मोटिवेशनल कहानी छोटी सी | 2 Short motivational story in hindi

मोटिवेशनल कहानी छोटी सी -भक्ति बिना पूरा जीवन व्यर्थ हैं एक छोटी सी कहानी प्रायः आप सबने सुन रखी होगी।

एक ज्ञानी नाव में बैठकर नदी पार करते वक्त नाविक से अपना ज्ञान बखान कर रहा था । ज्ञानी नाविक से कह रहा था कि तुमनें पढ़ा नही, अनपढ़ हो इसलिए तुम्हारा चौथाई जीवन बेकार हो गया। तुम्हें अमुक बात का ज्ञान नही इसलिए आधा जीवन बेकार हो गया, तुम्हें अमुक बात का भी भान नही इसलिए पौना जीवन बेकार हो गया । इतने मे भयंकर वर्षा होने लगी, वर्षा का जल नाव में भर गया और नदी में भी भयंकर उफान उठा।

 

अब तक नाविक चुप बैठा था और सुन रहा था। अब नाविक के बोलने की बारी थी, उसने ज्ञानी से पुछा कि आपको तैरने का ज्ञान है क्या ? ज्ञानी ने कहा – नही, तो नाविक बोला – अब तो आपका पूरा जीवन ही बेकार हो गया। यह कह कर नाविक डुबती नाव से तैर कर अपनी जान बचाने के लिए कूद पडा । ज्ञानी को तैरना नही आता था इसलिए नाव के साथ ही डूब गया।

आध्यात्मिक तौर पर इस कथा को ऐसे समझना चाहिए । एक आधुनिक दौर का मौज मस्ती करने वाला मौजी नामक व्यक्ति एक सरलहृदय प्रभु भक्ति में रमने वाले भक्त से पुछता है कि क्या तुमने विदेश में सैर सपाटा किया । भक्त कहता है – नहीं, तो मौजी कहता है कि चौथाई जीवन व्यर्थ कर दिया । मौजी दुसरा प्रश्न पुछता है भक्त से कि क्या तुमने जीवन में मौज-मस्ती, ऐशो-आराम किया । भक्त कहता है – नहीं, तो मौजी कहता है कि तुमने अपना आधा जीवन ही व्यर्थ कर दिया ।

मौजी तीसरा प्रश्न पुछता है भक्त से कि क्या तुमने अपनी आने वाली पीढियों के लिए धन-संपति की व्यवस्था की। भक्त कहता है – नही, तो मौजी कहता है कि पौना जीवन व्यर्थ कर लिया । मौजी भक्त के लिए अफसोस करता है कि भक्ति में रम के क्या जीवन जिया, न सैर-सपाटा किया, न ऐशो-आराम किया और न ही आने वाली पीढी के लिए धन-संपति की व्यवस्था की ।

क्योंकि मौजी ने यह सब कुछ भरपूर मात्रा में किया था, इसलिए उसे अपने आप पर गर्व अनुभव होने लगता है। इतने में मौजी के दरवाजे मृत्यु ने दस्तक दी। वह भयंकर रूप से बिमार हुआ और मृत्यु शय्या पर आ गया। भक्त मौजी के पास खडा था पर उसे कुछ पुछने की जरूरत ही नही पडी। मौजी की अंतरआत्मा ने ही मौजी से पुछ लिया कि क्या तुमने प्रभु भक्ति करके भवसागर पार करने का उपाय किया। मौजी ने काँपते हुये स्वर से कहा – ” नही किया ” । अंतरआत्मा ने धिक्कारते हुये कहा कि तुमने अपना पूरा मानव जीवन ही व्यर्थ कर लिया ।

जैसे ज्ञानी का नदी पार नहीं कर पाने के कारण अंत भयंकर हुआ, वैसे ही मौजी का भवसागर पार नहीं कर पाने के कारण अंत भयंकर हुआ। दोनों ही डूब गए, एक नदी में, दूसरा भवसागर में । अधिकत्तर मनुष्यों की विडंबना भी यही है कि मानव जीवन जीने की कला तो बहुत अच्छी तरह से सीख ली और उसे प्रभावी अंजाम देने में लगे हुये हैं । पर मानव जीवन के बाद उनका क्या हश्र होगा यह पहलु उनसे अछुता रह गया क्योंकि उसके लिए तैयारी करना शायद वे भुल गये ।

वर्तमान जीवन जीने की कला तो जानवर भी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।पर मृत्यु उपरान्त की व्यवस्था जैसे आवागमन से मुक्ति, श्रीकमलचरणों में सदैव के लिए आश्रय और परमानंद की प्राप्ति तो सिर्फ और सिर्फ मानव जीवन में किये प्रयासो से ही संभव हो सकता है। यह प्रयास भक्ति का है, यह प्रयास प्रभु से जुडने का है, यह प्रयास प्रभु के बनने का है, यह प्रयास प्रभु को अपना बनाने का है।

