Arnold schwarzenegger speech in hindi-हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध एक्शन हीरो, फेमस बॉडी बिल्डर और कैलिफोर्निया के गवर्नर, अर्नाल्ड श्वाजनेगर बचपन में बहुत गरीब थे। उनका जन्म मूल रूप से 30 जुलाई 1947ऑस्ट्रिया के थाल में हुआ था। उनके पास ना तो जिम जाने के पैसे थे और ना ही खाने के। बचपन से ही उनका एक सपना था कि वह बॉडीबिल्डर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कालेज के साथ-साथ एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में भी नौकरी की।
दिन भर काम करने के बाद एक्स्ट्रा टाइम में वह अपनी बॉडी बनाते थे। वह अपने काम को लेकर इतनी सजग थे कि उन्हें रात को सोने का समय भी नहीं मिलता था। लेकिन उन्हें हर हाल में अपने सपनों को पूरा करना था। अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह से झोंक दिया था। 20 साल की उम्र में उन्हें “मिस्टर यूनिवर्स” के किताब से नवाजा गया और इसके बाद वह काफी लोकप्रिय हो गए।
अपने दिन रात की मेहनत और लगन से वह प्रसिद्ध बॉडीबिल्डर, सफल एक्शन हीरो और कैलिफोर्निया के गवर्नर बने। लेकिन इतना सब हासिल करने के बावजूद 76 साल की उम्र में भी वह बहुत हार्ड वर्क करते हैं। एक बार उन्होंने एक इवेंट में अपने जीवन के उतार चढ़ाव और अनुभव को लोगों से साझा किया। उन्होंने वहां पर एक 10 मिनट की स्पीच दी थी। जिसने लाखों नहीं करोड़ों लोगों के जीवन को बदल दिया।
उन्होंने यह स्पीच अंग्रेजी भाषा में दी थी हम भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है हमने उनकी स्पीच का हिंदी अनुवाद आपके सामने प्रस्तुत किया है-
Arnold schwarzenegger speech in hindi | अर्नाल्ड श्वाजनेगर स्पीच इन हिंदी
“आज मैं यहां सफलता के बारे में बात करने आया हूं। मैं कॉलेज जाता था। मैं दिन में पांच घंटे वर्कआउट करता था। मनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में भी काम किया क्योंकि उस टाइम बॉडी बिल्डिंग में पैसा नहीं था। मेरे पास फूड सप्लीमेंट्स और इक्विपमेंट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। साथ ही साथ में कॉलेज भी जाता था। जिम भी करता था और हफ्ते में चार दिन रात में 8:00 से 12:00 बजे तक एक्टिंग क्लासेस भी करता था।
इतना सब करने के बावजूद भी, मैं 1 मिनट के लिए, भी खाली टाइम निकाल कर रिलैक्स करने का बहाना कभी नहीं बनाया। एक सेकंड भी मैंने वेस्ट नहीं किया और यही कारण है कि आज मैं यहां खड़ा हूं। 20 साल की उम्र में, मैं पहली बार लंदन गया और मिस्टर यूनिवर्स कॉन्टेस्ट जीता। वह भी यंगेस्ट कंटेस्टेंट, “मिस्टर यूनिवर्स”। क्योंकि मेरा एक गोल था एक विजन था। अगर तुम्हारे पास एक गोल नहीं है। तुम्हारे पास एक विजन नहीं है तो तुम्हें पता ही नहीं चलेगा कि तुम्हें जाना कहां है। और फिर तुम कभी वहां नहीं पहुंच पाओगे। जहां तुम्हें जाना है।
एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका में 74% लोगों को अपनी नौकरी पसंद ही नहीं है क्योंकि वह जॉब इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनकी ड्रीम जॉब है बल्कि वह बिना किसी गोल के, बिना किसी डायरेक्शन, बहुत सारी जॉब ओपिनिंग्स दिखाई दी, तो चलो वहां अप्लाई कर देते हैं तो उन्होंने अप्लाई भी कर दिया। इंटरव्यू में वहां सिलेक्ट भी हो गए। बस उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। क्योंकि सीधी सी बात है अपने बिल पे करने के लिए काम तो करना पड़ेगा तो बस उन्होंने काम शुरू कर दिया।
लेकिन जब उन्होंने काम करना शुरू किया तो उन्हें काम करते-करते समझ आया कि यह तो एक बोरिंग रूटीन बन गया। काम करने में मजा नहीं आ रहा रहा था। अब क्या करें? सिर्फ 26% लोग अपने काम को पसंद करते हैं और पूरे passion के साथ कर रहे हैं। मैं जब घंटो हैवी वर्कआउट करता था, लोग मुझे देखते थे और कहते थे आप तो 5 घंटे 6 घंटे वर्कआउट करते हो मगर आपके चेहरे पर हमेशा एक स्माइल दिखाई देती है। जबकि दूसरे लोग आपकी जितनी मेहनत करते हैं तो उनके चेहरे पर 12:00 बजे होते हैं। ऐसा क्यों होता है?
