मज़ेदार कहानियाँ:- मज़ेदार कहानियाँ हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। वे हमें न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि हमें नई चीजें सिखाती भी हैं। मजेदार कहानियाँ सुनने और पढ़ने का आनंद हर किसी को पसंद है। तो चलिए, इन कहानियों की दुनिया में प्रवेश करते हैं और आनंद लेते हैं।
कठिनाइयों पर जीत
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब किसान रहता था। किसान के पास एक पुराना गधा था, जिसने वर्षों तक उसके खेतों में काम कर उसकी मदद की थी। यह गधा किसान के लिए न सिर्फ एक साधारण जानवर था, बल्कि उसका सहारा और साथी भी था। एक दिन, गधा गलती से एक पुराने सूखे कुएं में गिर गया। कुएं की गहराई बहुत ज्यादा थी, और गधे की करुण पुकारें किसान के दिल को चीर रही थीं।
किसान ने तुरंत कुएं के चारों ओर दौड़ लगाई और मदद के लिए आवाज लगाई। गाँव वाले भी धीरे-धीरे वहां इकट्ठे हो गए। सभी ने मिलकर कोशिश की, लेकिन कुआँ इतना गहरा था कि गधे को बाहर निकालना बहुत कठिन हो गया। बहुत प्रयास करने के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला, तो किसान ने एक कठोर निर्णय लिया। उसने सोचा कि गधा बूढ़ा हो चुका है और अब उसके पास ज्यादा समय नहीं बचा है। कुआँ भी पुराना और सूखा था, जिसकी मरम्मत करनी कठिन थी। इसलिए, किसान ने फैसला किया कि कुएं को मिट्टी से भर दिया जाए और गधे को वहीं दफना दिया जाए, ताकि यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाए।
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किसान ने गाँव वालों से मदद मांगी और सभी ने मिलकर मिट्टी फेंकनी शुरू कर दी। जैसे ही मिट्टी गधे पर गिरती, गधे ने महसूस किया कि किसान उसे छोड़ने का इरादा कर चुका है। पहले तो गधा घबरा गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। लेकिन कुछ ही समय में गधे को अपनी स्थिति का एहसास हुआ। उसने सोचा, “अगर मैं यहां चुपचाप बैठा रहूंगा, तो निश्चित रूप से मर जाऊंगा। मुझे कुछ करना होगा।”
हर बार जब मिट्टी उसके ऊपर गिरती, गधा उसे अपने शरीर से झटककर नीचे गिरा देता और उसके ऊपर खड़ा हो जाता। गाँव वाले लगातार मिट्टी डालते जा रहे थे, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आया कि गधा अपनी बुद्धिमानी से धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता जा रहा है। गधा बिना हिम्मत हारे लगातार मिट्टी को झटकता और उस पर कदम बढ़ाता गया।
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कुछ घंटों के अथक प्रयास के बाद, कुएं का तल धीरे-धीरे ऊपर आने लगा। सभी गाँव वाले आश्चर्य में पड़ गए जब उन्होंने देखा कि गधा कुएं के मुहाने पर पहुंच गया है। देखते ही देखते, गधा एक बड़े उछाल के साथ कुएं से बाहर आ गया। उसकी आंखों में जीत और आत्मविश्वास की चमक थी। गाँव वालों की आंखें आश्चर्य से फैल गईं और वे सभी हैरान होकर एक-दूसरे की ओर देखने लगे। किसान भी अपनी आँखों में आंसू लिए मुस्कुरा उठा, उसे अपने गधे की समझदारी पर गर्व महसूस हो रहा था।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि ज़िंदगी में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हमें उनसे हार नहीं माननी चाहिए। हमें हर मुश्किल को अवसर की तरह देखना चाहिए और अपनी मेहनत और दृढ़ता से उस पर विजय पानी चाहिए। गधे की तरह, हम भी अगर मुश्किलों को झटककर उन पर खड़े हो जाएं, तो अंततः हम किसी भी कठिनाई से बाहर निकल सकते हैं।
साहसी गोपाल की अनोखी कहानी
यह कहानी एक छोटे से गांव में रहने वाले युवक, गोपाल की है। गोपाल साधारण कपड़े पहनने वाला, हंसमुख और ईमानदार स्वभाव का था। वह अपने जीवन में बड़े सपने देखता था, परंतु गांव में उसकी पहचान एक भोले-भाले इंसान की ही थी। एक दिन, गांव के चौपाल पर बैठे हुए उसके दोस्त ने मजाक में उससे कहा, “अरे गोपाल, क्या सोच रहे हो ऐसे मुंह खोल कर? कहीं ऐसा न हो कि मक्खी अंदर चली जाए!”
गोपाल मुस्कुराते हुए बोला, “अरे भाई, मैं सोच रहा हूं कि शादी के बाद लड़कियां ससुराल क्यों जाती हैं और लड़के क्यों नहीं?”
