छोटा सा प्रेरक प्रसंग | जीवन पर सर्वश्रेष्ठ सुविचार

अजीब विडम्बना

छोटा सा प्रेरक प्रसंग-जिनका आपने कुछ नहीं बिगाड़ा, न कभी उनके बारे में बुरा सोचा, न ही कभी उनका कोई नुकसान पहुँचाया, फिर भी वे आपके पीछे पड़े रहते हैं, आपको नष्ट-भ्रष्ट करना चाहते हैं। सावधान रहें और सतर्क रहें…!!

यह कहानी जुगनू और साँप की है, जो आज की सच्चाई को बखूबी दर्शाती है। हम सभी जानते हैं कि जुगनू जब तक जीवित रहता है, तब तक वह चमकता है और अपनी रौशनी फैलाता है। एक दिन, एक साँप ने एक जुगनू का पीछा करना शुरू किया।

साँप को अपने पीछे आते देख, जुगनू घबरा गया और उसे थोड़ी हैरानी भी हुई। डर के मारे, जुगनू तेजी से उड़ने लगा। यह देखकर साँप भी उतनी ही तेजी से उसकी ओर बढ़ने लगा।

जुगनू ने सोचा, “इस तरह तो साँप मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा और अंततः मुझे खा जाएगा।” स्थिति को समझकर, जुगनू रुक गया और साँप से बोला, “क्या मैं आपसे तीन प्रश्न पूछ सकता हूँ?”

ज्ञानवर्धक प्रेरक प्रसंग

साँप ने कहा, “हाँ, बिल्कुल पूछो।”

जुगनू ने पहला प्रश्न पूछा, “क्या मैं उन जीवों में से हूँ जिन्हें आप खाते हो?”

साँप ने कहा, “नहीं, तुम उन जीवों में से नहीं हो।”

जुगनू ने दूसरा प्रश्न पूछा, “क्या मैंने आपका कोई नुकसान किया है?”

साँप ने कहा, “नहीं, तुमने मेरा कोई नुकसान नहीं किया है।”

जुगनू ने तीसरा और अंतिम प्रश्न पूछा, “तो फिर आप मुझे क्यों निगलना चाहते हो?”

साँप ने उत्तर दिया, “क्योंकि मैं तुम्हें चमकते हुए नहीं देख सकता।”

 

इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि जीवन में आपको ऐसे लोग मिलेंगे जिनसे आपका कोई संबंध नहीं होगा, जिनका आपने कोई नुकसान नहीं किया होगा, लेकिन वे आपको चमकते हुए नहीं देख सकते। वे ईर्ष्या और द्वेष के कारण आपको नष्ट करने का प्रयास करेंगे।

इसलिए, अगर आपको अपनी चमक बनाए रखनी है, तो ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा। साँप जैसे दुष्ट व्यक्ति कभी अपना स्वभाव नहीं बदलते। उनके मन में आपके प्रति कोई व्यक्तिगत द्वेष न होते हुए भी, वे आपकी सफलता और खुशी को सहन नहीं कर सकते। ऐसे लोग जीवन में हमेशा मिलेंगे, लेकिन हमें उनके हानिकारक प्रभाव से बचकर अपनी राह पर चलते रहना होगा।

चमकते रहिए, सतर्क रहिए, और उन साँपों से बचकर रहिए जो आपकी रौशनी से ईर्ष्या करते हैं। यही जीवन की सच्चाई है और हमें इसे समझकर ही आगे बढ़ना है।

सफलता की राह में आने वाली हर बाधा को पार करते हुए, अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दृढ़ रहिए। दुनिया की सारी मुश्किलों के बावजूद, अपनी चमक को कायम रखिए और उन लोगों से दूर रहिए जो आपके उजाले को धूमिल करना चाहते हैं। जीवन एक संघर्ष है, और इसमें सफल वही होते हैं जो अपनी राह पर अडिग रहते हैं, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं।

 प्रेरणा और धैर्य

जीवन में कई बार हमें ऐसे लोगों का सामना करना पड़ता है जो हमारी सफलता से जलते हैं। ऐसे समय में हमें हिम्मत और धैर्य से काम लेना चाहिए। सफलता की राह में आने वाली चुनौतियों को पार करना आसान नहीं होता, लेकिन अगर हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें और अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।

