प्रारब्ध और कर्म का आध्यात्मिक अर्थ-Spiritual meaning of destiny and karma
राधे राधे 🙏🙏
प्रारब्ध और कर्म का आध्यात्मिक अर्थ | Spiritual meaning of destiny and karma
बिना गलती के भी कोई गलत आरोप लगाए तो क्या करें ?
महाराज जी कहते हैं कि जब किसी ने हमारे ऊपर कोई गलत आरोप लगाया है, जो पाप हमने नहीं किया है या हमारे बारे में कुछ गलत बात कह रहा है तो सबसे पहले हम अपने कर्तव्य का पालन करते हुए बचाव को पक्ष और साफ रूप में रखना चाहिए। उस व्यक्ति को बात का स्पष्ट और सच्चा उत्तर देना चाहिए। हमें अपने बचाव में पूर्ण रूप से प्रयास रत होना चाहिए।
फिर भी यदि सामने वाला हमारी बात को नहीं मानता है तो हमें उसे राधा रानी पर छोड़ देना चाहिए पहले हमारा उत्तरदायित्व कि हम अपनी बात को की सत्यता को प्रमाणित करें यदि हमने सच कह दिया और सामने वाला नहीं मान रहा है। उसके बाद भी हमें किसी प्रकार का या दंड मिल रहा है तो इस अपने पूर्व जन्म के कर्म यानी प्रारब्ध का फल मानकर स्वीकार करना चाहिए। हो सकता है कि हमारे पूर्व जन्म में किसी कर्म का या परिणाम हो।
जो आज हमारे सामने इस रूप में प्रकट हुआ है और हमें कष्ट दे रहा है यदि हमारे अंदर पीड़ा दुख जलन का भाव पैदा हो रहा है तो यह संकेत है कि यह कर्म हमारे भीतर के हैं जिसे हमें भोगना ही पड़ेगा।
अपनी स्थिति को समझते हुए इन तीन बातों पर गौर अवश्य करना चाहिए। पहली यह कि सामने वाले के आरोपो पर अपनी बात को स्पष्ट रूप से रखो। दूसरी यदि फिर भी बात ना बने तो उसे ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। तीसरी यदि हमारा कष्ट निरंतर बना रहे तो हमें यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि यह हमारा ही कोई पूर्व जन्म का करम है। जो मुझे अब फल स्वरुप कष्ट दे रहा है। ऐसे में हमें मौन धारण करना,और निरंतर नाम जप करना है।
हमारा मौन ही हमारा उत्तर होगा। ऐसी स्थिति में हमें सहनशीलता बनाए रखनी चाहिए किसी से विरोध ना करे। प्रभु की इच्छा और नियति समझ कर उसे स्वीकार करना चाहिए। और राधा रानी पर छोड़ देना चाहिए निरंतर नाम जप करो वही हमारे कष्टों का नाश करेगा।
राधे-राधे🙏🙏

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