महाराज विक्रमादित्य और उनका न्याय/Maharaja Vikramaditya aur unka Nayay

यह कहानी महाराज विक्रमादित्य और उनके न्याय की है। राजा विक्रमादित्य के राज्य में प्रजा बहुत खुशहाल थी। एक बार उनकी सभा में एक चोर को पेश किया जाता है। महाराज यह एक चोर है। हमने इसे चोरी करते हुए पकड़ा है। इसका नाम राजपाल है।

महाराज- क्या तुम्हें मालूम नहीं की चोरी की सजा मौत है?

राजपाल – मालूम है महाराज लेकिन चोरी करना मेरी मजबूरी है।

महाराज- अच्छा अच्छा ऐसी भी क्या मजबूरी है।

राजपाल- गुस्ताखी माफ हुजूर, अगर मैं चोरी करते हुए पकड़ा जाता हूं, तो मौत की सजा सिर्फ मुझे मिलेगी। लेकिन अगर मैं चोरी नहीं करता हूं तो मेरा पूरा परिवार भूख से तड़प तड़प कर मर जाएगा। महाराज मेरे पास कोई रोजगार नहीं है। जीवन में आज पहली बार मैं चोरी करने के लिए निकला था। परंतु सिपाहियों के द्वारा मुझे पकड़ लिया गया। यह मेरा पहला जुर्म है।

राजा ने कहा लेकिन तुम बेरोजगार क्यों हो? क्या तुम्हें काम करना अच्छा नहीं लगता?

राजपाल- नहीं महाराज दरअसल मुझे कोई काम देता। ईश्वर की कृपा से मेरे पास एक गुण है। जिस वजह से मुझे कोई नौकरी नहीं देता है।

महाराज -वह विशेष गुण क्या है मुझे बताओ ? महाराज मुझे हर पूर्णिमा की रात में एक सपना आता है। और आने वाले समय में वह सपना सत्य हो जाता है।

महाराज- क्या कहना चाहते हो जरा खुल के बताओ ?

राजपाल-  जिस व्यक्ति के बारे में मुझे बुरा सपना आता है। मैं उसे आगाह करने के लिए उसे सपना की बात बताता हूं। और अगर वह सपना सच हो जाता है तो वह लोग मुझे मनहूस समझ कर नौकरी नहीं देते हैं।

महाराज -प्रजा को रोजगार देना हर राजा का कर्तव्य होता है। मैं तुम्हें नौकरी दूंगा। मगर तुमने गुनाह किया है तो सजा तो मिलेगी ही तुम पहले जाकर अपनी सजा खत्म करो। उसके बाद हमारे पास आना मैं तुम्हें नौकरी अवश्य दूंगा।

राज पाल- जो हुकुम महाराज पर क्या जाते-जाते मैं आपको आपका सपना बता सकता हूं।

महाराज – क्या तुमने हमारा सपना भी देखा है?

राजपाल – जी महाराज।

महाराज- बताओ हमारे बारे में तुमने क्या सपना देखा है?

राजपाल- सपना अशुभ है महाराज अगर जान की माफी हो तो मैं आपको अर्ज करूं?

महाराज – बोलो राजपाल।

राजपाल-पड़ोसी देश के राजा कौशल नरेश आपके राज्य में हमला करने वाले हैं।

महाराज – क्या बकवास करते हो? पड़ोसी देश के राजा तो हमारे परम मित्र है। वह ऐसा नहीं कर सकते।

राजपाल- महाराज मेरा सपना हमेशा सत्य साबित होता है।

महाराज -अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं तुम्हारा सर कलम कर दूंगा।

राजपाल -मुझे मंजूर है महाराज।

तभी एक सिपाही आया महाराज की जय हो महाराज गजब हो गया अभी-अभी गुप्तचर से पता चला है कि पड़ोसी देश के राजा कौशल नरेश हम पर हमला करने वाले हैं।

राजपाल -महाराज मैंने कहा था ना मेरा सपना कभी भी झूठ नहीं होता। महाराज ने फौरन आदेश दिया। सिपहिया युद्ध की तैयारी करो।

महाराज विक्रमादित्य -राजपाल इस वक्त चोरी करके तुमने हमारे राज्य का कानून तोड़ा है। लेकिन तुमने हमें कौशल नरेश की जानकारी देकर हमारी बड़ी मदद करी है। हम तुमसे बहुत खुश हैं। तुम्हें सजा से मुक्ति देते हैं। और तुम कभी चोरी ना करो इसलिए तुम्हें रोजगार भी देते हैं। हम तुम्हें अपने राज्य का मुख्य दरबान घोषित करते हैं।

अगले ही दिन से राजपाल मुख्य द्वार पर पहरा देने लगता है। एक दिन जब पूर्णिमा की रात को वह पहरा दे रहा था। उसे नींद लगने लगती है। उसने सोचा इस वक्त सारे नगर वासी भी सो चुके होंगे। किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। चलो कुछ देर सो लेता हूं। ऐसा सोच कर वह सो जाता है। और थोड़ी ही देर में राजपाल को सपना आता है।

सपने में राजा विक्रम का मुख्य सेनापति कौशल नरेश के गुप्तचर से मिलता है, और बताता है की दो दिन बाद कौशल नरेश राज पर हमला कर देंगे। आप बागी मंत्रियों के साथ मिलकर राजा विक्रम को बंदी बना लेना फिर कौशल नरेश आपको इस राज्य का राजा बना देंगे। सेनापति बहुत खुश हो जाता है। वह गुप्तचर से कहता है। कुछ ही देर में सुबह होने वाली है। इस वक्त तुम्हारा यहां से जाना ठीक नहीं तुम पुराने महल में जाकर आराम करो। कल रात होते ही तुम वापस लौट जाना और इसके साथ ही राजपाल की आंख खुल जाती है।