हमें यह समझना होगा कि हमारी चमक ही हमारी पहचान है। हमारे प्रयास, मेहनत और आत्मविश्वास ही हमें दूसरों से अलग बनाते हैं। हमें अपनी खूबियों को पहचानना चाहिए और उन्हें निखारने का प्रयास करना चाहिए।

सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। बल्कि, उनसे सीखकर और भी मजबूत बनना चाहिए। हर मुश्किल के बाद, सफलता का आनंद और भी मीठा होता है। हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए और अपने आत्मविश्वास को कभी कम नहीं होने देना चाहिए।

निष्कर्ष

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में हर प्रकार के लोग मिलेंगे। कुछ लोग हमारी सफलता से प्रेरित होंगे, तो कुछ हमारी चमक से ईर्ष्या करेंगे। हमें अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहना चाहिए और अपनी चमक को बनाए रखना चाहिए।

जीवन में हर चुनौती का सामना धैर्य और साहस के साथ करें। अपनी खूबियों को पहचानें, अपनी कमजोरियों को सुधारें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। सफलता अवश्य मिलेगी, क्योंकि मेहनत और आत्मविश्वास के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।

चमकते रहिए, सतर्क रहिए, और अपनी सफलता की राह पर अग्रसर रहिए। यही जीवन का मूल मंत्र है।

एक छोटी सी कहानी शिक्षा

कहाँ हैं ईश्वर?

आइए जानते हैं…

छोटा सा प्रेरक प्रसंग-बहुत से लोग कहते हैं कि भगवान है ही नहीं। उनका कहना है कि यदि भगवान हैं, तो उन्हें दिखाओ कि वे कहाँ हैं। भगवान को महसूस तो किया जा सकता है, लेकिन उन्हें आँखों से देखा नहीं जा सकता।

एक बार एक जिज्ञासु संत के पास आया और उनसे कहा, “महाराज, आप हमेशा भगवान की बातें करते हैं। यदि भगवान सच में हैं, तो मुझे दिखाइए कि वे कहाँ हैं। मुझे वे क्यों नजर नहीं आते?”

संत ने शांति से उत्तर दिया, “भाई, भगवान तो अनुभव की चीज़ हैं। मैं तुम्हें कैसे दिखाऊँ? मैं उन्हें अनुभव कर सकता हूँ, मैं उन्हें देख सकता हूँ। मेरे भजन और साधना से प्रसन्न होकर वे मुझे अपनी झलक दिखाते हैं, लेकिन मैं तुझे कैसे दिखाऊँ?”

जिज्ञासु को संत की बातें समझ में नहीं आईं और उसने हठपूर्वक कहा, “मुझे ये सब ज्ञान की बातें मत सुनाओ। यदि तुम सच में भगवान को देख सकते हो, तो मुझे भी दिखाओ कि वे कहाँ हैं।”

संत ने उसे बहुत समझाया, भजन और साधना की महत्ता बताई, लेकिन जिज्ञासु की समझ में कुछ नहीं आया। वह बार-बार एक ही बात कहता रहा, “तुम मुझे अपना भगवान दिखाओ, कहाँ है तुम्हारा भगवान?”

जब जिज्ञासु किसी भी तरह नहीं माना, तो संत ने पास में पड़ी अपनी लाठी उठाई और जोर से उसके पैर पर मारी। लाठी लगते ही जिज्ञासु दर्द से तड़प उठा और चीखने लगा, “हाय, मैं मर गया! हाय, मुझे बहुत दर्द हो रहा है! बड़ी तकलीफ हो रही है!”

संत ने मुस्कराते हुए पूछा, “दिखा, कहाँ है तेरा दर्द? मुझे दिखा, दर्द कहाँ है?”

वह रोते हुए, तड़पते हुए बोला, “महाराज, दर्द को तो केवल महसूस किया जा सकता है, उसे देखा नहीं जा सकता। मैं आपको कैसे दिखाऊँ कि मेरा दर्द कहाँ है?”

