कर्पूर गौरम करुणावतारं हिंदी में
राधे राधे 🙏
दोस्तों! आज हम बात करते है जब भी हम किसी भी मंदिर में या घर में जब पूजन कर्म किए जाते हैं, तो वहां कुछ मंत्रों का जप अनिवार्य रूप से किया जाता है।
कर्पूर गौरम करुणावतारं हिंदी में
सभी देवी-देवताओं के मंत्र अलग-अलग होते हैं, लेकिन जब भी आरती पूर्ण होती है, तो एक मंत्र विशेष रूप से बोला जाता है—
“कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।”
कर्पूर गौरम करुणावतारं हिंदी में
इस मंत्र के द्वारा भगवान शिव की स्तुति की जाती है। इसका अर्थ इस प्रकार है—”जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे हृदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।” इस मंत्र में शिव के स्वरूप और उनके दयालु स्वभाव का वर्णन किया गया है।
शिवजी का स्वरूप ज्यादातर लोग भयंकर रूप में देखते हैं, क्योंकि वे श्मशान में निवास करने वाले, रुद्रस्वरूप, अघोरी साधना करने वाले देवता माने जाते हैं। लेकिन यह स्तुति हमें यह बताती है कि शिव केवल विनाश के देवता ही नहीं, बल्कि सृष्टि के आधार भी हैं। वे करुणा के साक्षात स्वरूप हैं, जो समस्त सृष्टि को अपने संरक्षण में रखते हैं। उनकी दिव्यता को समझाने के लिए ही इस मंत्र का उपयोग किया जाता है।
भगवान शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है। वे मृत्युलोक के देवता हैं और उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे समस्त प्राणियों के स्वामी हैं। यह मंत्र हमें यह स्मरण कराता है कि जो इस संपूर्ण ब्रह्मांड के अधिपति हैं, वे हमारे हृदय में वास करें। जब हम आरती पूर्ण कर लेते हैं, तो यह मंत्र इसलिए बोला जाता है ताकि हम शिव को अपने हृदय में स्थान दें और उनकी कृपा प्राप्त कर सकें।
इस मंत्र के पीछे एक और गहरा रहस्य यह भी है कि यह स्तुति स्वयं भगवान विष्णु द्वारा गाई गई मानी जाती है। जब शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, तब भगवान विष्णु ने इस मंत्र के माध्यम से शिवजी की महिमा का गुणगान किया था। यह दर्शाता है कि शिवजी केवल संहारक नहीं हैं, बल्कि वे सृष्टि के पालनकर्ता भी हैं। वे हमारे भय को दूर करने वाले और मोक्ष देने वाले देवता हैं। इसलिए जब भी हम किसी भी देवता की आरती पूर्ण करते हैं, तो यह मंत्र बोला जाता है ताकि शिव की कृपा प्राप्त हो और हमारे जीवन से समस्त भय समाप्त हो जाए।
शिवजी श्मशान वासी माने जाते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह है कि वे मृत्यु से भी परे हैं। मृत्यु के देवता यमराज भी उनके आदेश का पालन करते हैं। इसलिए इस मंत्र के उच्चारण से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और आत्मा को शांति मिलती है। शिव हमें यह सिखाते हैं कि जीवन नश्वर है और अंततः सब कुछ उन्हीं में विलीन हो जाता है। इसलिए यह मंत्र हमें जीवन के सत्य को समझने और आध्यात्मिक रूप से जागरूक होने में मदद करता है।
इस मंत्र का निरंतर जाप करने से मन को शांति मिलती है, भय दूर होता है और शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र हमें सिखाता है कि शिव केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक तत्व हैं जो सृष्टि के हर कण में समाए हुए हैं। जब हम इस मंत्र का उच्चारण करते हैं, तो हम शिव और शक्ति दोनों की आराधना करते हैं और उनसे कृपा की कामना करते हैं।
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