🚩 Maya mili na Ram- इस कहावत का अर्थ है कि हमारी जीवन में जब हम माया के पर्दे को हटाकर सच्चे आत्मा को समझते हैं, तब ही हमें भगवान या परमात्मा का अनुभव होता है। माया हम धरतीवासियों को भ्रांति में डालती है और हमें वास्तविकता से दूर कर देती है, जिससे हम असली सत्य से विचलित हो जाते हैं। आत्मा को पहचानने के लिए हमें मायाओं से परे जाना होता है और सच्चे स्वरूप को समझना होता है।
शिक्षाप्रद कहानियाँ | Maya mili na Ram | Inspirational story | Anmol kahaniyaa |
किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम हीरा था और दूसरे का मोती. दोनों में गहरी दोस्ती थी और वे बचपन से ही खेलना-कूदना, पढना-लिखना हर काम साथ करते आ रहे थे। जब वे बड़े हुए तो उनपर काम-धंधा ढूँढने का दबाव आने लगा. लोग ताने मारने लगे कि दोनों निठल्ले हैं और एक पैसा भी नही कमाते।
एक दिन दोनों ने विचार-विमर्श कर के शहर की ओर जाने का फैसला किया. अपने घर से रास्ते का खाना पीना ले कर दोनों भोर होते ही शहर की ओर चल पड़े। शहर का रास्ता एक घने जंगल से हो कर गुजरता था. दोनों एक साथ अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे थे. रास्ता लम्बा था सो उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का फैसला किया.
मूर्ति में भगवान कैसे बसते हैं
दोनों दोस्त विश्राम करने बैठे ही थे की इतने में एक साधु वहां पर भागता हुआ आया. साधु तेजी से हांफ रहा था और बेहद डरा हुआ था। मोती ने साधु से उसके डरने का कारण पूछा।
साधु ने बताय कि-आगे के रास्ते में एक डायन है और उसे हरा कर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, मेरी मानो तुम दोनों यहीं से वापस लौट जाओ। इतना कह कर साधु अपने रास्ते को लौट गया।
हीरा और मोती साधु की बातों को सुन कर असमंजस में पड़ गए. दोनों आगे जाने से डर रहे थे। दोनों के मन में घर लौटने जाने का विचार आया, लेकिन लोगों के ताने सुनने के डर से उन्होंने आगे बढ़ने का निश्चेय किया।
पारस पत्थर की कहानी | शिक्षाप्रद प्रेरणादायक आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियाँ
आगे का रास्ता और भी घना था और वे दोनों बहुत डरे हुए भी थे. कुछ दूर और चलने के बाद उन्हें एक बड़ा सा थैला पड़ा हुआ दिखाई दिया. दोनों दोस्त डरते हुए उस थैले के पास पहुंचे।
उसके अन्दर उन्हें कुछ चमकता हुआ नज़र आया. खोल कर देखा तो उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा. उस थैले में बहुत सारे सोने के सिक्के थे. सिक्के इतने अधिक थे कि दोनों की ज़िंदगी आसानी से पूरे ऐश-ओ-आराम से कट सकती थी. दोनों ख़ुशी से झूम रहे थे, उन्हें अपने आगे बढ़ने के फैसले पर गर्व हो रहा था।
साथ ही वे उस साधु का मजाक उड़ा रहे थे कि वह कितना मूर्ख था जो आगे जाने से डर गया। अब दोनों दोस्तों ने आपस में धन बांटने और साथ ही भोजन करने का निश्चेय किया। दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए. हीरा ने मोती से कहा कि वह आस-पास के किसी कुएं से पानी लेकर आये, ताकि भोजन आराम से किया जा सके।मोती पानी लेने के लिए चल पड़ा।
मोती रास्ते में चलते-चलते सोच रहा था कि अगर वो सारे सिक्के उसके हो जाएं तो वो और उसका परिवार हमेशा राजा की तरह रहेगा. मोती के मन में लालच आ चुका था।
वह अपने दोस्त को जान से मर डालने की योजना बनाने लगा. पानी भरते समय उसे कुंए के पास उसे एक धारदार हथियार मिला।उसने सोचा की वो इस हथियार से अपने दोस्त को मार देगा और गाँव में कहेगा की रास्ते में डाकुओं ने उन पर हमला किया था. मोती मन ही मन अपनी योजना पर खुश हो रहा था।
