hanuman suvichar in hindi-हनुमान सुविचार हिंदी में
अगर आप किसी तरह की दिक्कत का सामना कर रहे हैं। तो सुंदरकांड के पाठ से आपको शांति महसूस होगी और आप बेहतर तरीके से ध्यान लगा पाएंगे। सुंदरकांड में हनुमान जी की बुद्धि उनकी ताकत और साहस का विवरण मिलता है। और उन सभी घटनाओं का वर्णन भी, जो उनके जीवन में घटित हुई।
Hanuman suvichar in hindi
सुंदरकांड की महिमा | Sunderkand ki mahima
अपने काम को खत्म करें बिना, आराम करना ठीक नहीं है। जरूरी है कि आप अपनी वाणी को मधुर रखें और सबके साथ अच्छा व्यवहार करें। सुंदरकांड की शुरुआत तो हम सभी जानते हैं जामवंत जी ने हनुमान जी की उन शक्तियों को याद कराने में मदद की, जो वह भूल गए थे। इससे हमें सीखने को मिलता है कि हम सभी के पास कुछ hidden power और qualities होती है। बस जरूरी है कि हम उन्हें सही समय पर पहचान सके। अपनी छुपी हुई ताकत को पहचानिए। मुश्किलों से भागने की बजाय, उनसे लड़ने की आदत डालिए।
जीवन में जामवंत जैसे दोस्तों का होना जरूरी है। ऐसे दोस्त जो हमारे साथ खड़े रहते हैं। हमारी ताकत को खोजने और उनको अमल कराने में मदद करते हैं। उनसे बड़ा सारथी हमारे लिए कोई नहीं है। भरोसा और विश्वास ऐसे दो गुण है। जो हमारे जीवन के महत्वपूर्ण स्तंभ है।

बुद्धि और ताकत इस्तेमाल
किसी भी परेशानी को सुलझाने से पहले उसे ठीक से ध्यान से समझना जरूरी है। इससे आप कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। काफी परेशानियों का सामना करने के बाद हनुमान जी लंका के तट पर पहुंचे। वहां पर पहुंचते ही उन्हें लंका की भयंकर सेना का सामना करना पड़ा। लेकिन वह उन्हें चकमा देकर, रात के समय अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर हुए। रात के समय उनका सामना लंकानी नाम की पहरेदार से हुआ। जिसे भगवान ब्रह्मा ने जीवन भर,राक्षसों के द्वार की रखवाली का श्राप दिया था।
लंकिनी ने हनुमान जी से पूछताछ की। लेकिन हनुमान जी ने उसे भड़काने की कोशिश करी। इस वक्त हनुमान जी अपने छोटे रूप में थे और लंका के राजमहल में घुसने की कोशिश कर रहे थे। लंकिनी को हनुमान जी पर विश्वास नहीं हुआ। उसके बाद उसने उन पर हमला कर दिया। कुछ समय बाद लंकिनी को हनुमान जी का असली रूप समझ में आया। इसके बाद उसने हनुमान जी से माफी मांगी। इससे हमें सीखने को मिलता है कि हमेशा अपनी शक्तियों को स्थिति के अनुसार ही इस्तेमाल करना चाहिए।
अपनी शक्तियों को हद से ज्यादा परखने से सारी योजना खराब हो सकती है। लंका पहुंचने के बाद हनुमान जी,एक पर्वत पर रुके उस पर्वत पर रुकने का मकसद यह था कि वह इतने बड़े नगर में घुसने से पहले, हर चीज को अच्छे से समझाना चाहते थे। बारीकी से हर चीज हर स्थिति को समझना चाहते थे। ऐसा जरूरी था ताकि उन्हें हर एक खतरे के बारे में जानकारी रहे और वह उसके लिए तैयार भी रहे
जैसा कि हमने पहले भी कहा है। इस वक्त हनुमान जी अपना रूप बदलकर, लंका में घुसे। हनुमान जी को लंका नगरी के एक भवन पर मंदिर दिखा, जिस पर श्री राम का चित्र अंकित था और पास ही एक तुलसी का पौधा था। उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ कि इस रावण की नगरी में, कोई श्री राम का भक्त कैसे हो सकता है और इस तरह हनुमान जी की मुलाकात विभीषण से हुई। पूरा ब्रह्मांड जानता है कि किस तरह विभीषण ने श्री राम की मदद की, रावण का वध करने में। इससे हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी परेशानी को सुलझाने से पहले हमें हर स्थिति को परखना चाहिए।
कई बार किसी परेशानी का हल हमारे सामने ही होता है और हम उसे अनदेखा कर देते हैं जरूरी है कि किसी चुनौती को पूरी तरह से समझा जाए और फिर ही उस पर कुछ सोच विचार किया जाए। किसी भी परेशानी को देखते वक्त उसकी छोटी से छोटी चीजों पर भी ध्यान देना जरूरी है। छोटी-छोटी बारीकियां को ध्यान से देखकर, हम एक समाधान की तरफ बढ़ सकते हैं। अपनी युक्ति को बनाने में यह काफी जरूरी है। साथ ही तार्किक और क्रिटिकल थिंकिंग का होना बहुत जरूरी है।
एनालिसिस करना जरूरी है
किसी भी परेशानी को सुलझाने से पहले उसे ठीक से ध्यान से समझना जरूरी है। इससे आप कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। काफी परेशानियों का सामना करने के बाद हनुमान जी लंका के तट पर पहुंचे। वहां पर पहुंचते ही उन्हें लंका की भयंकर सेना का सामना करना पड़ा। लेकिन वह उन्हें चकमा देकर, रात के समय अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर हुए। रात के समय उनका सामना लंकानी नाम की पहरेदार से हुआ। जिसे भगवान ब्रह्मा ने जीवन भर,राक्षसों के द्वार की रखवाली का श्राप दिया था।
लंकिनी ने हनुमान जी से पूछताछ की। लेकिन हनुमान जी ने उसे भड़काने की कोशिश करी। इस वक्त हनुमान जी अपने छोटे रूप में थे और लंका के राजमहल में घुसने की कोशिश कर रहे थे। लंकिनी को हनुमान जी पर विश्वास नहीं हुआ। उसके बाद उसने उन पर हमला कर दिया। कुछ समय बाद लंकिनी को हनुमान जी का असली रूप समझ में आया। इसके बाद उसने हनुमान जी से माफी मांगी। इससे हमें सीखने को मिलता है कि हमेशा अपनी शक्तियों को स्थिति के अनुसार ही इस्तेमाल करना चाहिए।
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