भगवान शिव से 11 सीख/11 Important lesson of Lord Shiva

ओम नमः शिवाय! भगवान शिव की 11 सीख जो आपके जीवन का मार्गदर्शन करती हैं। और आपको उत्तम जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। भगवान शिव के द्वारा बताए हुए इन 11 सूत्रों से आप अपना जीवन सफल बना सकते हैं। आईए जानते हैं क्या है भगवान शिव के द्वारा बताई गई महत्वपूर्ण जीवन के रहस्य।

1-पाप और बुराई को बर्दाश्त ना करें:- जो भी हो जाए पाप और बुराई को कभी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। भगवान शिव को कहा जाता था। बुराई और पाप को नष्ट करने वाला ,इसके सबसे बड़े उदाहरण है भगत सिंह वह बहुत बड़े नास्तिक थे। मगर भगवान शिव की सीख पर उनका नाम और उनका काम बिल्कुल सटीक बैठता है। उनसे अंग्रेजी शासन का न्याय सहन नहीं हुआ। जो यातनाएं अंग्रेज भारतीय लोगों  पर कर रहे थे। वह उनसे सहन नहीं हुई और महज 21 साल की छोटी सी उम्र में हमारे देश को स्वतंत्र करने का सपना देखा।

दिल्ली के संसद भवन में बम का धमाका किया और सोए हुए ब्रिटानिया साम्राज्य के कान खड़े कर दिए क्रांति के संग्राम में भगत सिंह का नाम सबसे ऊपर लिया जाने लगा। और आज भी भारत देश के सबसे महान सबसे वीर क्रांतिकारी जिस पर डर कभी काबू न कर पाया। जिससे अन्याय पाप और बुराई कभी सहन नहीं हो सकी।

2-आत्मनियंत्रण, जीवन को पूर्णतया जीने की कुंजी है:- आत्म नियंत्रण जीवन को पूरी तरह जीने की कुंजी है। वह इसलिए क्योंकि एक अनियंत्रित मन आपको विनाशकारी जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकता है। जब आप अपना फोकस खो देते हैं। अपनी इच्छाओं और व्यासनो के शिकार हो जाते हैं तो आप अपनी जंग और अपनी लड़ाई नहीं जीत सकते। इसीलिए अपने दिमाग को और दिल को अपने लक्ष्य के साथ जोड़ के रखना बहुत आवश्यक है। एक अनियंत्रित मन ना कभी किसी का हुआ था और ना कभी किसी का होगा। जिसका अपने आप पर काबू नहीं अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं अपने जीवन पर कैसे काबू करेगा।

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कितने ही उदाहरण है हमारे सामने जिनके पास सब कुछ होते हुए भी उन्होंने सब कुछ गवा दिया। सिर्फ एक चीज के चलते और वह थी उनका अपने आप से खुद पर काबू न कर पाना इसलिए जितना है उतने में संपन्न रहना सिखो और की मेहनत करें मगर कभी भी अपने व्यासनो का गुलाम ना बने खुश रहना सिखो।

3-शांत रहे और अपने काम में व्यस्त रहे:- शिव भगवान को महायोगी कहा जाता है। उन्होंने ब्रह्मांड की भलाई के लिए वर्षों ध्यान लगाया था। उनके मन की शांत स्थिति केवल अत्यधिक करण से परेशान थी। लेकिन वह हमेशा ध्यान की स्थिति में ही होते थे। इस प्रकार तथ्य को उजागर करते हुए किसी समस्या को सुलझाने के लिए आपके मन का शांत होना वास्तव में सबसे अच्छी रणनीति है। सबसे बड़ा उदाहरण इस सीख का है महेंद्र सिंह धोनी हमारे कप्तान।

जिनका जीत में भी एक सा स्वरूप और हार में भी एक सा स्वरूप खेल असमंजस में हो तो भी एक सा स्वरूप खेल मुट्ठी में हो तो भी एक सा स्वरूप और यह शांति का स्वरूप ही उन्हें विजय दिलाता है। और उन्हें देश का सर्वोच्च खिलाड़ी बनता है। जिसे सदैव याद किया जाएगा और उनकी सबसे बड़ी ताकत इनका अपने आप पर शांति का कवच ओढ़ रखना कोशिश कीजिए क्या पता आपको भी काम आ जाए। स्वयं पर संतुलन और मन का शांत होना अत्यंत जरूरी है।

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4-भौतिकवादी खुशी लंबे समय तक नहीं रहती:- एक बार जरा शिव भगवान की पोशाक पर नजर डालें। आपको क्या दिखता है। केवल त्रिशूल और डमरू के साथ भगवान शिव हमेशा धन से दूर ही रहे। यदि आप धन और भौतिकवादी चीजों से ही जुड़े हैं आप अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर रहे हैं। भौतिकवादी आनंद अस्थाई है। आपको घटनाओं और अनुभव में इस जीवन में अपनी खुशी खोजने की जरूरत है ना की चीजों में जो मिट्टी से आई थी। और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगी। इस सीख का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे लिए मार्गदर्शन है।

