एक छोटी सी कहानी शिक्षा वाली-जीवन एक कर्म युद्ध का मैदान है। सहनशीलता और संयम खोकर कोई भी इसमें सुखी नहीं रह सकता। जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं, हमारी समस्याएं भी नहीं। एक प्रतीक है क्यों न हम सब भी एक-एक वृक्ष ढूँढ लें ताकि घर की दहलीज पार करने से पहले अपनी सारी चिंताएं बाहर ही टांग आए। पढ़िए।
सरला नाम की एक महिला थी। रोज वह और उसके पति दोनो सुबह ही काम पर निकल जाते थे।दिन भर पति ऑफिस में अपना टारगेट पूरा करने की ‘डेडलाइन’ से जूझते हुए साथियों की होड़ का सामना करता था।
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बॉस से कभी प्रशंसा तो मिली नहीं और तीखी-कटीली आलोचना चुपचाप सहता रहता था।पत्नी सरला भी एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करती थी। वह अपने ऑफिस में दिनभर परेशान रहती थी।ऐसी ही परेशानियों से जूझकर सरला शाम को लौटती है। खाना बनाती है।शाम को घर में प्रवेश करते ही बच्चों को वे दोनों नाकारा होने के लिए डाँटते थे पति और बच्चों की अलग-अलग फरमाइशें पूरी करते-करते बदहवास और चिड़चिड़ी हो जाती है।
घर और बाहर के सारे काम उसी की जिम्मेदारी हैं।थक-हार कर वह अपने जीवन से निराश होने लगती है। उधर पति दिन पर दिन खूंखार होता जा रहा है। बच्चे विद्रोही हो चले हैं।एक दिन सरला के घर का नल खराब हो जाता है। उसने प्लम्बर को नल ठीक करने के लिए बुलाया…! प्लम्बर ने आने में देर कर दी… पूछने पर बताया कि…साइकिल में पंक्चर के कारण देर हो गई।
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घर से लाया खाना मिट्टी में गिर गया, ड्रिल मशीन खराब हो गई, जेब से पर्स गिर गया…।इन सब का बोझ लिए वह नल ठीक करता रहा।काम पूरा होने पर… महिला को दया आ गई और वह उसे गाड़ी में छोड़ने चली गई। प्लंबर ने उसे बहुत आदर से चाय पीने का आग्रह किया।
प्लम्बर के घर के बाहर एक पेड़ था। प्लम्बर ने पास जाकर उसके पत्तों को सहलाया, चूमा और अपना थैला उस पर टांग दिया।
घर में प्रवेश करते ही उसका चेहरा खिल उठा। बच्चों को प्यार किया, मुस्कराती पत्नी को स्नेह भरी दृष्टि से देखा और चाय बनाने के लिए कहा।
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सरला यह देखकर हैरान थी। बाहर आकर पूछने पर प्लंबर ने बताया… यह मेरा परेशानियां दूर करने वाला पेड़ है।मैं सारी समस्याओं का बोझा रातभर के लिए इस पर टाँग देता हूं और घर में कदम रखने से पहले मुक्त हो जाता हूं… चिंताओं को अंदर नहीं ले जाता।सुबह जब थैला उतारता हूं तो वह पिछले दिन से कहीं हलका होता है।
काम पर कई परेशानियाँ आती हैं, पर एक बात पक्की है- मेरी पत्नी और बच्चे उनसे अलग ही रहें, यह मेरी कोशिश रहती है। इसीलिए इन…समस्याओं को बाहर छोड़ आता हूं।
*प्रार्थना करता हूं कि… भगवान मेरी मुश्किलें आसान कर दें। मेरे बच्चे मुझे बहुत प्यार करते हैं, पत्नी मुझे बहुत स्नेह देती है, तो भला मैं उन्हें परेशानियों में क्यों रखूँ।उसने राहत पाने के लिए कितना बड़ा दर्शन खोज निकाला था…! जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।
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