प्राण शक्ति
हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है। हमारे जीवन जीने के ढंग के मुताबिक हमारी प्राण शक्ति का हस्र या विकास होता है। हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने योग दृष्टि से अंतर दृष्टि से जीवन का निरीक्षण करके जीवन शक्ति के रहस्य खोज के लिए थे।
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शुद्ध सात्विक, सदाचारी जीवन और विधिवत योगाभ्यास के द्वारा जीवन शक्ति का विकास करके कैसी-कैसी रिद्धियां सिद्धियां हासिल की जा सकती हैं। आत्म उन्नति के अनेक शिखरों तक पहुंचा जा सकता है। इसकी झांकी ऋषि पतंजलि के योग दर्शन तथा अध्यात्म विद्या के शस्त्रों में मिलती है। योग विद्या और ब्रह्म विद्या के इन सूक्ष्म रहस्यों का लाभ जाने-अनजान में भी आम जनता तक पहुंच जाए, इसलिये प्रज्ञावान ऋषियों ने सनातन सत्य की अनुभूति के लिए जीवन प्राणली बनाई।
विधि निषेध का ज्ञान देने वाले शास्त्र और विभिन्न स्मृतियों की रचना की। मानव यदि इमानदारी से शास्त्र विहित मार्ग से जीवन यापन करें तो, अपने आप उसकी प्राण शक्ति विकसित होती रहेगी। शक्ति के हस्र होने के कारणों से बच जाएगा। उसका जीवन उन्नति के मार्ग से चलकर अंत में आत्म विश्रांति के पथ पर पहुँच जाएगा।
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प्राचीन कल में मानव का अंतःकरण शुद्ध था। उसमें श्रद्धा का निवास था। वह गुरु और शास्त्रों के वचनों के मुताबिक आत्मा उन्नति के मार्ग पर चल पड़ा था। आजकल का मानव प्रयोगशील और वैज्ञानिक अभिगम वाला हो रहा है। विदेश में कई बुद्धिमान विद्वान वैज्ञानिक, वीर हमारे ऋषियो मुनियों के आध्यात्मिक खजाने का प्रयोग नए अधिगम से खोजकर विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं कि वह खजाना कितना सत्य और जीवन उपयोगी है।
हमारे शोध कर्ताओ ने प्राण शक्ति पर गहन अध्ययन और प्रयोग किए हैं, किन-किन कारणों से प्राण शक्ति का विकास होता है और उसका हस्र कैसे होता है, यह बताया है।
निम्लिखित बातों का प्रभाव हमारी जीवन शक्ति पर पड़ता है
- मानसिक आघात, खिंचाव ,घबराहट, तनाव
- भाव भाव
- संगीत
- प्रतीक
- लोक समर्पण व सामाजिक वातवरण
- भौतिक वातावरण
- आहार
- शारीरिक स्थिति
मानसिक आघात, खिंचाव ,घबराहट, तनाव का प्रभाव | Effect of mental trauma, strain, nervousness, stress in hindi
हमारे शोध कर्ताओ ने कई प्रयोग करके देखा कि जब कोई व्यक्ति अचानक किसी तीव्र आवाज को सुनता है, तो आवाज के आघात के करण उसी समय उसकी जीवन शक्ति कम हो जाती है, वह घबरा जाता है। वन में जब सिंह गर्जना करता है, तब हिरण आदि प्राणियों की जीवन कम जाती है। जंगल के सभी जानवर इधर-उधर भागने लगते हैं। सिंह को शिकार पाने में ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता।
हमारे शोध कर्ताओ ने यंत्रों की सहायता से देखा की अगर हम अपने जीभ का अग्र भाग तालु स्थान में दांत से करीब आधा सेंटिमीटर पीछे लगा कर रखे, तो हमारी प्राण शक्ति कम होने से बच सकती है तालुस्थान में जीभ लगाने से प्राण शक्ति केन्द्रित हो जाती है।
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इसलिए प्राचीन काल से ही योगी जन तालुस्थान में जीभ लगाकर जीवन शक्ति को बिखरने से रोकते रहेंगे। हमारे शोध कर्ताओ ने मंत्र जप एवं ध्यान करने वाले साधकों पर प्रयोग करके निश्कर्ष निकाला कि जप और ध्यान के समय इस प्रकृति से जिन साधकों की जीवन शक्ति केन्द्रित होती थी, उनमे जप ध्यान से शक्ति बढ़ रही थी। वह अपने को बलवान महसुस कर रहे थे। अन्य साधक इस प्रक्रिया के बिना जब ध्यान करते थे, तो उन साधकों की अपेक्षा दुर्बलता महसुस करते थे।
जीभ को जब तालु स्थान में लगया जाता है तब मस्तिष्क के दाएं और बाएं दोनो भागो में संतुलन रहता है जब ऐसा संतुलन होता है तब व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास होता है। जब हमारे मस्तिष्क का विकास होता है तो प्रतिकूलताओं का सामना सरलता से हो सकता है।
जब मानसिक तनाव, खिंचाव, घबराहट का समय हो, तब जीभ को तालु स्थान से लगाए रखने से जीवन शक्ति कम नहीं होती। शक्ति सुरक्षा का यह एक अच्छा उपाय है। जो बात आज वैज्ञानिक सिद्ध कर रहे हैं। वह हमारे ऋषि मुनियों ने प्राचीन कल से ही प्रयोग में ला दी थी, खेद है कि आज का मानव इतना फ़ायदा नहीं उठा रहा है।
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कुदरती दृश्य देखने से, प्राकृतिक सौंदर्य के चित्र देखने से, जल राशि, सरिता, सरोवर, सागर आदि देखने से, हरियाली, वन आदि देखने से, आकाश की ओर निहारने से, हमारे दाएं-बाएं दोनो मस्तिश्कों को संतुलित होने में सहायता मिलती है। इसलिए हमारे देवी देवताओं के चित्रों के पीछे इस प्रकार के दृश्य रखे जाते हैं। कोई प्रिय काव्य, गीत, भजन आदि का उच्चारण करने से भी जीवन शक्ति का संरक्षण होता है।चलते वक्त दोनों हाथ आगे-पीछे हिलाने से भी प्राण शक्ति का विकास होता है।
भाव का प्रभाव | Effect of Sentiment in hindi
ईर्ष्या, घृणा, तिरस्कार, भय आदि भावों से जीवन शक्ति का हस्र होता हैं। दिव्या प्रेम, श्रद्धा, विश्वास ,हिम्मत और कृतज्ञता से जीवन शक्ति पुष्ट होती है। हंसने से और मुस्कुराने से प्राण शक्ति बढ़ती है। इतना ही नहीं हंसते हुए व्यक्ति को या उसके चित्र को भी देखने से जीवन शक्ति का विकास होता है। हमारे शोध कर्ताओ का कहना है कि धन्यवाद के भाव से भी जीवन शक्ति का विकास होता है। अगर हमारी जीवन शक्ति बहुत ही कमजोर है, अनिद्रा का रोग हो जाता है। रोग प्रतिरोधक शक्ति भी हमारी कमजोर हो जाती है और तभी हम बहुत सारे रोगों से घिर जाते हैं।
संगीत का प्रभाव | Influence of music in hindi
विश्व भर में सात्विक संगीतकार हमेशा दीर्घायु पाए गए हैं। इसका रहस्य यह है कि संगीत जीवन शक्ति को बढ़ाता है। कान द्वारा संगीत सुनने से तो यह लाभ होता ही है, अपितु कान बंद करवा कर भी व्यक्ति के पास संगीत बजाया जाए तो भी संगीत के स्वर, ध्वनि की तरंगे उसके शरीर को छूकर जीवन शक्ति को बढ़ाती है। इस प्रकार संगीत आरोग्यता के लिए लाभदाई है।
जल प्रताप, झरनों, नदियों और पानी से आती कल-कल मधुर ध्वनि से भी जीवन शक्ति का विकास होता है। पक्षियों के कलरव से भी प्राण शक्ति बढ़ती है। पाश्चात्य जगत में प्रसिद्ध रॉक संगीत बजाने वाले एवं सुनने वाले की जीवन शक्ति का हस्र होता है। प्रयोग से सिद्ध हुआ है, श्री कृष्ण बांसुरी बजाया करते थे, उसका क्या प्रभाव पड़ता था। यह संपूर्ण जगत जनता है। श्री कृष्ण जैसा संगीतज्ञ विश्व में और कोई नहीं हुआ।
नारद जी भी वीणा और करताल के साथ हरि स्मरण किया करते थे। उन जैसा मनोवैज्ञानिक संत मिलना मुश्किल है। वह मनोविज्ञान के स्कूल कॉलेज नहीं गए थे। मन को जीवन तत्व में विश्रांति दिलाने से मनोवैज्ञानिक योग्यताएं अपने आप विकसित होती हैं।
प्रतीक का प्रभाव | Effect of symbol in hindi
विभिन्न प्रतीक का प्रभाव भी जीवन शक्ति पर गहरा पड़ता है। स्वास्तिक समृद्धि व अच्छे भाव का सूचक है।
स्वास्तिक: स्वास्तिक से जीवन शक्ति बढ़ती है। स्वास्तिक समृद्धि व अच्छे भावों का सूचक है। उसके दर्शन से जीवन शक्ति बढ़ती है। जर्मनी में हिटलर की नाजी पार्टी का निशान स्वास्तिक था। क्रूर हिटलर ने लाखों यहूदियों को मार डाला था। वह जब हार गया तब जिन यहूदियों की हत्या की जाने वाली थी, वह सब मुक्त हो गए। तमाम यहूदियों के हृदय में हिटलर और उसकी पार्टी के लिए घृणा थी और यह स्वाभाविक भी है।
उस निशान को देखते ही उनकी कुरूरता के दृश्य हृदय को कुरेदने लगते थे। यह स्वाभाविक है स्वास्तिक को देखते ही यहूदियों की जीवन शक्ति कमजोर हो जानी होनी चाहिए। इस मनोवैज्ञानिक तत्व के बावजूद भी हमारे शोध कर्ताओ के प्रयोग ने बताया कि स्वास्तिक का दर्शन यहूदियों की जीवन शक्ति को भी बढ़ता है। स्वस्तिक का शक्ति वर्धक प्रभाव इतना गहरा है कि स्वास्तिक के चित्र को पलके गिराए बिना एक टक निहारते हुए, अभ्यास करके जीवन शक्ति का विकास किया जा सकता है।
लोक संपर्क व सामाजिक वातावरण का प्रभाव | Impact of public contact and social environment in hindi
एक सामान्य व्यक्ति जब दुर्बल जीवन शक्ति वाले लोगों के संपर्क में आता है, तो उसकी जीवन शक्ति कम होती है। और अपने से विकसित जीवन शक्ति वाले के संपर्क में, उसकी जीवन शक्ति बढ़ती है। तिरस्कार व निंदा के शब्द बोलने वाले की शक्ति कमजोर होती है। उत्साहवर्धक, प्रेम युक्त,मधुर भाषा बोलने वाले की जीवन शक्ति बढ़ती है।
पहले के जमाने में लोगों का परस्पर संपर्क कम रहता था। इससे उनके जीवन शक्ति अच्छी रहती थी।
आजकल बड़े-बड़े शहरों में हजारों लोगों के बीच रहने से जीवन शक्ति का हस्र हो रहा है। बीड़ी सिगरेट पीते हुए व्यक्तियों वाले विज्ञापन, वह अहंकारी लोगों के चित्र देखने से भी जीवन शक्ति अनजाने में ही कम हो रही है। विज्ञापनों में, सिनेमा के पोस्टरो में, अर्धनग्न चित्र प्रस्तुत किए जाते हैं। वे भी जीवन शक्ति के लिए घातक है। देवी देवताओं के संत महात्मा महापुरुषों के चित्रों के दर्शन से आम जनता को अनजाने में ही जीवन शक्ति का लाभ होता रहता है।
भौतिक वातावरण का प्रभाव | Influence of physical environment in hindi
व्यवहार में जितनी कृत्रिम चीजों का उपयोग किया जाता है, उतनी जीवन शक्ति को हानि पहुंचती है। टेरिलीन आदि सिंथेटिक कपड़ों से एवं प्लास्टिक आदि से बनी हुई चीजों से जीवन शक्ति को क्षति पहुंचती है। रेशमी, ऊनी, सूती आदि प्राकृतिक चीजों से बने हुए कपड़े टोपी आदि से यह नुकसान नहीं होता। अतः 100% कुदरती वस्त्र पहनना चाहिए। हमारे वायुमंडल में करीब 35 लाख रसायन मिश्रित हो चुके हैं। उद्योगों के कारण होने वाले इस वायु प्रदूषण से भी प्राण शक्ति कमजोर होती जा रही है।
आहार का प्रभाव | Effect of diet in hindi
ब्रेड, बिस्किट, मिठाई आदि कृत्रिम खाद्य पदार्थों से बने हुए पदार्थ, हमारे प्राण शक्ति कमजोर करते हैं। अतः हम जो भोजन आजकल खा रहे हैं, इतने लाभदायक नहीं है। जितना हम मानते हैं। हमें आदत पड़ गई है, इसलिए हम उनका सेवन करते हैं। थोड़ी खांड खाने से क्या हानि है। थोड़ी शराब पीने से क्या हानि है। ऐसा सोचकर लोग आदत डालते हैं। लेकिन खांड का प्राण शक्ति घटाने वाला जो प्रभाव है, वह मात्रा पर आधारित नहीं है। कम मात्रा में लेने से भी उसका प्रभाव उतना ही पड़ता है।
एक सामान्य आदमी की प्राण शक्ति यंत्र के द्वारा जांचो को । फिर उसको थोड़ी खांड खाने को दो, शक्ति को जांचों, वह कम हुई मिलेगी। फिरउसको शहद दो और प्राण शक्ति को जांचों, वह बढ़ी हुई मिलेगी। इस प्रकार हमारे शोध कर्ताओ ने प्रयोग से सिद्ध किया कि कृत्रिम खांड आदि पदार्थों से प्राण शक्ति का हश्र होता है और प्राकृतिक शहद आदि से विकास होता है।
हमारे यहां करोड़ अरबो रुपए कृत्रिम खाद्य पदार्थ एवं बीड़ी सिगरेट के पीछे खर्च किए जाते हैं। परिणाम में हानि ही पहुंचाते हैं। प्राकृतिक वनस्पति तरकारी आदि भी इस प्रकार पकाए जाते हैं कि उनमें से जीवन तत्व नष्ट हो जाता है।
शारीरिक स्थिति का प्रभाव | Effect of physical condition in hindi
जो लोग बिना ढंग के बैठते हैं, सोते हैं,खड़े रहते हैं या चलते हैं, वह खराब तो दिखते ही हैं। अपनी प्राण शक्ति का व्यय भी करते हैं। कमर झुकाकर, रीड की हड्डी टेढ़ी रखकर बैठने वालों की प्राण शक्ति कम हो जाती है। पूर्व और दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से प्राण शक्ति का विकास होता है। जबकि पश्चिम और उत्तर की ओर सिर करके सोने से प्राण शक्ति का हश्र होता है।
विभिन्न प्रकार की धातुओं से बनी कुर्सियों, आराम कुर्सियां, नरम गद्दे वाली कुर्सियां जीवन शक्ति को हानि पहुंचती हैं। सीधी सपाट कठोर बैठक वाली कुर्सियां ही हमारे लिए लाभदायक होती है। तैरने से प्राण शक्ति का खूब विकास होता है। तुलसी रुद्राक्ष सुवर्ण माला से प्राण शक्ति बढ़ती है। जीवन शक्ति विकसित करना और जीवन दाता को पहचाना यह मनुष्य जन्म का लक्ष्य होना चाहिए। केवल तंदुरुस्ती तो पशुओं को भी मिल जाती है दीर्घा आयुष्मान वाले वृक्ष भी होते हैं लेकिन मनुष्य को आयु के साथ अपनी दिव्या दृष्टि भी खोलनी होगी।
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