हमारे पूर्वज वह पीढ़ी जो खुले आसमान के नीचे जीना जानती थी। वह पीढ़ी जिसे कभी ज्यादा चीजों की जरूरत नहीं पड़ी। और वह पीढ़ी जिसने अपने जीवन को एक शांति में और सुख के भाव के साथ जिया। और आज हमें देखिए हमारे पास इतने सारे यंत्र होते हुए भी इतनी सारी चीज होते हुए भी हमें कहीं खुशी का एहसास ही नहीं मिलता। क्योंकि हमारी खुशी उन चीजों में अटक कर रह जाती है।

हमें लगता है कि हमने इन चीजों को खरीदा है। लेकिन हम यह नहीं समझ पाए कि हम खुद इन चीजों के गुलाम हो चुके हैं। जितनी कम चीजों का आपको लोभ होगा उतना ही खुद को संपन्न सुखी और एक खूबसूरत मन की रचना करेंगे।

5-नकारात्मक भाव को शालीन तरीके से खत्म करें:- नकारात्मकता को एक आसान तरीके से खत्म करें। जब कोई साथ नहीं होता। तब भी ईश्वर का साथ आपके साथ होता है। और जब हर कोई साथ होता है तो आपको अहंकार के कारण आपको ऐसा प्रतीत होता है। कि यह सब तो मेरी वजह से है। लेकिन नहीं यह सब भी सिर्फ ईश्वर के आशीर्वाद के कारण ही है। तो जब आपको नकारात्मकता घेर ले तो कभी भी आपको नकारात्मकता के ताले नहीं दबना चाहिए। बल्कि सकारात्मक के साथ उसे खत्म करना चाहिए।

भले ही मुट्ठी भर सकारात्मक से शुरुआत कीजिए। देखते-देखते सकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर में समा जाएगी। और नकारात्मकता को आपके मन में हावी नहीं होने देगी।

6-इच्छाएं आपके विनाश का कारण बनेगी:- भगवान शिव से छठी सीख हमारी इच्छाएं हमें सनकी जुनून की और ले जाती हैं। और यह सनक से भरा हुआ जुनून आपके विनाश का कारण बन जाता है। क्योंकि शिव भगवान इच्छाओं से मुक्त थे। महाकाल ने कभी भी चीजों पर ध्यान नहीं दिया। यह एक तथ्य है की इच्छाएं हमेशा जुनून की और ले जाती है। और हम अगर यह न प्राप्त कर सके तो यह बदले में हमें आपको विनाशकारी बनाने का काम कर सकती है।

द्वितीय विश्व युद्ध वर्ल्ड वॉर 2 तख्त पर बैठा हुआ तानाशाह एक् सनकी और न जाने किन विचारों से भरा हुआ दिमाग जिसे पूरी दुनिया में हिटलर के नाम से जाना गया 6 करोड़ यहूदियों का हत्यारा है। उसके पास क्या कुछ नहीं था।जर्मनी उस वक्त के दौरान काफी प्रगतिशील देश था। लेकिन एक सनकी सोच कि मैं बनूंगा पूरे विश्व का राजा और और पूरे यूरोप पर शासन करूंगा। लेकिन एक घटना ने पूरे इतिहास को बदल कर रख दिया। तृतीय विश्व युद्ध का आगाज हुआ।

जब जर्मनी ने अपने से कमजोर देशो पर हमले से शुरुआत की और यूरोप पर जंग का ऐलान कर दिया। पर हुआ क्या जर्मनी का सर्वनाश और हिटलर की आत्महत्या मगर इन सब के पीछे कितनी जान गई। ऐसी मासूम जानो का हत्यारा एक सनकी दीवानगी से भरा इंसान था। जिसे लोगों ने भगवान की तरह पूजा और जिसकी एक सोच ने यह की “पूरी दुनिया पर उसका राज होगा उसकी शक्ति का नाम होगा” उसको और वहां की सभ्यता दोनों को ही ले डूबा।

7-अपने साथी का सम्मान करें:- भगवान शिव से सातवीं सीख की पति पत्नी आपस में एक दूसरे को सम्मान दें। आसान शब्दों में अपने साथी का सम्मान करें। और उसका साथ निभाए शिव भगवान की तरह शिव भगवान अर्धनारीश्वर थे। जहां उनका आधा हिस्सा पार्वती थी। उन्होंने पार्वती मां के साथ अत्यंत सम्मान और प्रेम का भाव रखा। वह उनकी शक्ति थी। और उन्होंने उन्हें वह महत्व दिया जिसकी वह हकदार थी।

