जय हनुमान ज्ञान गुण सागर | Jai hanuman gyan gun sagar | हनुमान चालीसा लिखित में

Jai hanuman gyan gun sagar-

जय श्रीराम!🙏🙏

कहते हैं कि अगर सुबह-सुबह आपने हनुमान चालीसा (Jai hanuman gyan gun sagar) पढ़ ली, तो उस दिन कोई भी बुरी शक्ति आपका बाल भी बांका नहीं कर सकती। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन 40 चौपाइयों में ऐसा क्या है जो चमत्कार कर देता है? आज हम हनुमान चालीसा का सिर्फ पाठ नहीं करेंगे, बल्कि हर चौपाई का अर्थ भी समझेंगे ताकि आप खुद महसूस कर सकें कि यह सिर्फ मंत्र नहीं, बल्कि जीवन बदलने वाला रहस्य है।

Jai hanuman gyan gun sagar

“श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारी
बरणु रघुवर विमल जसु जो दायकु फल चारि”

अर्थ: गुरु के चरणों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को साफ करता हूँ और फिर श्री राम के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – चारों फल देने वाला है।

“बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु क्लेश विकार”

अर्थ: हे पवन पुत्र, मैं बुद्धिहीन हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और ज्ञान दीजिए और मेरे दुख-दोषों को दूर कीजिए।

“जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर”

अर्थ: हे हनुमान, आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं। तीनों लोकों में आपकी कीर्ति फैली हुई है।

“रामदूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा”

अर्थ: आप श्रीराम के दूत हैं और अतुलनीय बल के धाम हैं। आप अंजनी और पवनदेव के पुत्र हैं।

“महावीर विक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी”

अर्थ: आप महान पराक्रमी हैं, वज्र जैसे शरीर वाले हैं। आप बुरी बुद्धि को दूर करके सद्बुद्धि प्रदान करते हैं।

“कंचन वरण विराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा”

अर्थ: आपका शरीर सोने के समान है। सुंदर वस्त्र पहनते हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल घुंघराले हैं।

“हाथ वज्र और ध्वजा विराजे
कांधे मूंज जनेऊ साजे”

अर्थ: आपके हाथ में वज्र और ध्वजा शोभायमान हैं। कंधे पर जनेऊ विराजमान है।

“शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन”

अर्थ: आप शिव के अंश और केसरी के पुत्र हैं। आपकी तेजस्विता और पराक्रम को सारा जगत पूजता है।

“विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर”

अर्थ: आप विद्वान, गुणी और अत्यंत चतुर हैं। श्रीराम के कार्यों को करने में सदा तत्पर रहते हैं।

“प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया”

अर्थ: आप श्रीराम के चरित्र सुनने में रस लेते हैं। राम, लक्ष्मण और सीता आपके हृदय में बसे रहते हैं।

“सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जलावा”

अर्थ: आपने सूक्ष्म रूप धरकर सीता माता को दर्शन दिए और विकराल रूप में लंका को जला दिया।

“भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचंद्र के काज संवारे”

अर्थ: आपने भयानक रूप धरकर असुरों का संहार किया और श्रीराम के कार्यों को पूरा किया।

“लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुवीर हरषि उर लाये”

अर्थ: आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवनदान दिया। इससे श्रीराम प्रसन्न होकर आपको हृदय से लगा लिया।

“रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई”

अर्थ: श्रीराम ने आपकी अत्यधिक प्रशंसा की और कहा – तुम मुझे भरत जैसे प्रिय हो।

“सहस बदन तुम्हरो यश गावैं
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं”

अर्थ: हजारों मुख आपके यश का गान करते हैं। ऐसा कहकर श्रीराम ने आपको गले से लगा लिया।

“सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा”

अर्थ: सनक, ब्रह्मा, नारद, सरस्वती और शेषनाग भी आपकी महिमा का गुणगान करते हैं।

“यम कुबेर दिगपाल जहां ते
कवि कोविद कहि सके कहां ते”

अर्थ: यमराज, कुबेर और अन्य दिगपाल भी आपकी महिमा नहीं गा सकते, तो कवि और विद्वान क्या कह पाएंगे?

“तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा”

अर्थ: आपने सुग्रीव की सहायता कर उन्हें श्रीराम से मिलवाया और राजपद दिलवाया।

“तुम्हरो मंत्र विभीषण माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना”

अर्थ: विभीषण ने आपकी सलाह मानी और लंका के राजा बने – यह सबको ज्ञात है।

“जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू”

अर्थ: हजारों योजन दूर स्थित सूर्य को आपने मधुर फल समझकर निगल लिया।

“प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लांघि गये अचरज नाही”

अर्थ: श्रीराम की अंगूठी मुख में रखकर आप समुद्र लांघ गए, यह कोई आश्चर्य नहीं।

“दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते”

अर्थ: संसार के सभी कठिन कार्य आपके आशीर्वाद से सरल हो जाते हैं।

“राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे”

अर्थ: आप राम के द्वार के रक्षक हैं। आपकी अनुमति के बिना कोई अंदर प्रवेश नहीं कर सकता।

“सब सुख लहे तुम्हारी शरणा
तुम रक्षक काहू को डरना”

अर्थ: आपकी शरण में आने वाला सब सुख पाता है। जब आप रक्षक हैं तो किसी का डर नहीं।

“आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपै”

अर्थ: आप अपनी शक्ति स्वयं सँभालते हैं। आपके तेज से तीनों लोक कांपते हैं।

“भूत पिशाच निकट नहिं आवै
महावीर जब नाम सुनावै”

अर्थ: जब ‘महावीर हनुमान’ का नाम लिया जाता है, तब भूत-प्रेत पास नहीं आते।

“नासै रोग हरै सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा”

अर्थ: जो निरंतर हनुमान जी का जाप करता है, उसके सारे रोग और पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं।

“संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै”

अर्थ: जो मन, वचन और कर्म से आपका ध्यान करता है, आप उसे संकटों से मुक्त करते हैं।

“सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा”

अर्थ: श्रीराम तपस्वी राजा हैं और उनके सभी कार्य आपने पूरे किए।

“और मनोरथ जो कोई लावै
सो अमीत जीवन फल पावै”

अर्थ: जो भी अपनी इच्छा लेकर आता है, उसे अनंत जीवन फल की प्राप्ति होती है।

“चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा”

अर्थ: आपका पराक्रम चारों युगों में प्रसिद्ध है और आपके तेज से सारा संसार प्रकाशित है।

“साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे”

अर्थ: आप संतों की रक्षा करते हैं, असुरों का नाश करते हैं और श्रीराम को प्रिय हैं।

“अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता”

अर्थ: आप आठ सिद्धियों और नौ निधियों के दाता हैं – ऐसा वर माता सीता ने आपको दिया।

“राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा”

अर्थ: आपके पास राम नाम की अमृत शक्ति है और आप सदा श्रीराम के सेवक बने रहें।

“तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै”

अर्थ: आपकी भक्ति करने वाला श्रीराम को प्राप्त करता है और जन्म-जन्मांतर के दुखों से मुक्त होता है।

“अंतकाल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई”

अर्थ: मृत्यु के समय वह रामलोक जाता है और अगला जन्म हरिभक्त के रूप में पाता है।

“और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई”

अर्थ: अन्य देवताओं की ओर मन नहीं जाता – हनुमान जी की सेवा ही सर्व सुख देती है।

“संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा”

अर्थ: जो हनुमान बलवान का स्मरण करता है, उसके सभी संकट और पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं।

“जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं”

अर्थ: हे हनुमान जी! आपकी जय हो! कृपा करें जैसे एक गुरु अपने शिष्य पर करता है।

“जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई”

अर्थ: जो सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करता है, वह हर बंधन से मुक्त होकर परम सुख को प्राप्त करता है।

“जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा”

अर्थ: जो हनुमान चालीसा पढ़ता है, उसे सिद्धि प्राप्त होती है – इसके साक्षी स्वयं शिव हैं।

“तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा”

अर्थ: तुलसीदास सदा हरि के सेवक हैं। हे नाथ! कृपया मेरे हृदय में निवास करें।

“पवन तनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप”

अर्थ: हे पवनपुत्र! आप संकटों को हरने वाले और मंगल मूर्ति हैं। कृपया राम, लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में वास करें।

हनुमान चालीसा (Jai hanuman gyan gun sagar) सिर्फ 40 चौपाइयाँ नहीं है – यह 40 बार ईश्वर से जुड़ने का मार्ग है। हर शब्द में शक्ति है, हर पंक्ति में सुरक्षा है, और हर पाठ में आशीर्वाद छिपा है।

 

हनुमान जी के अनमोल वचन
हनुमान जी के अनमोल वचन

life lesson from sunderkand

हनुमान चालीसा लिखित में

श्री हनुमान चालीसा

रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास जी

॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भय सब जग जाना॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहे तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट से हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

जय श्रीराम! जय हनुमान!🙏🙏

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