiva

Free vector maha shivratri festival blessings holiday card background

 

 

इसे भी जरूर पढ़े- महाभारत युद्ध के बाद वासुदेव और द्रुपदी का मार्मिक संवाद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा

इंसान को बाहर के दुश्मनों से लड़ने से पहले अपने भीतर के दुश्मनों से लड़ना चाहिए। उन भीतर के दुश्मनों में सबसे बड़ा दुश्मन हमारा क्रोध ही है। भीम, कृष्ण को देखकर समझने की कोशिश कर रहा था। पर उसे समझ आकर भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। कान्हा क्रोध भी तो, मन का ही एक भाव है। अगर प्रेम इंसान का भाव है तो क्रोध भी तो है। फिर उससे कुछ अच्छा क्यों नहीं होता ? और प्रेम से सब कुछ ही अच्छा हो जाता है।

प्रेम और क्रोध का संतुलन बनाकर चलना ही जीवन है

यह बहुत अच्छा सवाल है। भीम लोगों को लगता है कि प्रेम, दया, करुणा यह सब भाव अच्छे हैं। तो इनका जितना चाहे उतना इस्तेमाल कर सकते हैं। पर ऐसा नहीं है, किसी भी भाव के ज्यादा होने से आदमी अपना नुकसान ही करता है। चाहे वह प्रेम हो या क्रोध। भीम अपने दिमाग को दौड़ने आने की कोशिश कर रहा था। पर प्रेम के बारे में कान्हा की बात उसे अजब ही लग रही थी क्योंकि खुद कान्हा बहुत बड़े प्रेमी के रूप में जाने जाते थे।

इसे भी जरूर पढ़े- आप क्या जानते हैं श्री कृष्ण और अर्जुन युद्ध के बारे में

कान्हा प्रेम भला कैसे किसी का नुकसान कर सकता है ? प्रेम तो इस दुनिया का सबसे अच्छा भाव है। यह तो आप ही कहते हैं ना, कृष्णा भीम की दुविधा को समझ रहे थे। और यह देखकर उन्हें थोड़ी हंसी आ रही थी। उन्होंने अपनी सुंदर मुस्कान के साथ भीम को समझाया।

जरा सोचो भीम तुम किसी से प्यार करते हो ,और सिर्फ प्यार ही करते हो तो इससे क्या होगा? खाना कैसे आएगा? काम कैसे होगा ? बाकी चीजों का क्या होगा ? कपड़े क्या पहनोगे ? यह जो तुम इधर-उधर दिन भर घूमते हो, इसके पैसे कहां से आएंगे? भीम जीवन प्यार से नहीं चलता है। प्यार, क्रोध और दुनिया का हर एक भाव एक संतुलन में होना चाहिए। जिसने यह संतुलन बना लिया उसके लिए यह कठिन जीवन आसान हो जाता है। पर यह इतना आसान नहीं है, जितना मैं कह रहा हूं।

इसे भी जरूर पढ़े- दुनिया का एक मात्र अनोखा श्री कृष्ण और सुदामा मंदिर

यहां तक मैं खुद जो तुम्हें इतनी बातें बता रहा हूं। मुझे भी कभी-कभी बहुत क्रोध आता है तो आपको जब क्रोध आता है तब आप क्या करते हैं ?

क्रोध को क्या सच में काबू में किया जा सकता है ? क्या बिल्कुल भी क्रोध को काबू में करने के लिए हर इंसान को बस अपने मन को काबू में रखना होगा ?

अपने क्रोध को समझने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि कि हमें किन बातों से क्रोध आता है। किस समय क्रोध आता है।और क्रोध आते ही हम सबसे पहले क्या करने की कोशिश करते हैं। इन सब बातों को सोचते ही, पहले तो तुम्हें यह समझ में आ जाएगा, कि कई बार हम कितनी  छोटी-छोटी  बातों पर क्रोधित होते हैं, या फिर कई बार बड़ी लड़ाई कर बैठे हैं। सबसे पहले इन वजहों का पता लगाना होगा।

यह भी जाने!

5 तरीके ध्यान कैसे केंद्रित करें/ How to be focused

Spiritualism Awakening Meditation - Free photo on Pixabay - Pixabay

कान्हा आप कैसी बातें करते हैं? भला कोई क्रोध करते हुए यह सोचेगा कि मुझे क्रोध किस वजह से आ रहा है । वह तो सीधे क्रोध करेगा ना ? कृष्ण ने एक बहुत सुंदर मुस्कान भीम को दी, सही कह रहे हो भीम जी- पर अपने ऊपर काम करने वाले इंसान और बस यूं ही जीवन जीने वाले इंसान में यही तो फर्क होता है। जिसको अपना यह जीवन सुधारना है, और अपने क्रोध पर काबू पाना है। वह सबसे पहले हर वक्त सजग रहना शुरू करेगा।