राज्य का सेनापति गद्दार है। यह बात मुझे राजा को बतानी पड़ेगी। अगले दिन जब राजा विक्रम अपनी सभा में बैठे थे। तभी एक सिपाही आता है। महाराज की जय हो! महाराज राजपाल आपसे मिलना चाहता है। राजा बोले उसे भेज दो।

महाराज की जय हो! कहो राजपाल क्या कहना चाहते हो

महाराज बात जरा गंभीर है। सबके सामने बताना उचित नहीं होगा इससे मुझे जान को खतरा है।

महाराज- हमारे होते हुए तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। जो कहना चाहते हो निडर होकर बोलो।

महाराज सेनापति करण सिंह गद्दार है। वह पड़ोसी देश के राजा कौशल नरेश के साथ मिलकर आप पर हमला करने की योजना बना रहे हैं। आपको बंदी बनाकर सेनापति खुद यहां के राजा बनना चाहते हैं।

लेकिन यह सब बात तुम्हें कैसे पता? महाराज कल रात मैंने एक सपना देखा जिसमें सेनापति दुश्मन के गुप्तचर से यही बात कर रहे थे। सेनापति करण सिंह हमारे वफादार है। तुम्हारे पास क्या सबूत है कि वहां गद्दार है?

राजपाल -जी महाराज पड़ोसी राज्य का गुप्तचर पुराने महल में छुपा हुआ है। उसकी गिरफ्तारी ही सेनापति की गद्दारी का सबसे बड़ा सबूत है। महाराज के आदेश पर पुराने महल की तलाशी ली जाती हैऔर वहां कौशल नरेश का गुप्तचर को पकड़ लिया जाता है और सेनापति करण सिंह को बंदी बना लिया जाता है।

शाबाश! राजपाल तुम्हारे सपने की वजह से मुझ पर आने वाला संकट टल गया और गद्दार भी पकड़ा गया हम तुमसे बहुत प्रसन्न है। रामपाल- शुक्रिया महाराज!

मगर एक बात से हम तुमसे नाराज भी हैं। तुम दरबान हो रात भर जाग कर महल की रखवाली करना तुम्हारा कर्तव्य है और ऐसे में अगर तुम सो जाते हो इस वक्त रात में मुझ पर कोई हमला कर दे तो।

राजपाल -मैं माफी चाहता हूं महाराज।

तुम्हें माफ किया जाता है। क्योंकि अगर तुम सोते नहीं तुम्हें सपना नहीं आता और अगर तुम्हें सपना नहीं आता तो तुम मुझे आगाह कैसे करते। लेकिन आइंदा से ध्यान रखना पहरेदारी करते वक्त सोना नहीं। जी महाराज

धीरे-धीरे समय बीतता है। एक दिन राजा विक्रमादित्य की सभा लगी हुई थी। तभी एक सिपाही दौड़ा-दौड़ा आया महाराज एक बुरी खबर लेकर आया हूं। हमारे राज्य के महामंत्री अब नहीं रहे।

क्या हुआ उन्हें वह तो अच्छे भले थे?

दरअसल रामपाल ने उन्हें अपने सपने की बात कही थी। जिसमें कहा था दस दिन बाद हृदय की गति रुक जाने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। लेकिन वह मौत की वजह से इतना ज्यादा घबरा गए कि वक्त के पहले ही उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था और वहां भगवान को प्यारे हो गए।

महाराज – रामलाल क्या तुमने सपने के बारे में यही बताया था?

जी महाराज मेरा सपना कभी भी झूठ नहीं हो सकता है।

महाराज ने कहा- वाह ! हमारे राज्य में तुम्हारे जैसे अनोखे इंसान की कद्र होनी चाहिए। सैनिकों हमारे खजाने में से ढेर सारा सोना और हीरे जवाहरात पेश किए जाएं कुछ ही देर में सैनिक सोना और हीरे जवारत लेकर पेश होते हैं।

रामपाल यह लो हमारी ओर से तुम्हारे लिए यह है तोहफा है।

शुक्रिया महाराज !

और इसी वक्त तुम्हें इस राज्य से निकाला जाता है।

राज्य से निकाला जाता है मतलब मैं अब इस राज्य में नहीं रह सकता। राजपाल ने कहा

हां अब तुम इस राज्य में नहीं रह सकते। महाराज बोले

राजपाल- महाराज मैंने तो आपकी जान बचाई है बदले में आप मुझे राज्य से निकल रहे हैं।

महाराज- यह बात सत्य है कि तुम्हारे सपने की वजह से राज्य में आया सारा संकट टल चुका है। और हमारी जान भी बच गई थी। लेकिन तुम्हारा यहां रहना प्रकृति के विरुद्ध है। इंसान तब तक चैन और सुकून से रह सकता है। जब तक उसे अपने भविष्य का पता ना हो। भविष्य चाहे अच्छा हो या बुरा अगर उसका पता वक्त से पहले चल जाए तो इंसान जीते हुए भी मुर्दा मुर्दा बन जाता है। तुमने महामंत्री को मृत्यु से पहले ही बता दिया था। और इस सदमे से उनकी मृत्यु समय से पहले ही हो गई और उनकी पत्नी की मृत्यु भी हो गई। तुम्हारे सपने में दो जिंदगियां छीन ली। हम तुम्हें उनका दोषी नहीं ठहरा रहे पर कुछ चीज समय पर ही छोड़ देनी चाहिए। जिस भविष्य को जानकर मनुष्य का जीना मुश्किल हो जाए उसको ना जानना ही बेहतर है। तुम जा सकते हो राजा के दिए हुए तोहफे के साथ राजपाल दरबार से हमेशा के लिए चला जाता है।

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