तो मैं कहता क्योंकि बस मुझे अपना एक टारगेट दिखाई देता है। और मैं उस टारगेट के लिए यह सब कुछ करता हूं। जिस वजह से मुझे थकान नहीं होती, बल्कि खुशी होती है। हमेशा एक स्माइल मेरे चेहरे पर होती है। मेरे सामने मिस्टर यूनिवर्स का गोल था। मेरा हर रिपीटेशन, हर सेट एक्सरसाइज, मुझे उस गोल की तरफ एक कदम और पास ले जाता था। मैं एक्साइटमेंट के कारण को सो नहीं पता था। सोचता रहता था कि कब जिम जाकर वह 500 पाउंड एस्कॉर्ट कर पाऊंगा।मैं उत्सुक रहता था। मैं हर दिन चार्ज रहता था यह सोचकर कि कितनी जल्दी सुबह हो, और मैं सेटअप के 2000 रिपीटेशन फिर से कर पाऊंगा।
एक चीज, मैं आपको बता दूं कि अपने गोल को विजुलाइज करने से, और उसके पीछे फोकस्ड तरीके से, फॉलो करते रहने में एक तरह का मजा आने लगता है। और फिर वह दौड़ भाग थकान नहीं, मजा देती है। आप थक नहीं सकते, so लाइफ में एक purpose होना जरूरी है। मोहम्मद अली को मैंने अपनी आंखों से जिम में रगड़, रगड़कर मेहनत करते हुए देखा है। एक बार एक स्पोर्ट्स रिपोर्टर ने उनको जिम में सैटअप्स करते हुए देखा तो पूछा कि वह रूटीन में कितने सैटअप्स कर लेते हैं? तो मोहम्मद अली ने बड़े कमाल का जवाब दिया कि वह गिनती ही तब स्टार्ट करते हैं जब बॉडी पेन करने लगती है। इसको बोलते हैं हार्ड वर्क।
हार्ड वर्क से कोई नहीं बच सकता। अगर लाइफ में कुछ करना चाहते हो, तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम कितने बड़े बाप की औलाद हो। रगड़ के मेहनत करो। कोई मैजिकल पेन नहीं है जो कि तुम खा लोगे या कोई सक्सेस का मंत्र नहीं है जो तुम जाकर सक्सेसफुल हो जाओगे। इस दुनिया में कोई शॉर्टकट नहीं है। मैजिक नाम की कोई चीज नहीं होती है। वर्क,वर्क,वर्क यही एक तरीका है।
मुझे इतना गुस्सा आता है, जब लोग मुझसे कहते हैं उनके पास जिम जाकर 5 मिनट वर्कआउट करने का टाइम नहीं है। या फिर कोई और काम करने का, जिसमें वह फिजिकल और मेंटली इंप्रूव हो सके। इमेजिन करो आज से आप हर रोज हिस्ट्री सब्जेक्ट पढ़ना शुरू करते हो। अब एक साल में 365 दिनों के बाद, या कोई और सब्जेक्ट या टॉपिक जिसके बारे में आप passionate हो उसे consistent होकर बिना बहाने बनाएं 1 साल तक पढ़ते हो या करते हो, उसमें आप कितने ज्यादा अच्छे हो जाओगे।
इमेजिन करो कि कोई बिजनेस जो तुम डेवलप करना चाहते हो। रोज अगर उस पर एक घंटा भी काम करते हो, एक साल के बाद वह कितना बड़ा बन जाएगा। कितना कुछ आप उसमें हासिल कर सकते हो। और वह तुम्हें कितना दूर तक ले जा सकता है। आप उस बारे में सोच भी नहीं सकते। और इसलिए यह चीज मुझे गुस्सा दिलाती है। जब 24 घंटे, 1 दिन में होते हुए भी, लोग कहते हैं कि उनके पास वक्त नहीं है। अगर 8 घंटे आप सोते हो, 10 घंटे आप जॉब करते हो, 4 से 5 घंटे फिर भी आपके पास बचते है।
उस समय क्या करते हो? लोगों से मिलते हो, खाना खाते हो, एंटरटेनमेंट या कुछ और करते हो। तुम्हें यहां क्लीयरली समझ आ रहा होगा कि कितना सारा टाइम, 1 साल में, हमारे पास से निकलकर आता है। अगर हम यह सारा टाइम, ऐड करके देखें। अगर तुम अपना टाइम ऑर्गेनाइज करके, अपने काम को ऑर्गेनाइज करके, देखो तो कितना सही है।
मगर वह एक प्रॉब्लम नहीं है ऐसे डाउट करने वाले और हमारे कॉन्फिडेंस को तोड़ने वाले लोग हमारी लाइफ में हर स्टेज पर मिलेंगे। उन्हें कैसे हैंडल करना है? वह हमें अच्छी तरह से आता है। लेकिन प्रॉब्लम तब आती है। जब हम खुद पर डाउट करने लग जाते हैं। और हमें प्लान B की जरूरत feel होने लगती है। यह चीज सबसे डेंजरस है। और सेल्फ डाउट है। क्योंकि अब तुम यह कह रहे हो कि अगर मेरा प्लेन वर्क नहीं करेगा, तो मेरे पास बैकअप में प्लान B होना चाहिए। यानी जैसे ही तुमने प्लान बी के बारे में सोचना शुरू किया। तुम्हारी एनर्जी तुम्हारा पूरा का पूरा अटेंशन डाइवर्ट हो गया प्लान B की तरफ।