इस बात पर सजग रहना की किस घटना से हमारे भीतर कौन से भाव पैदा हो रहे हैं। यह करना बहुत अभ्यास का काम है। पर जब हम इसे करने लगते हैं तो दो ही दिन में इसका असर दिखने लगता है। उस अभ्यास में हम ऐसा क्या कर सकते हैं ? जिससे हम अपने क्रोध को अपने काबू में कर सके। पिछली कई सदियों से आदमी अपनी सांसों को काबू में रखकर सब कुछ कर लेता रहा है। हर भाव का संबंध हमारी सांसों से जुड़ा है।

इसे भी जरूर पढ़े- हनुमान और कृष्ण जी की अद्भुत कहानी | hanuman aur krishna story

कृष्ण वाणी
कृष्ण वाणी

 

हम देखते होंगे कि जब हमें क्रोध आता है, तो हमारी सांसे कितनी तेज हो जाती है। और एक किस्म की बेचैनी हमारे शरीर में होती है। इसलिए जरूरी यही है कि हम रोज कुछ समय अपनी सांसों को काबू में करने का अभ्यास करें। योग या फिर प्राणायाम करना क्रोध को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है। तुम देखोगे की कितने ही साधु है, जो हमेशा ध्यान करते हैं, या फिर वह सभी लोग जो दिन के कुछ घंटे ध्यान लगाते हैं। उन्हें बाकी लोगों की तुलना में कम क्रोध आता है। उन लोगों का असल में अपनी सांसों पर काबू है।

जिन लोगों का अपनी सांसों पर काबू हो गया उसका बाकी सब पर भी काबू हो जाता है।

इसे भी जरूर पढ़े- कलयुग में पुण्य क्या है | What is virtue in Kalyug in hindi

परंतु कान्हा कभी-कभी क्रोध आना लाजिमी हो जाता है, इसके लिए क्या तरीका है कान्हा ? किसी भी गलती के लिए उस पर चिल्लाना या क्रोध करना सबसे आसान है। बल्कि उसे माफ करना या फिर उसे समझाना बहुत मुश्किल। हर आदमी गलती पर सिर्फ डांटता है, समझाता कोई नहीं। जो गुरु अपने शिष्य को उसकी गलती पर डांटता नहीं बल्कि समझता है ,वह शिष्य बहुत समझदार होता है। बल्कि डांटने वाले गुरुओं के बच्चों का  विश्वास कम हो जाता है और वह कुछ नहीं कर पाते।

इसलिए लोगों को माफ करना सीखना चाहिए। पति ,पत्नी ,बच्चे या फिर किसी भी रिश्ते में क्रोध ,कभी रिश्ते बनाता नहीं है। बस तोड़ता ही है। जो मां-बाप हमेशा बच्चों पर क्रोध करते हैं। वह बच्चे अपने मां-बाप से सच बोलना बंद कर देते हैं। अगर शांति से समझदारी से बात की जाए, तो हर बात आसान है। जो इंसान शांत स्वभाव का होता है। वह ज्यादा सुखी भी होता है, और अपने काम को अच्छे से कर पाता है। इसीलिए मैं चाहूंगा कि तुम भी बेवजह क्रोध करना छोड़ दो।

कान्हा यह बात इतनी आसानी से कोई पहले समझा देता, तो मैं अपनी इतनी शक्तियों को क्रोध पर कभी बर्बाद नहीं करता।

इसे भी जरूर पढ़े- मूर्ति में भगवान कैसे बसते हैं | Murti pooja

बस कान्हा एक आखरी बात एकदम से आए क्रोध को कैसे रोके?

जैसे ही क्रोध आए तुरंत अपनी सांसों पर ध्यान दो ,सांसे तेज चल रही थी, तो उन्हें सामान्य करो और फिर समस्या के बारे में सोचो, जिसके लिए तुम्हें क्रोध आ रहा था। कई बार बस चुपचाप बैठे-बैठे खींच भी आती है तो उसे खींच की जड़ तक पहुंचे। कई बार क्रोध हमें खुद पर आ जाता है, और इसे हम दूसरों पर उतरते हैं । दूसरों पर क्रोध उतारने वालों को ही सबसे ज्यादा योग और प्राणायाम की जरूरत होती है।

अगर ऐसे लोग दिन के कुछ पल भी अपनी सांसों को देंगे तो उन्हें बहुत लाभ होगा है। कान्हा अब मैं ऐसा ही किया करूंगा। कृष्ण ने अपने मन को काबू में रखने के लिए ठीक ही कहा था। क्रोध सबसे आसानी से आ जाता है, और लोग क्रोध में न जाने कितने गलत कदम उठा लेते हैं। जो भी आपको क्रोध आए एक लंबी सांस लीजिए, और उस बात और गंभीरता के बारे में सोचिए आप देखेंगे कि आपका क्रोध काफी हद तक काम हो गया है

आइए पढ़ते हैं एक रोचक सच्ची कहानी |  मनुष्य को अहंकार क्यों नहीं करना चाहिए ?

2 thoughts on “श्री कृष्ण वाणी से ज्ञान ज्योति | Shree Krishna vaani gyan jyoti | Inspired speech from Shri Krishna hindi”

Leave a Comment

error: