ठाकुरजी की होली लीला |Krishna holi leela | रासलीला | Krishna leela | Holi special

Krishna holi leela-ठाकुरजी की यह होली लीला अत्यंत मनमोहक है। सुबह ही, नंदलाल ने टेरकंदब पर अपने सभी मित्रों को बुलाया और बरसाने जाने का विचार बनाया। इसी समय, बलरामजी ने कहा, “लाला! फागुन आ रहा है, तू जाएगा तो गोपियाँ तुझे पकड़ कर खूबसूरती से गुलाल रंगेंगी।”

ठाकुरजी ने इस विचार को मन में धारित किया और सभी मित्रों को बताया। यह विचार अत्यंत सुंदर था, और मित्रों का जयकारा लगते ही ठाकुरजी बरसाने की ओर रुख कर दिए। इस दृश्य में ठाकुरजी का रूप देखकर शंकर भगवान भी मन ही मन भावुक हो रहे थे। माता पार्वती ने उनसे पूछा, “प्रभु, आपकी आँखों में कैसा आबी है?” तब शंकर भगवान ने उत्तर दिया, “आज मेरा रूप मेरे जगत-पति ने लिया है, तो मुझे आनंद हो रहा है, सभी देवताएं भी उन्हें देखकर आनंदित हो रही हैं।”

अलख निरंजन, सभी दुःखों का नाश करने वाले, ठाकुरजी बरसाने पहुंचे। वह भगवान ने बाघाम्बर पहना, भस्म लपेटा, त्रिपुड़ी लगाई। नगर में कौतुहल हो रहा था, और अलख पुरुष को देखकर सभी गोपियाँ अपने भविष्य का पता करने के लिए उत्सुक हो रही थीं। इस दौरान, एक जोगी कैलाश पर्वत से आकर सभी का भविष्य बता रहा था। राधारानी ने अलख पुरुष को महल में बुलवाया और उन्हें आतिथ्य प्रदान किया। सभी गोपियाँ भविष्य जानने के लिए आगे बढ़ीं। इस बीच, राधा रानी ने अपना भविष्य पूछा और ठाकुरजी ने हंसते हुए कहा, “तेरा पति तो काला है, गाय का पालन करता है और हमेशा नए भेष में मिलता है।” राधा-रानी ने ठाकुरजी की ओर आशीर्वादभरी नजरें डालीं।

राधा रानी ने ललिता जी के कान में कहा, “अलख पुरुष को सहित सभी को घेरो।” ललिता जी ने सभी गोपियों को बुलाया और गुलाल, इत्र, और केसर की खुशबू से भरा अरगजा मंगवाया। राधा रानी ने ठाकुरजी की वंशी को निकाला और ठाकुरजी ने अपने असली भेष में आना शुरू किया।

ठाकुरजी का आभूषण मनमोहक था, और उनके चेहरे पर आनंद की मुस्कान खिली हुई थी। गोपियाँ उनके चारों ओर इकट्ठा हो गईं और उनके साथ होली खेलने के लिए तैयार थीं।

रास-लीला के दौरान, गोपियाँ ठाकुरजी के साथ रंग-बिरंगे नृत्य का आनंद लेती थीं। भगवान शिव के रूप में ठाकुरजी का दर्शन कर गोपियाँ अत्यंत प्रसन्न हो रही थीं। माता पार्वती ने भी अपने भक्तों के साथ होली मनाई और सभी ने मिलकर एक-दूसरे को रंग लगाकर प्रेम भरी मिठास में रंगा।

गोपियाँ हंसी-मजाक में डूबी हुई थीं और ठाकुरजी भी उनके साथ खुशियों का आनंद ले रहे थे। इस पवित्र रास-लीला के दौरान, भक्ति और प्रेम की अद्भुतता का अनुभव हो रहा था।

समय के साथ, होली का यह अनूठा त्योहार एक अद्वितीय और पवित्र क्षण बन गया जो भगवान ठाकुरजी और उनकी भक्तिनों के बीच एक अद्वितीय रिश्ते को दर्शाता है।

“जय हो होरी के रसिया की”
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“जय जय श्री राधे”

इस पवित्र अवसर पर, ‘श्रीजी की चरण सेवा’ टीम आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं भेजती है और सभी को प्रेम, शांति और खुशियों से भरा हुआ होली का त्योहार मनाने की शुभकामनाएं देती है। इस पवित्र अवसर पर भगवान ठाकुरजी सभी के जीवन को आनंदित और प्रफुल्लित करें। “जय श्री राधे!”

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