गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग | Inspirational stories of Guru Shishya

गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग- गुरु की महिमा अतुलनीय है। गुरु केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होते, बल्कि वे जीवन के हर पहलू में सही मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करते हैं। जीवन में सही मार्गदर्शन को प्राप्त करने के लिए गुरु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। गुरु हमें न केवल सही और गलत का भेद समझाते हैं, बल्कि हमारे अंदर छुपी संभावनाओं को भी उजागर करते हैं।

इसलिए हमेशा गुरु और शिष्य का रिश्ता अटूट होता है। यह रिश्ता केवल शिक्षा तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक गहरा और सशक्त संबंध होता है गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान हमें सदैव बनाए रखना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं।”

गुरु की सेवा

एक मजदूर नया नया दिल्ली आया। पत्नी को किराए के मकान मे छोडकर काम की तलाश मे निकला। एक जगह मंदिर में सेवा चल रही थी। कुछ लडकों को काम करते देखा उनसे पूछा, “क्या मैं यहाँ काम कर सकता हूँ?”

लडको ने ‘हाँ’ कहा।

मजदूर, “तुम्हारे मालिक कहाँ हैं?”

लडको को शरारत सूझी और बोले, “मालिक बाहर गया है। तुम बस काम पर लग जाओ। हम बता देंगे कि आज से लगे हो।”

मजदूर खुश हुआ और काम करने लगा। रोज सुबह समय से आता शाम को जाता। पूरी मेहनत लगन से काम करता। ऐसे हफ्ता निकल गया।

मजदूर ने फिर लडकों से पूछा, “मालिक कब आयेंगे?”

लडकों ने फिर हफ्ता कह दिया। फिर से हफ्ता निकल गया।

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गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग
गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग

 

मजदूर लडकों से बोला, “भैया आज तो घरपर खाने को कुछ नही। बचा पत्नी बोली कुछ पैसे लाओगे तभी खाना बनेगा। मालिक से हमें मिलवा दो।”

लडकों ने बात अगले दिन तक टाल दी। मगर मजदूर के जाते ही उन्हें अपनी गलती का एहसास होने लगा और उन्होने आखिर फैसला किया कि वो मजदूर को सबकुछ सच सच बता देंगे। ये मंदिर की सेवा है। यहाँ कोई मालिक नहीं। ये तो हम अपने गुरु महाराज जी की सेवा कर रहे हैं।

अगले दिन मजदूर आया तो सभी लडकों के चेहरे उतरे थे। वो बोले, “अंकल जी, हमें माफ कर दो। हम अबतक आपसे मजाक कर रहे थे।”

और सारी बात बता दी।

मजदूर हंसा ओर बोला, “मजाक तो आप अब कर रहे हो। हमारे मालिक तो सचमुच बहुत अच्छे हैं। कल दोपहर मे हमारे घर आये थे। पत्नी को 1 महीने की पगार ओर 15 दिनों का राशन देकर गए। कौन मालिक मजदूर को घर पर पगार देता है, राशन देता है। सचमुच हमारे मालिक बहुत अच्छे हैं।”

और फिर अपने काम पर मेहनत से जुट गया।

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लडकों की समझ में आ गया जो बिना स्वार्थ के गुरु की सेवा करता है, गुरू हमेशा उसके साथ रहते हैं और उसके दुख तकलीफ दूर करते रहते हैं,

सभी गुरुओं के चरणों में मेरा शत-शत नमन!

सन्त की दूरदर्शिता

गुरु शिष्य के प्रेरक प्रसंग-एक सन्त के पास 30 सेवक रहते थे। एक सेवक ने गुरुजी के आगे प्रार्थना की, ‘महाराज जी! मेरी बहन की शादी है तो आज एक महीना रह गया है तो मैं दस दिन के लिए वहाँ जाऊँगा। कृपा करें ! आप भी साथ चले तो अच्छी बात है।’

गुरु जी ने कहा– ‘बेटा देखो टाइम बताएगा। नहीं तो तेरे को तो हम जानें ही देंगे।’ उस सेवक ने बीच-बीच में इशारा गुरु जी की तरफ किया कि गुरुजी कुछ ना कुछ मेरी मदद कर दें।

आखिर वह दिन नजदीक आ गया सेवक ने कहा, ‘गुरु जी कल सुबह जाऊँगा मैं।’ गुरु जी ने कहा, ‘ठीक है बेटा!’