और यह एक सबसे बड़ा गुनाह है। अगर तुम प्लान A को करते हुए या करने से पहले ही प्लान B के बारे में सोच रहे हो, क्योंकि इसका मतलब यह हुआ कि तुमने प्लान A में अपना 100% नहीं दिया है। तो प्लान फेल हो गया और जब 100% दिया ही नहीं तो, बिल्कुल फेल होगा ही ना, बिल्कुल होगा। एक बात सीख लो कि जब हम बिना सेफ्टी नेट के खेलते हैं तो ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर पाते हैं। एक प्रोडक्टिव प्रेशर होता है हम पर, जो हमें अपना हंड्रेड परसेंट देने पर मजबूर करता है।
तो अगर तुम्हारे पास में प्लान B है तो खुश मत होना कि वह मेरे पास तो प्लान B है अगर मेरा प्लान A फेल हो जाता है तो मैं सेफ हूं।मुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि मेरे पास प्लान B है। वह शुरू कर दूंगा। यह कोई अच्छी बात नहीं है। नफरत है मुझे इस एटीट्यूड से काम करने वालों से। इससे आपका प्लान B, फिर से प्लान A बन जाएगा। और जो कि फेल हो जाएगा। मैं तुम्हें बता रहा हूं कि मेरी लाइफ में, मेरे पास कभी प्लान B था ही नहीं।
मैंने अपनी कमिटमेंट फुल टाइम बॉडी बिल्डिंग चैंपियन बनने की दे दी थी। मतलब मुझे बॉडी बिल्डिंग चैंपियन बनना है, तो बनना है। मैं खुद से कमिटमेंट की , कि मैं अमेरिका में सरवाइव करके दिखाऊंगा।मैंने फुल कमिटमेंट की खुद से, कि मैं शो बिजनेस यानी फिल्म में आऊंगा और वह भी लीडिंग रोल्स में। मैं हार्ड वर्क करूंगा। तब तक करूंगा जब तक कि मैं अपने गोल को अचीव नहीं कर लेता। यही रूल्स मैंने पॉलीटिकल करियर में भी फॉलो किया, तो कुल मिलाकर, मेरी मानो, प्लेन B मत रखो।
क्योंकि ऐसा करने से आप खुद का ही नुकसान कर रहे हो। और अपनी सक्सेज के चांसेस को और कम कर रहे हो। लोग प्लान B पता है क्यों रखते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि कहीं मेरा प्लान ही फेल हो गया तो क्या होगा। और एक बात बता दूं, हारने से मत डरो क्योंकि फेल होने में कोई बुराई नहीं है। बड़े से बड़ा आदमी जिसके बारे में तुमने सुना है वह कई बार फेल होने के बाद वहां पहुंचा है, जहां वह आज है। तुम्हें फेल होना ही पड़ेगा, अगर सक्सेस की सीढ़ियां चढ़नी है तो। ऐसा कोई सक्सेसफुल इंसान नहीं है, जो फेल न हुआ हो। जो हार नहीं सकता वह जीत भी नहीं सकता।
दोस्तों! जितने बड़े फैलियर होंगे, उतनी ही बड़ी सक्सेस होगी। हम सब फेल होते हैं। इट्स ओके, मगर ओके क्या नहीं है? पता है, मैं बताता हूं। फिर से फेल होने के डर से, एफर्ट नहीं लगाना, यह ओके नहीं है। खुद की किस्मत या दूसरों को ब्लेम करना, योग्य नहीं है। यह ओके नहीं है ।अपने weak प्वाइंट्स पर काम न करना, यह ओके नहीं है। वही गलती फिर से दोहराना यह ओके नहीं है।
ऐसा आदमी लूजर होता है। विनर फेल होते हैं, विनर उठते हैं, फेल होते हैं, उठते हैं ,हमेशा उठते हैं। और कभी भी उठने में फेल नहीं होते हैं। वही असली विनर है। हारने के डर से आप वह कर ही नहीं पाओगे जो आप करना चाहते हो रिलैक्स इट्स ओके टू फेल फिर से अपनी की जान लगा दो जो भी तुम्हारे पास है सब कुछ लगा दो। आज नहीं तो कल देर से ही सही, लेकिन सक्सेस को तुमसे कोई अलग नहीं कर सकता। क्योंकि सफलता तुम्हारी है।”
तो दोस्तों! यह थी अर्नाल्ड श्वाजनेगर की प्रसिद्ध स्पीच। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी इस कोशिश ने लैंग्वेज बैरियर तोड़कर आपको अर्नाल्ड श्वाजनेगर कि इस स्पीच से काफी कुछ सीखने में मदद की होगी।