आध्यात्मिक संसार इतना विशेष क्यों है | Why is the spiritual word so special | प्रश्नोत्री | Spirituality

Why is the spiritual word so special-आध्यात्मिक संसार इतना विशेष क्यों है?

🙏🙏 हरे कृष्ण!

Why is the spiritual word so special | आध्यात्मिक संसार इतना विशेष क्यों है?

अत्यंत स्तर (Absolute plane) पर कोई शोषण नहीं होता। वहाँ हर कोई सेवा देना चाहता है, कोई भी सेवा लेना नहीं चाहता। पारमार्थिक (transcendental) संसार में सभी सेवा देने की भावना रखते हैं।

भगवान आखिरी बार कब प्रकट हुए थे
भगवान आखिरी बार कब प्रकट हुए थे

आप मेरी सेवा करना चाहते हैं और मैं आपकी सेवा करना चाहता हूँ – यही भाव कितना सुंदर है! जबकि भौतिक संसार में हर व्यक्ति दूसरे का शोषण करना चाहता है। जैसे मैं तुम्हारी जेब काटना चाहता हूँ और तुम मेरी – बस यही है यह भौतिक संसार। हमें इस अंतर को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

भौतिक जगत में हर कोई अपने मित्र, माता-पिता, या अन्य किसी को भी किसी न किसी रूप में अपने लाभ के लिए प्रयोग करता है। लेकिन आध्यात्मिक संसार में, हर व्यक्ति सेवा करना चाहता है – और वह सेवा कृष्ण को केंद्र बनाकर होती है। सभी भक्त – चाहे वह मित्र हों, सेवक हों, माता-पिता हों या प्रेमी – सभी कृष्ण की सेवा करना चाहते हैं, और आश्चर्य की बात यह है कि स्वयं श्रीकृष्ण भी अपने भक्तों की सेवा करना चाहते हैं।

मृत्यु का भय और समाधान
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यह संबंध पूर्णतः पारमार्थिक होता है। यहाँ सेवा ही मुख्य कार्य है, जबकि वहाँ सेवा की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हर कोई पूर्ण है। वहाँ कोई भूख नहीं होती, कोई खाने की आवश्यकता नहीं होती, फिर भी हर कोई कृष्ण को स्वादिष्ट भोजन अर्पित करता है।

यह है आध्यात्मिक जगत। जब तक हम उस स्तर पर नहीं पहुँचते जहाँ हम निःस्वार्थ रूप से केवल कृष्ण या उनके भक्तों की सेवा करना चाहते हैं, तब तक हम उस पारमार्थिक आनंद को नहीं पा सकते जो सेवा में है। यदि हमारी सेवा में कोई भी स्वार्थ या इंद्रिय सुख की कामना है, तो वह आध्यात्मिक भावना कभी जागृत नहीं हो सकती। इसलिए सेवा केवल बिना किसी स्वार्थ या इच्छाओं के, परम भगवान और उनके भक्तों को समर्पित भाव से करनी चाहिए।

राधे राधे!

आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Adhyatmik Gyanvardhk Kahaniyaan

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राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏

हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।

 

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