सुबह हो गई जब सेवक जाने लगा तो गुरु जी ने उसे 5 किलो अनार दिए और कहा, ‘ले जा बेटा भगवान तेरी बहन की शादी खूब धूमधाम से करें दुनिया याद करें कि ऐसी शादी तो हमने कभी देखी ही नहीं और साथ में दो सेवक भेज दिये जाओ तुम शादी पूरी करके आ जाना।’

जब सेवक घर से निकले 100 किलोमीटर गए तो जिसकी बहन की शादी थी वह सेवक दूसरों से बोला, ‘गुरु जी को पता ही था कि मेरी बहन की शादी है, और हमारे पास कुछ भी नहीं है, फिर भी गुरु जी ने मेरी मदद नहीं की।’ दो-तीन दिन के बाद वह अपने घर पहुँच गया।

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गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग । Moral Story। Hindi Kahani।

 

उसका घर राजस्थान रेतीली इलाके में था वहाँ कोई फसल नहीं होती थी। वहाँ के राजा की लड़की बीमार हो गई तो वैद्यजी ने बताया कि, ‘इस लड़की को अनार के साथ यह दवाई दी जाएगी तो यह लड़की ठीक हो जाएगी।’

राजा ने मुनादी करवा रखी थी कि, ‘अगर किसी के पास आनार है तो राजा उसे बहुत ही इनाम देंगे।’ इधर मुनादी वाले ने आवाज लगाई, अगर किसी के पास अनार है तो जल्दी आ जाओ, राजा को अनारों की सख्त जरूरत है।

जब यह आवाज उन सेवकों के कानों में पड़ी तो वह सेवक उस मुनादी वाले के पास गए और कहा कि हमारे पास अनार है, चलो राजा जी के पास।

राजाजी को अनार दिए गए अनार का जूस निकाला गया और लड़की को दवाई दी गई तो लड़की ठीक-ठाक हो गई।

राजा जी ने पूछा, ‘तुम कहाँ से आए हो, तो उसने सारी हकीकत बता दी। राजा ने कहा, ‘ठीक है तुम्हारी बहन की शादी मैं करूँगा।’ राजा जी ने हुकुम दिया कि, ‘ऐसी शादी होनी चाहिए जिसे देखकर लोग यह कहे कि यह राजा की लड़की की शादी है।’

सब बारातियों को सोने चांदी गहने के उपहार दिए गए बारात की सेवा बहुत अच्छी हुई लड़की को बहुत सारा धन दिया गया। लड़की के मां-बाप को बहुत ही जमीन जायदाद व आलीशान मकान और बहुत सारे रुपए पैसे दिए गए। लड़की भी राजी खुशी विदा होकर चली गई।

सेवक सोचने लगे कि, ‘गुरु की महिमा गुरु ही जाने। हम ना जाने क्या-क्या सोच रहे थे गुरु जी के बारे में। गुरु जी के वचन थे जा बेटा तेरी बहन की शादी ऐसी होगी कि दुनिया देखेगी।’ सन्त वचन हमेशा सच होते हैं।

सन्तों के वचन के अन्दर ताकत होती है लेकिन हम नहीं समझते। जो भी वह वचन निकालते हैं वह सिद्ध हो जाता है। हमें सन्तों के वचनों के ऊपर अमल करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए ना जाने सन्त मौज में आकर क्या दे दें और रंक से राजा बना दें।।

ॐ गुरू देवाय नमः

गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग
गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग

गुरू शिष्य की अद्भुत जोड़ी

एक बार स्वामी विवेकानंद जी किसी स्थान पर प्रवचन दे रहे थे | श्रोताओ के बीच एक मंजा हुआ चित्रकार भी बैठा था | उसे व्याख्यान देते स्वामी जी अत्यंत ओजस्वी लगे | इतने कि वह अपनी डायरी के एक पृष्ठ पर उनका रेखाचित्र बनाने लगा |

प्रवचन समाप्त होते ही उसने वह चित्र स्वामी विवेकानंद जी को दिखाया | चित्र देखते ही, स्वामी जी हतप्रभ रह गए | पूछ बैठे -‘यह मंच पर ठीक मेरे सिर के पीछे तुमने जो चेहरा बनाया है , जानते हो यह किसका है ? चित्रकार बोल – ‘नहीं तो …. पर पूरे व्याख्यान के दौरान मुझे यह चेहरा ठीक आपके पीछे झिलमिलाता दिखाई देता रहा |

यह सुनते ही विवेकानंद जी भावुक हो उठे | रुंधे कंठ से बोले – ‘धन्य है तुम्हारी आँखे ! तुमने आज साक्षात मेरे गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस जी के दर्शन किए ! यह चेहरा मेरे गुरुदेव का ही है, जो हमेशा दिव्य रूप में, हर प्रवचन में, मेरे अंग संग रहते है …. मैं नहीं बोलता, ये ही बोलते है | मेरी क्या हस्ती, जो कुछ कह-सुना पाऊं ! बाँट रहे है | वैसे भी देखो न, माइक आगे होता है और मुख पीछे | ठीक यही अलौकिक दृश्य इस चित्र में है | मैं आगे हूँ और वास्तविक वक्ता – मेरे गुरुदेव पीछे !

गुरु शिष्यों के देश में युगों युगों से यही रहस्यमयी लीला घटती रही है ।।।।।।।।। |जय गुरुदेव।।हरि ॐ जी।।

राम राम

दूरियाँ दिलों की

एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं ?

         शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया, “हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं।” संत ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोनों लोग एक दूसरे के काफी करीब होते हैं तो फिर धीरे-धीरे भी तो बात कर सकते हैं। आखिर वह चिल्लाते क्यों हैं ?” कुछ और शिष्यों ने भी जवाब दिया लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुद उत्तर देना शुरू किया।

         सन्त बोले, “जब दो लोग एक दूसरे से नाराज होते हैं तो उनके दिलों में दूरियाँ बहुत बढ़ जाती हैं। जब दूरियाँ बढ़ जायें तो आवाज को पहुँचाने के लिए उसका तेज होना जरूरी है। दूरियाँ जितनी ज्यादा होंगी उतनी तेज चिल्लाना पड़ेगा। दिलों की यह दूरियाँ ही दो गुस्साए लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर देती हैं।

          सन्त आगे बोले, “जब दो लोगों में प्रेम होता है तो वह एक दूसरे से बड़े आराम से और धीरे-धीरे बात करते हैं। प्रेम दिलों को करीब लाता है और करीब तक आवाज पहुँचाने के लिए चिल्लाने की जरूरत नहीं होती। जब दो लोगों में प्रेम और भी प्रगाढ़ हो जाता है तो वह फुसफुसा कर भी एक दूसरे तक अपनी बात पहुँचा लेते हैं।

इसके बाद प्रेम की एक अवस्था यह भी आती है कि फुसफुसाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। एक दूसरे की आँख में देख कर ही समझ आ जाता है कि क्या कहा जा रहा है।” शिष्यों की तरफ देखते हुए संत बोले, “अब जब भी कभी बहस करें तो दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें। शान्त चित्त और धीमी आवाज में ही बात करें। ध्यान रखें कि कहीं दूरियाँ इतनी न बढ़ जायें कि वापिस आना ही मुमकिन न हो।”

         जहाँ उच्च एवं कर्कश स्वर दिलों की दूरियाँ बढ़ाता है, वहीं मध्यम एवं मधुर स्वर दिलों को पास लाता है।

राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏🙏

 

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