इस तरह आम जिंदगी में हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। अपने साथी की तरफ इस सीख के लिए सबसे बड़ा उदाहरण है। इंफोसिस के कर्ता धर्ता नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति जिन्होंने एक दूसरे को विश्वास सम्मान और हर कदम पर एक दूसरे का साथ निभाया।और एक ऐसे पति-पत्नी की जोड़ी है। जिसे हर चीज सीखी जानी चाहिए। जो आपको जिंदगी में केवल आगे ही लेकर जाएगी अपनी पत्नी का सम्मान करें अपने पति का सम्मान करें।

8-अहंकार को,अपने गर्व को नियंत्रित करें:- आपको अपने अहंकार को अपने घमंड को नियंत्रित करना चाहिए। और गर्व से जितना दूर हो सके उतना रहना चाहिए। आपका अहंकार आपका घमंड एक मात्र ऐसा काम है। जो आपको महानता प्राप्त करने से रोकता है। यही आपका अहंकार आपके लक्ष्य और आपके सपनों के बीच आता है। और आपको कम प्यार करने वाला बनाता है। ऐसा कहा जाता है कि शिव भगवान ने अपनी अहंकार को बनाए रखने के लिए अपने त्रिशूल को धारण किया।

उन्होंने कभी अपने अहंकार को अपने से बेहतर नहीं होने दिया। दूसरी और ना ही उन्होंने किसी और के अहंकार को सहन किया।अहंकार इतना बड़ा शत्रु है कि उसने भगवान शिव के परम भक्त को भी नहीं छोड़ा और उसे अपनी मौत के द्वारा तक पहुंचा। शायद आप समझ ही गए होंगे परम शिव भक्त दशानन रावण उसके पास इतनी ताकत ,इतना ज्ञान स्वयं शिव शंभू का आशीर्वाद था। आखिर अहंकार ने उसे भी मिट्टी में मिला दिया।

अपनी अहंकार के नशे में धुत होकर उसने यह न जाना कि वह जो कर रहा है वह अधर्म का कार्य है। और परम शिव भक्त होने के बावजूद और महाकाल का वरदान होने के बावजूद आखिर अहंकार ही दशानन के विनाश का कारण बना।

9-पूरा शोध करके ही किसी चीज को करें:- किसी ऐसी चीज के बारे में पूरी तरह शोध करें। जिसमें आप जाने की संभावना रखते हैं। शिव भगवान महाकाल के जटाओं में बंधी गंगा अज्ञानता का प्रतीक है। कहा जाता है की बड़ी से बड़ी जंग ताकत से नहीं बल्कि दिमाग से लड़ी जाती है। यह बहुत जरूरी है की जंग में जाने से पहले हमें अपने दुश्मन की ताकत को भी समझ लेना चाहिए। हमारे पास वह सारी खुफिया जानकारी होनी चाहिए जो कि उस जंग को जीतने के लिए आवश्यक है।

अगर हमने अपने दुश्मन की ताकत को नहीं पहचाना तो हमें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। जंग तो लड़ी जाती है मगर एक जंग और होती है जो जंग के मैदान से बाहर होती है। और वह होती है हमारे पास सही जानकारी होना जो आपको सही वक्त पर काम आए। इसीलिए अगर कभी किसी महत्व पूर्ण कार्य के लिए जाएं तो उससे जुड़ी हर छोटी से छोटी जानकारी भी जरूर हासिल करें।

10-सब कुछ अस्थाई है:- यह समझिए कि सब कुछ अस्थाई है। जो आज है शायद वह कल ना हो। जो महायोगी होते हैं वह इस मोह माया की जाल में नहीं आते हैं। वह जानते हैं कि जीवन अकल्पनिक है। और जो आज होता है। वह हमेशा के लिए नहीं होने वाला। समय बदलता है। और और हम भी वक्त के साथ बदलते रहते हैं। और फिर आखिरकार महायोगियों में सबसे आदियोगी है हमारे शिव भगवान। तो समझिए जीवन में जो आज है वह शायद कल नहीं होगा।

परिवर्तन ही संसार का नियम है। और कभी भी कोई चीज स्थाई नहीं है। वक्त बदलता है इंसान बदलते हैं हालात बदलते हैं। दुख अगर महसूस हो रहा है तो याद रखिए सुख के दिन भी आएंगे।

11-नृत्य की कला:- भगवान शिव को एक और नाम से भी पुकारा जाता है। और वह है नटराज। यानी की नृत्य के राजा और इन्हें पूरे विश्व में इसी रूप में जाना जाता है। यद्यपि उनके तांडव नृत्य ने दुनिया को नष्ट कर दिया था। प्रलय के मुख पर लाकर खड़ा कर दिया था। लेकिन यह भी एक कला थी। जो भगवान शिव से हम इंसानों को मिली है।

जिन लोगों को इस कला का इस्तेमाल पूर्ण रूप से आता है। उनके लिए यह कला किसी वरदान से कम नहीं। मन खोल कर करना चाहिए बिल्कुल भगवान शिव की तरह लेकिन तांडव ना करें वह सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं जब उन्हें अत्यंत क्रुद्ध का एहसास होता है।

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