विद्यार्थियों के लिए सफल जीवन के सूत्र-successful life for students
राधे राधे!🙏🙏
विद्यार्थियों के लिए सफल जीवन के सूत्र | successful life for students
महाराज जी! विद्यार्थी जीवन को सुधारने के लिए कौन-कौन से नियम होने चाहिए?
महाराज जी – सबसे पहली बात यह है कि यदि हमारे आचरण पवित्र नहीं हैं तो हम किसी भी मार्ग में सफल नहीं हो सकते। ऊँचाई पर चढ़ने में पूरा जीवन लग जाता है लेकिन फिसलने में एक मिनट लगता है।
अब तुम सयाने बच्चे हो, शायद हमारी बात तुम्हें समझ में आ जाए। बिना ब्रह्मचर्य के किसी भी ऊँचाई पर नहीं चढ़ा जा सकता। अगर गृहस्थ में भी जाना है तो जब तक विवाह संस्कार ना हो, तब तक वैरागी जनों की तरह ब्रह्मचर्य में रहना चाहिए। पहले सभी बच्चों को गुरुकुलों में इसलिए रखा जाता था ताकि वे अपने ब्रह्मचर्य को पुष्ट कर सकें।
हमारी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि यदि इन बच्चों में से कोई भी ब्रह्मचर्य क्षीण करने वाली कोई ऐसी क्रिया करता हो, तो आज ही छोड़ दे। संकोच न करें। यह आपके जीवन को नष्ट कर देगी। यह जो आजकल बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड का चलन है, यह जीवन की उन्नति के लिए जहर है। अगर यह जहर खा लिया, तो ना गृहस्थ जीवन के लायक रहोगे और ना ही विरक्त जीवन के लायक।
अगर कोई ऐसी गलती कर रहे हो, तो उसे छोड़ दो। इसी अवस्था में ऐसे संस्कार बनते हैं जिससे हम अपने देश, समाज और भगवान की सेवा के लायक बनते हैं। यदि आचरण बिगड़ गए तो बच्चा, तुम अंदर से इतने विक्षिप्त और असंतुष्ट हो जाओगे कि माता-पिता और सभी को दुःख देने वाले बन जाओगे। क्योंकि तुम स्वयं दुखी हो। और क्यों दुखी हो? क्योंकि तुम गलत आचरणों में फंस गए हो।

आजकल मोबाइल सबके पास है। यदि तुम अपने को संयम में नहीं रखोगे, तो उसमें गलत दृश्य देखोगे। हम जो बोलते हैं, देखते हैं, और सुनते हैं – वही हमारा चिंतन बनता है, और वही हमारी आदत और क्रिया में परिवर्तित होता है।
जब तक विवाह न हो, तब तक ब्रह्मचर्य भाव में रहना चाहिए। ब्रह्मचर्य में रहने के लिए व्यायाम अत्यंत आवश्यक है। यदि व्यायाम नहीं करोगे तो ब्रह्मचर्य नहीं टिकेगा। व्यायाम नहीं करोगे तो सेवा योग्य भी नहीं रहोगे। शरीर के ऐसे कई अंग हैं जिन्हें क्रियाशील रखना आवश्यक है।
जो दंड-बैठक करते हैं, उनके शरीर की मुद्रा भी अलग होती है। यदि तुम व्यायाम नहीं करते हो और अभी से ही प्रमादी हो जाओगे, तो अपने जीवन को प्रकाशित नहीं कर पाओगे। यदि प्रातः चार बजे उठकर सोच-स्नान कर, बीस मिनट का व्यायाम कर लो, तो जीवन में परिवर्तन आ जाएगा। 10 बार सपाटे, बैठक, दंड-बैठक, 2 किलोमीटर दौड़ – बस इतना ही काफी है।
इसके बाद अपनी विद्या-अध्ययन में लगो, जैसे तपस्वी तपस्या करता है। जितना अच्छा पढ़ोगे, उतना अच्छा समाज और देश सेवा कर सकोगे। व्यायाम, ब्रह्मचर्य तभी सफल होगा जब आहार शुद्ध होगा। ब्रह्मचर्य में इतनी ताकत है कि बचपन में जो पढ़ा है वह आज भी याद रहता है। ब्रह्मचर्य ठीक नहीं होगा तो शरीर रोगग्रस्त हो जाएगा। पढ़ाई में नंबर नहीं आएंगे, क्योंकि स्मृति शक्ति कमजोर हो जाती है।

हमारी प्रार्थना है कि आप ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। जिन गलतियों से ब्रह्मचर्य छिनता है, उन्हें त्यागें। कई बच्चे हमसे मिलकर रोते हैं कि गलती हो गई – जैसे 13 वर्ष का बच्चा जो लघुशंका से पहले वीर्य स्राव का अनुभव करता है। पूछने पर उसने कहा – दोस्तों से सीख लिया।
ऐसे दोस्तों का संग त्याग दो जो गंदी बातें करते हैं या गंदे दृश्य दिखाते हैं। पढ़ाई कोई साधारण काम नहीं, यह एक तपस्या है। पढ़-लिखकर जीवन एक साधना बन जाती है। चाहे नौकरी मिले या न मिले, पढ़ा-लिखा व्यक्ति समाज में सम्मान और विवेक से भरा होता है। “विद्या विनयम ददाति” – विद्या विनय देती है। माता-पिता की सेवा, समाज सेवा के लिए योग्य बनाती है।
भाई, ब्रह्मचर्य पर ध्यान दो। ब्रह्मचर्य व्यायाम, कुसंग त्याग और शुद्ध आहार से टिकता है। बाजार के गंदे भोजन से बचो। जो घर में बनता है वही खाओ। कई बार बाजार में अच्छा दिखने वाला भोजन भी अपवित्र मनोभावों से बना होता है। इसलिए घर का बना खाना ही उत्तम है।
हर दिन कुछ मिनट भगवान के नाम जप को दें। जैसे डॉक्टर पीली या हरी दवा देता है, वैसे ही कोई भी नाम – राधा राधा, राम राम, कृष्ण कृष्ण – जो भी प्रिय हो, उसका जप करो। स्कूल जाते समय, एकांत में, चलने-फिरने के दौरान, नाम जप करो। नाम जप ब्रह्मचर्य का पोषण करता है, कुसंग से बचाता है, और स्मृति, एकाग्रता बढ़ाता है।
आप अच्छे विद्यार्थी बनो, समाज सुधारक बनो, देश के सेवक बनो, भक्त बनो – यह सब हो सकता है, यदि विद्या और आचरण पवित्र हो। संशय हो तो पूछो। परंतु जो ब्रह्मचर्य से हट रहे हैं, वे ध्यान दें – दृष्टि और मन से ब्रह्मचर्य क्षीण होता है। यदि सुधार कर लोगे तो उत्तम बन जाओगे।
हमने कई बच्चों को देखा है जो केवल संग के कारण बिगड़ गए – 13 वर्ष में ही ब्रह्मचर्य भंग हो गया। जब शरीर नष्ट होता है तो बहुत देर हो जाती है। इसलिए मोबाइल में गंदी बातें देखना बंद करो। जो गलत बातें कर रहे हैं उनसे मिलना बंद करो। वरना एक दिन यही बात तुम्हें याद आएगी – कि न गृहस्थ जीवन योग्य रहोगे, न परमार्थ योग्य।
जो संयम में रहता है, वही गृहस्थ जीवन में भी सफल होता है। संयमहीन व्यक्ति जीवन में हर स्थान पर असफल रहता है। अगर पढ़ाई में फेल हो जाओ, तो निराश मत होना। दोस्त उपहास करें, माता-पिता डांटे, तब भी हार मानने की आवश्यकता नहीं। फिर से लगन से पढ़ो, अच्छा करो। कभी भी आत्महत्या जैसे विचार मत लाओ। हार से डरो मत, जीतने का संकल्प रखो। हम भगवान के अंश हैं, हम प्रयास करेंगे।
भगवान का नाम अवश्य जपना है। सभी बच्चे 10 मिनट प्रतिदिन “राधा-राधा” या अपने प्रिय भगवान के नाम का जप करें। वह नाम तुम्हारे जीवन का मंगल करेगा। उल्टा नाम जपने से भी वाल्मीकि ब्रह्म बन गए – नाम की इतनी सामर्थ्य है कि वह जीवन बदल देता है।
जो भी गलत आदतें हैं उन्हें सुधारो। नहीं सुधारोगे तो बुद्धि राक्षसी बन जाएगी। राक्षसी बुद्धि यानी केवल भोग की लालसा, और वहीं से सारे पाप और अपराध आरंभ होते हैं। तुम हमारे घर के बच्चे हो, इसलिए हमारी इच्छा है कि तुम्हारा जीवन सुधरे। आज के युवाओं में गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का जो प्रवाह चल पड़ा है, वह जीवन को बर्बाद कर रहा है।
अब भी समय है – अपनी स्थिति सुधार लो। अभी से भोग बुद्धि में पड़ गए तो शक्ति नष्ट हो जाएगी।
राधे राधे!🙏🙏
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हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।