वर्तमान जीवन में ऐशो-आराम, सैर-सपाटा, अगली पीढी हेतु संग्रह के प्रयास बहुत तुच्छ और गौण हैं। श्रेष्ठत्तम प्रयास निश्चल भक्ति द्वारा प्रभु प्रिय बनकर मृत्यु उपरान्त सदैव के लिए निश्चिंत होने का है। यह स्वर्णिम अवसर प्रभु ने हमें मानव जीवन देकर दिया है , इसे गँवाना नही चाहिए। अगर गँवा दिया तो कितनी योनियों के बाद, इन योनियों के कर्मफल के कारण कितनी यातनाओ को भोगने के बाद, यह मानवजीवनरूपी अवसर दोबारा कब मिलेगा – यह सोचकर अविलम्ब इस वर्तमान मानव जीवन रूपी अवसर का प्रभु भक्ति में डुबकर श्रेष्ठत्तम उपयोग करना चाहिए।

🚩🚩 जय जय श्रीहरि 🚩🚩

एक छोटी सी कहानी शिक्षा वाली | Short story in hindi

सरला नाम की एक महिला थी। रोज वह और उसके पति दोनो सुबह ही काम पर निकल जाते थे।दिन भर पति ऑफिस में अपना टारगेट पूरा करने की ‘डेडलाइन’ से जूझते हुए साथियों की होड़ का सामना करता था।

 एलबॉस से कभी प्रशंसा तो मिली नहीं और तीखी-कटीली आलोचना चुपचाप सहता रहता था।पत्नी सरला भी एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करती थी। वह अपने ऑफिस में दिनभर परेशान रहती थी।ऐसी ही परेशानियों से जूझकर सरला शाम को लौटती है। खाना बनाती है।शाम को घर में प्रवेश करते ही बच्चों को वे दोनों नाकारा होने के लिए डाँटते थे पति और बच्चों की अलग-अलग फरमाइशें पूरी करते-करते बदहवास और चिड़चिड़ी हो जाती है।

 घर और बाहर के सारे काम उसी की जिम्मेदारी हैं।थक-हार कर वह अपने जीवन से निराश होने लगती है। उधर पति दिन पर दिन खूंखार होता जा रहा है। बच्चे विद्रोही हो चले हैं।एक दिन सरला के घर का नल खराब हो जाता है। उसने प्लम्बर को नल ठीक करने के लिए बुलाया…! प्लम्बर ने आने में देर कर दी… पूछने पर बताया कि…साइकिल में पंक्चर के कारण देर हो गई।

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 घर से लाया खाना मिट्टी में गिर गया, ड्रिल मशीन खराब हो गई, जेब से पर्स गिर गया…।इन सब का बोझ लिए वह नल ठीक करता रहा।काम पूरा होने पर… महिला को दया आ गई और वह उसे गाड़ी में छोड़ने चली गई। प्लंबर ने उसे बहुत आदर से चाय पीने का आग्रह किया।

 प्लम्बर के घर के बाहर एक पेड़ था। प्लम्बर ने पास जाकर उसके पत्तों को सहलाया, चूमा और अपना थैला उस पर टांग दिया।

घर में प्रवेश करते ही उसका चेहरा खिल उठा। बच्चों को प्यार किया, मुस्कराती पत्नी को स्नेह भरी दृष्टि से देखा और चाय बनाने के लिए कहा।

 सरला यह देखकर हैरान थी। बाहर आकर पूछने पर प्लंबर ने बताया… यह मेरा परेशानियां दूर करने वाला पेड़ है।मैं सारी समस्याओं का बोझा रातभर के लिए इस पर टाँग देता हूं और घर में कदम रखने से पहले मुक्त हो जाता हूं… चिंताओं को अंदर नहीं ले जाता।सुबह जब थैला उतारता हूं तो वह पिछले दिन से कहीं हलका होता है।

 काम पर कई परेशानियाँ आती हैं, पर एक बात पक्की है- मेरी पत्नी और बच्चे उनसे अलग ही रहें, यह मेरी कोशिश रहती है। इसीलिए इन…समस्याओं को बाहर छोड़ आता हूं।

 *प्रार्थना करता हूं कि… भगवान मेरी मुश्किलें आसान कर दें। मेरे बच्चे मुझे बहुत प्यार करते हैं, पत्नी मुझे बहुत स्नेह देती है, तो भला मैं उन्हें परेशानियों में क्यों रखूँ।उसने राहत पाने के लिए कितना बड़ा दर्शन खोज निकाला था…! जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।

 

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