वह पानी लेकर वापस पहुंचा और मौका देखते ही हीरा पर पीछे से वार कर दिया. देखते-देखते हीरा वहीं ढेर हो गया। मोती अपना सामान और सोने के सिक्कों से भरा थैला लेकर वहां से वापस भागा।
कुछ एक घंटे चलने के बाद वह एक जगह रुका। दोपहर हो चुकी थी और उसे बड़ी जोर की भूख लग आई थी. उसने अपनी पोटली खोली और बड़े चाव से खाना-खाने लगा। लेकिन ये क्या ? थोड़ा खाना खाते ही मोती के मुँह से खून आने आने लगा और वो तड़पने लगा।
उसे एहसास हो चुका था कि जब वह पानी लेने गया था तभी हीरा ने उसके खाने में कोई जहरीली जंगली बूटी मिला दी थी. कुछ ही देर में उसकी भी तड़प-तड़प कर मृत्यु हो गयी। अब दोनों दोस्त मृत पड़े थे और वो थैला यानी माया रूपी डायन जस का तस पड़ा हुआ था।
जी हाँ दोस्तों उस साधु ने एकदम ठीक कहा था कि आगे डायन है. वो सिक्कों से भरा थैला उन दोनों दोस्तों के लिए डायन ही साबित हुआ. ना वो डायन रूपी थैला वहां होता न उनके मन में लालच आता और ना वे एक दूसरे की जान लेते।
*💐💐शिक्षा💐💐*
दोस्तों! यही जीवन का सच भी है. हम माया यानी धन-दौलत-सम्पदा एकत्रित करने में इतना उलझ जाते हैं कि अपने रिश्ते-नातों तक को भुला देते हैं. माया रूपी डायन आज हर घर में बैठी है. इसी माया के चक्कर में इंसान हैवान बन बैठा है. हमें इस प्रेरक कहानी से ये सीख लेनी चाहिए की हमें कभी भी पैसे को ज़रुरत से अधिक महत्त्व नहीं देना चाहिए और अपनी दोस्ती… अपने रिश्तों के बीच में इसको कभी नहीं लाना चाहिए.
और हमारे पूर्वज भी तो कह गए हैं-
माया के चक्कर में दोनों गए, न माया मिली न राम
इसलिए हमें हमेशा माया के लोभ व धन के लालच से बचना चाहिए और ज्यादा ना सही पर कुछ समय भगवान् की अराधना में ज़रूर लगाना चाहिए।
इसे भी जरूर पढ़े-निस्वार्थ भाव से भक्ति / Selfless devotion with God
अगर जीवन में उतार ना पाओ तो सारा ज्ञान बेकार है | MOTIVATIONAL STORY
आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियाँ | शिक्षाप्रद कहानियाँ
फूटा हुआ घड़ा | छोटी कहानी इन हिंदी | Short Story in Hindi | बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां
राधे राधे जपने से क्या लाभ है | What is the benefit of chanting Radhe Radhe | Premanand Maharaj Ji
भगवत प्राप्ति कैसे करें | गृहस्थ जीवन में भगवतप्राप्ति | Premanand Maharaj ji | Akantik Vaartalaap
धार्मिक कर्म से पाप मुक्ति | Dharmik Karma Se Paap Mukti | Guru Vani | Premanand ji Maharaj
आकर्षण के स्वामी | The Lord of Attraction | भक्ति योग का दर्शन | Krishna consciousness
50 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग | हिंदी मुहावरे और अर्थ और वाक्य | Idioms meaning in hindi
माता के भजन हिन्दी में lyrics | Mata ke Bhajan Hindi me Lyrics | माता के भजन लिरिक्स
100 हिन्दी चुटकुले | हँसाने मजेदार चुटकुले | हंसी के चुटकुले हिंदी में | Funny jokes in Hindi
पूर्व जन्म के कर्म | प्रेमानंद महाराज जी :4 | Ekantik Vartalaap | एकांतिक वार्तालाप | प्रश्नोत्री
मुंशी प्रेमचंद | बूढ़ी काकी | मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां | हिंदी कहानियाँ
चंदनबाला | Chandanbala Story in Hindi
कृष्ण का विराट रूप: ब्रह्मांड का दिव्य स्वरूप | प्रसंग | Gupt Gyaan
महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है | महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है | Mahashivratri 2025
श्री कृष्ण और रुक्मणी प्रेमकथा
जय श्री कृष्णा जाने दान का सही अर्थ। कृष्णा और अर्जुन की बहुत ही सुन्दर कहानी। एक बार अवश्य पढ़े।
1 thought on “माया मिली न राम | Maya mili na Ram | Adhyatmik Gyanvardhak kahaniyaa”