संत ने हँसते हुए कहा, “पागल, उसी प्रकार भगवान को भी महसूस किया जा सकता है, लेकिन उन्हें देखा नहीं जा सकता। जिस पर भगवान की कृपा होती है, उसे उनका दर्शन हो जाता है। भगवान को केवल भक्ति, साधना और सच्चे मन से ही महसूस किया जा सकता है।”

संत की बातें सुनकर जिज्ञासु को सच्चाई का एहसास हुआ। उसने समझा कि भगवान को देखने के लिए भक्ति और साधना का मार्ग अपनाना होगा। भक्ति और साधना से ही भगवान के दर्शन संभव हैं।

जिज्ञासु संत की बातों से प्रभावित हुआ और उसने अपनी जिद्द छोड़ दी। उसने संत से कहा, “महाराज, अब मुझे समझ आ गया है कि भगवान को केवल महसूस किया जा सकता है, उन्हें भौतिक रूप में देखा नहीं जा सकता। कृपया मुझे बताइए कि मैं भगवान का अनुभव कैसे कर सकता हूँ। मुझे सही मार्ग दिखाइए।”

संत ने मुस्कुराते हुए कहा, “भाई, भगवान का अनुभव करने के लिए तुम्हें सच्चे मन से भक्ति और साधना का मार्ग अपनाना होगा। सबसे पहले तुम्हें अपने मन को शांत और पवित्र बनाना होगा। नियमित रूप से प्रार्थना, ध्यान और भजन करना होगा।”

जिज्ञासु ने उत्सुकता से पूछा, “महाराज, मुझे बताइए कि मैं कैसे शुरू कर सकता हूँ। कौन-से भजन गाऊँ और कैसे ध्यान करूँ?”

संत ने उसे समझाते हुए कहा, “सबसे पहले, तुम्हें एक शांत स्थान चुनना होगा जहाँ तुम बिना किसी व्यवधान के ध्यान कर सको। सुबह-सुबह का समय ध्यान और प्रार्थना के लिए सबसे अच्छा होता है। तुम अपने मन को एकाग्र करके भगवान के नाम का जाप करो। धीरे-धीरे तुम्हारा मन शांत और स्थिर होगा और तुम भगवान की उपस्थिति को महसूस कर सकोगे।”

संत ने उसे कुछ विशेष मंत्र और भजन भी बताए और कहा, “इन भजनों और मंत्रों का जाप करते हुए, तुम अपने मन को भगवान के चरणों में अर्पित करो। हर दिन थोड़ा समय निकालकर भगवान की कथाएँ पढ़ो और समझो। इससे तुम्हारा मन और हृदय भगवान की भक्ति में और भी गहरे डूबेंगे।”

जिज्ञासु ने संत की बातें ध्यानपूर्वक सुनी और उनसे वचन लिया कि वह पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भक्ति और साधना के इस मार्ग पर चलेगा। उसने संत को प्रणाम किया और अपनी साधना की शुरुआत की।

समय बीतता गया, और जिज्ञासु ने संत के निर्देशों का पालन करते हुए नियमित रूप से ध्यान, प्रार्थना और भजन करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, उसने अपने मन में एक शांति और पवित्रता का अनुभव किया। उसका हृदय भगवान की भक्ति में और गहराई से डूबता गया। एक दिन, उसने ध्यान के दौरान भगवान की एक झलक पाई और उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने संत की बातों को सत्य पाया और भगवान के अस्तित्व को महसूस किया।

जिज्ञासु ने संत के पास जाकर अपने अनुभव साझा किए और उन्हें धन्यवाद दिया। संत ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा, “देखा, भगवान का अनुभव करना कितना सरल है। बस सच्चे मन से उनकी भक्ति करो, वे स्वयं तुम्हारे पास आ जाएँगे। भक्ति और साधना ही वह मार्ग है, जिससे हम भगवान को पा सकते हैं।”

इस प्रकार, जिज्ञासु ने संत की शिक्षाओं का पालन करते हुए अपने जीवन में भगवान का अनुभव किया और सच्चे भक्त के रूप में अपने जीवन को धन्य बना लिया।

**जय श्री कृष्णा!**

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