दोस्तों ने ठहाका लगाते हुए कहा, “भाई, यह सवाल तो तुम अपनी होने वाली पत्नी से ही पूछना।” गोपाल हंसते-हंसते गंभीर हो गया और बोला, “मुझे तो कोई लड़की भाव तक नहीं देती। लगता है कि मेरी शादी कभी नहीं होगी।”
उन्हीं दोस्तों में से एक ने मजाक में कहा, “क्यों नहीं होगी, गोपाल? तुम्हारी शादी तो किसी राजकुमारी से ही होगी।”
गोपाल ने अचानक गंभीरता से कहा, “लेकिन मुझे वह राजकुमारी मिलेगी कहां?” उसी वक्त वहां से एक साधु गुज़र रहा था। उसने गोपाल की बातें सुनीं और बोला, “अगर तुम्हारे मन में सच्चे विचार हैं और साहस है, तो जाओ, राजा के पास जाकर अपनी इच्छा प्रकट करो।”
गोपाल ने साहस जुटाया और अगले ही दिन अच्छे कपड़े पहनकर राजा के महल की ओर निकल पड़ा। महल के गेट पर पहरेदारों ने उसे रोका, लेकिन गोपाल ने अपनी बात जोर से कह दी, “मुझे राजा से मिलना है, मुझे एक महत्वपूर्ण बात कहनी है।”
कुछ देर बाद, गोपाल को राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, “कहो गोपाल, किस काम से आए हो?”
गोपाल ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया, “महाराज, मैं आपकी पुत्री से विवाह करना चाहता हूं।”
राजा ने एक पल के लिए सोचा और फिर हंसकर कहा, “राजकुमारी से विवाह करना आसान नहीं है। तुम्हें एक कठिन परीक्षा से गुजरना होगा।”
गोपाल ने कहा, “महाराज, मैं किसी भी परीक्षा के लिए तैयार हूं।”
राजा ने उसे उत्तर दिशा में रहने वाली एक कंजूस महिला का ज़िक्र किया। वह महिला बेहद अमीर थी, परंतु अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए बहुत सतर्क रहती थी। राजा ने कहा, “तुम्हें उस महिला से एक मोर लाकर देना होगा। अगर तुम ऐसा कर सके, तो मैं तुम्हारी शादी अपनी बेटी से करवा दूंगा।”
गोपाल बिना किसी संकोच के उस महिला के घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक बूढ़ी महिला मिली, जो असल में एक जादूगरनी थी। उसने गोपाल से पूछा, “कहां जा रहे हो, बेटा?”
गोपाल ने अपनी कहानी सुनाई। जादूगरनी ने मुस्कुराकर कहा, “तुम सच्चे दिल के और साहसी हो। जाओ, मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।”
गोपाल उस महिला के घर पहुंचा। महिला ने उसे देखा और कठोर स्वर में पूछा, “यहां क्यों आए हो?”
गोपाल ने विनम्रता से कहा, “मां, मैं आपसे एक मोर मांगने आया हूं।”
महिला ने हंसकर कहा, “यह आसान नहीं है। तुम्हें तीन सवालों के सही जवाब देने होंगे।”
गोपाल ने सहमति जताई। महिला ने पहला सवाल पूछा, “यहां का फव्वारा क्यों सूख गया है?”
गोपाल ने चारों ओर देखा और समझते हुए कहा, “फव्वारे के पाइप में एक मेंढक फंसा हुआ है। उसे निकालते ही पानी बहने लगेगा।”
महिला ने सिर हिलाया और दूसरा सवाल पूछा, “इस घर में बार-बार डरावनी आवाजें क्यों आती हैं?”
गोपाल ने कहा, “यह आवाजें पुरानी दीवारों में बसे हुए चमगादड़ों से आती हैं।”
महिला ने कहा, “सही जवाब। अब आखिरी सवाल – क्या मुझे यह काम हमेशा करते रहना होगा?”
