Shrimad Bhagwat Geeta -श्रीमद् भगवद् गीता, जिसे हम केवल ‘गीता’ के नाम से भी जानते हैं, हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। गीता में जीवन, धर्म, कर्म, योग, और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों को सरल और प्रभावी ढंग से समझाया गया है। इसके श्लोकों में न केवल आध्यात्मिक ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक जीवन जीने की कला भी निहित है।
यह ग्रंथ सदियों से मनुष्य को जीवन की जटिलताओं से निपटने और आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्गदर्शन प्रदान करता आ रहा है। गीता के अध्ययन से मनुष्य अपने जीवन के उद्देश्य और कर्तव्यों को समझने में सक्षम होता है, और इसी कारण यह विश्वभर में अत्यंत पूजनीय और आदरणीय है। Shrimad Bhagwat Geeta
श्रीमद् भागवत गीता में क्या लिखा है? | Shrimad Bhagwat Geeta
गीता या फिर किसी भी पाठ से ज्ञान को प्राप्त करने के चार स्तर होते हैं-
- श्रवण या पठन ज्ञान
- मनन ज्ञान
- निदिध्यासन ज्ञान
- अनुभव ज्ञान
इन चारों स्तर से गुजरने के बाद ही किसी भी ज्ञान की पूर्णता होती है और इससे समुचित लाभ होता है. इसका अर्थ यह है कि आप पहले पढ़ते या सुनते हैं. इसके बाद पढ़े-सुने ज्ञान के बारे में चिंतन व मनन करते हैं. यदि वह आपको ठीक और उपयोगी लगती है तब उसका अभ्यास कर उसे अपने जीवन में उतारते हैं और आखिर में उस ज्ञान का प्रतिफल आपको मिलता है.
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श्रीमद् भागवत गीता कैसे पढ़ना चाहिए?
पाठ करते समय पूरी एकाग्रता रखना आवश्यक होता है इसलिए बीच-बीच में बोलना नहीं चाहिए और न ही इधर-उधर की बातों पर ध्यान देना चाहिए। प्रतिदिन भगवद्गीता को एक निश्चित समय और निश्चित अवधि में पढ़ना चाहिए।
भगवद्गीता मनुष्य को सही राह दिखाती है और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है इसलिए जब गीता के वचनों को अपने जीवन में भी पालन करने की कोशिश करें।
जो व्यक्ति प्रतिदिन गीता पढ़ने के साथ ही उसे अपने जीवन में भी पालन करता है, भगवान श्रीकृष्ण सदैव उसके साथ रहते हैं।
भगवत गीता किसने लिखी और कब?
श्रीमद् भगवत गीता के सर्वोत्तम जीवन सबक क्या हैं?
आजकल बहुत ही कम लोग श्रीमद्भागवतगीता कंठस्थ करते है। अगर आपके मन में अनेकों सांसरिक से संबंधित प्रश्न है जिसका उत्तर कही भी नहीं मिलता,यहां तक कि गूगल पर भी नहीं, तो अनुभव सांझा करते हुए व्यक्तिगत रूप से श्रीमद्भागवतगीता के पाठों को कंठस्थ करनें का सुझाव दूंगी।
चाहे कर्म की बात हो या युद्ध की,चाहे रिश्तों की बात हो या अलगाव की,चाहे अकेले आप की बात हो या बिन मोह-माया की,सभी प्रश्नों का उत्तर होता है इस संसारिक सार से अद्भुत उपदेशों के सार में।
यूं तो जीवन सबसे बड़ा और बेहद ही खुबसूरत पल है पर असल में सच एक है वो है एक शरीर का छोड़कर दूसरे शरीर में जाना, ठीक वैसे ही जैसे हम एक वस्त्र को पहनकर दूसरे दिन स्वयं को खुबसूरत और तरोताज़ा महसूस करनें के लिए पहनते है।
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ये सबक थोड़ा कड़वा है, बिल्कुल ही,पर चाहे आप मानें या ना मानें जीवन का आखिरी और परम सत्य यही है।
वासांसि जीर्णानी यथा विहाय।
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।
भावार्थ:
शरीर नश्वर हैं,पर जो सच है वो है आत्मा क्योंकि वो ही अमर है। यह तथ्य जानने पर भी व्यक्ति अपने इस नश्वर शरीर पर घमंड करता है जो कि करना बेकार है।
शरीर पर घमंड करनें से अच्छा है उस सत्य को स्वीकारें जो सत्य है और असल जिदंगी का सार्थक सत्य है!!
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श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय कौन से हैं:
- अर्जुन विषाद योग
- सांख्ययोग
- कर्मयोग
- ज्ञान-कर्म-संन्यास योग
- कर्म-संन्यास योग
- आत्म संयम योग
- ज्ञान-विज्ञानं योग
- अक्षर-ब्रह्म योग
- राज विद्या गुह्ययोग
- विभूति योग
- विश्वरूप दर्शन योग
- भक्ति योग
- विभाग योग
- गुण-त्र य विभाग योग
- पुरुषोतम योग
- दैवासुरसंपद्विभागयोग
- श्र्द्धात्रयविभाग योग
- मोक्षसंन्यासयोग
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गीता में अर्जुन को कितने नामों से बुलाया गया है?
2.कपिध्वज
3.गुदकेश
4.पृथापुत्र
5.अर्जुन
6.गुदकेश
7.परंतप
8.पुरुषश्रेष्ठ
9.भारतवंशी अर्जुन
10.भारत
11.पार्थ
12.धनंजय
13.कौन्तेय
14.महाबाहो
15.कुरु श्रेष्ठ
16.परंतप
17.कुरुनन्दन
18.कुंती पुत्र
19.पाण्डु पुत्र
20.सव्यसाचिन
21.कुरु प्रवीर
भगवत गीता पढ़ने के फायदे
Bhagavad Gita: ऐसा कहा जाता है कि घर में भगवद गीता जरूर रखनी चाहिए और रोजाना इसका पाठ भी करना चाहिए। भगवद गीता का पाठ करने से जीवन की कई समस्याओं का हल मिलता है। भगवद गीता का पाठ करने से व्यक्ति में न सिर्फ सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है बल्कि उसे कई प्रकार के गुप्त लाभ भी होते हैं।
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- गीता का पाठ करने से ज्ञान के साथ साथ मन की शांति की भी प्राप्ति होती है।
- गीता का पाठ रोजाना करने से जीवन की परेशानियों के हल मिल जाते हैं।
- गीता के पाठ को नियमित रूप से करने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
- गीता का पाठ करने से गृह शांति के साथ साथ ग्रहों की भी शांति (ग्रहों की शांति के उपाय) होती है।
- गीता का पाठ करने से कुंडली में मौजूद किसी भी प्रकार का दोष दूर होता है।
- गीता का पाठ करते समय हाथ में सूत्र यानी कि धागा बांधने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
- गीता का पाठ करने से व्यक्ति ऊपरी बाधाओं की चपेट में आने से बचा रहता है।
- गीता का पाठ नियमित रूप से करने से मृत्यु के बाद पिशाच योनी से मुक्ति मिल जाती है।
- गीता का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- गीता का पाठ बीमारियों से भी छुटकारा दिला सकता है।
- अगर गीता पाठ के साथ साथ घर में यज्ञ करवाया जाए तो इससे वास्तु दोष का निवारण भी हो जाता है।