गोपाल ने जवाब दिया, “नहीं, जब तक इसे आपसे कोई और नहीं लेता, तब तक ही आपको इसे करते रहना होगा।”
महिला यह सुनकर प्रसन्न हो गई। उसने कहा, “तुमने तीनों सवालों के सही जवाब दिए। जाओ, जितने चाहो, मोर ले सकते हो।”
गोपाल ने एक सुंदर मोर लिया और राजमहल की ओर लौट पड़ा। महल में पहुंचकर उसने राजा को मोर भेंट किया। राजा ने यह देखकर कहा, “तुमने मेरी कठिन परीक्षा पास कर ली है। अब मैं तुम्हारी शादी राजकुमारी से करवा दूंगा।”
राजकुमारी ने गोपाल की सादगी और साहस को देखकर उसे स्वीकार किया, और दोनों का विवाह पूरे राज्य में धूमधाम से संपन्न हुआ।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे साहस और निष्ठा से किए गए प्रयास हमेशा सफल होते हैं, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों।
लालच की कीमत
यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ रघुपति नाम का एक मेहनती किसान रहता था। रघुपति के पास थोड़ी सी जमीन थी, जिस पर वह मेहनत से खेती करता और अपने परिवार का पालन-पोषण करता। परंतु जैसे-जैसे समय बीता, गाँव में फसल की बिक्री से होने वाली आय कम होती गई और रघुपति को अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल होने लगा। इस कठिनाई से निपटने के लिए रघुपति ने सोचा कि उसे कुछ अलग करना होगा जिससे वह ज्यादा मुनाफा कमा सके।
रघुपति ने अपने खेतों में तरबूज उगाने का निर्णय लिया। उसे उम्मीद थी कि इस फसल से उसे अच्छी कमाई होगी। उसने अपनी पूरी मेहनत और समय फसल की देखभाल में लगाया। कुछ समय बाद, उसने देखा कि तरबूज ठीक से बढ़ तो रहे हैं, लेकिन उन्हें और बड़ा और आकर्षक बनाने के लिए उसे कुछ करना होगा। तभी एक व्यापारी ने उसे बताया कि अगर वह तरबूज के पौधों पर विशेष हार्मोन की दवाइयां छिड़के, तो तरबूज असामान्य रूप से बड़े हो सकते हैं और तेजी से बढ़ सकते हैं।
जल्दी पैसे कमाने के लालच में रघुपति ने हार्मोन की दवाइयों का उपयोग शुरू कर दिया। कुछ ही हफ्तों में, उसके खेतों में तरबूज बड़े और चमकीले दिखने लगे। गाँववाले और आसपास के लोग यह देखकर हैरान रह गए। तरबूजों की बिक्री तेजी से बढ़ने लगी और रघुपति को बहुत मुनाफा होने लगा। उसका परिवार भी खुश था कि अब उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
लेकिन कहानी का एक दूसरा पहलू भी था, जिसे कोई नहीं जानता था। हार्मोन की ये दवाइयां तरबूजों को केवल बड़ा ही नहीं बनाती थीं, बल्कि उनमें ऐसे रसायन भी छोड़ देती थीं जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थे। एक दिन, रघुपति का छोटा बेटा और उसके कुछ दोस्त खेत में खेलते-खेलते तरबूज खा बैठे। रघुपति को इस बात की भनक भी नहीं लगी। शाम को घर पहुंचने पर उसे अपने बेटे की तबीयत खराब लगने लगी। बच्चे को पेट दर्द हो रहा था, उल्टियाँ हो रही थीं, और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।
रघुपति की पत्नी घबराकर डॉक्टर को बुलाने दौड़ी। डॉक्टर ने बच्चे का मुआयना किया और कहा कि उसे फूड पॉइजनिंग हो गई है। डॉक्टर ने पूछा कि बच्चे ने क्या खाया था। रघुपति की पत्नी ने घबराते हुए बताया कि बच्चे ने खेत के तरबूज खाए थे। यह सुनकर डॉक्टर गंभीर हो गया और रघुपति से पूछा, “क्या तुम्हारे तरबूजों पर कोई रसायन या दवाई का उपयोग किया गया था?”
रघुपति के चेहरे पर पसीना आ गया। उसने सिर झुकाकर स्वीकार किया, “हाँ, मैंने हार्मोन की दवाइयों का उपयोग किया था ताकि तरबूज जल्दी बड़े हो जाएं और मुझे ज्यादा मुनाफा हो सके।”
डॉक्टर ने सख्ती से कहा, “यह हार्मोन इंसानों के लिए खतरनाक है। यह आपके बच्चे की जान को खतरे में डाल सकता है। आपको सच बताना होगा ताकि हम इसे बचा सकें।”
रघुपति की आँखों में आँसू आ गए। उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “मुझे जो भी सजा मिले, मैं सह लूंगा, पर मेरे बेटे को बचा लीजिए।”
डॉक्टर ने उसे सांत्वना दी और कहा कि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा। बच्चे को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसका इलाज हुआ और उसकी जान बच गई। इसके बाद गाँव में यह बात फैल गई और लोग रघुपति के खेतों से तरबूज खरीदने से डरने लगे।
पुलिस ने रघुपति को गिरफ्तार कर लिया और उसने अपने पापों को कबूल किया। रघुपति ने कोर्ट में बयान दिया, “मुझे मेरी गलती का एहसास हो गया है। मैंने लालच में आकर यह कदम उठाया था, जिससे मेरे अपने बच्चे की जान पर बन आई। मैं अपनी सजा के लिए तैयार हूँ, लेकिन मैं सबको यह चेतावनी देना चाहता हूँ कि पैसे के लालच में इस तरह के काम न करें।”
यह घटना गाँव के लिए एक बड़ा सबक बनी। रघुपति को जेल की सजा हुई, लेकिन उसके बेटे की जान बच गई। गाँववालों ने यह ठान लिया कि वे अब प्राकृतिक तरीके से ही खेती करेंगे और किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं करेंगे।
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