Shrimad Bhagwat Geeta | श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व | आध्यात्मिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण

Shrimad Bhagwat Geeta -श्रीमद् भगवद् गीता, जिसे हम केवल ‘गीता’ के नाम से भी जानते हैं, हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। गीता में जीवन, धर्म, कर्म, योग, और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों को सरल और प्रभावी ढंग से समझाया गया है। इसके श्लोकों में न केवल आध्यात्मिक ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक जीवन जीने की कला भी निहित है।

यह ग्रंथ सदियों से मनुष्य को जीवन की जटिलताओं से निपटने और आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्गदर्शन प्रदान करता आ रहा है। गीता के अध्ययन से मनुष्य अपने जीवन के उद्देश्य और कर्तव्यों को समझने में सक्षम होता है, और इसी कारण यह विश्वभर में अत्यंत पूजनीय और आदरणीय है। Shrimad Bhagwat Geeta

श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार पुण्य और पाप
Shrimad Bhagwat Geeta

श्रीमद् भागवत गीता में क्या लिखा है? | Shrimad Bhagwat Geeta

गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो सभी महत्वपूर्ण है. महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, वही गीता है. गीता में आत्मा, परमात्मा, भक्ति, कर्म, जीवन आदि का वृहद रूप से वर्णन किया गया है. गीता से हमें यह ज्ञान मिलता है कि व्यक्ति को केवल अपने काम और कर्म पर ध्यान देना चाहिए.

गीता या फिर किसी भी पाठ से ज्ञान को प्राप्त करने के चार स्तर होते हैं-

  1. श्रवण या पठन ज्ञान
  2. मनन ज्ञान
  3. निदिध्यासन ज्ञान
  4. अनुभव ज्ञान

इन चारों स्तर से गुजरने के बाद ही किसी भी ज्ञान की पूर्णता होती है और इससे समुचित लाभ होता है. इसका अर्थ यह है कि आप पहले पढ़ते या सुनते हैं. इसके बाद पढ़े-सुने ज्ञान के बारे में चिंतन व मनन करते हैं. यदि वह आपको ठीक और उपयोगी लगती है तब उसका अभ्यास कर उसे अपने जीवन में उतारते हैं और आखिर में उस ज्ञान का प्रतिफल आपको मिलता है.

Shrimad Bhagwat Geeta
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Shrimad Bhagwat Geetaश्रीमद्भगवद्गीता श्री कृष्ण अनमोल वचन | 50+ Srimad Bhagawat Geeta Shri Krishna inspired Words in hindi

श्रीमद् भागवत गीता कैसे पढ़ना चाहिए?

सुबह के समय मन, मस्तिष्क और वातावरण में शांति एवं सकारात्मकता रहती है, अतः पाठ करते समय एकाग्रता बनी रहती है इसलिए गीता को सुबह के समय पढ़ें तो उत्तम रहता है। गीता का पाठ सदैव स्नान करने के बाद ही करना चाहिए

पाठ करते समय पूरी एकाग्रता रखना आवश्यक होता है इसलिए बीच-बीच में बोलना नहीं चाहिए और न ही इधर-उधर की बातों पर ध्यान देना चाहिए। प्रतिदिन भगवद्गीता को एक निश्चित समय और निश्चित अवधि में पढ़ना चाहिए

जिस स्थान पर आप गीता पढ़ते हैं, वहां की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। जिस स्थान पर गीता पढ़ते हैं, वहां की सफाई केवल आपके द्वारा की जानी चाहिए।
गीता पढ़ने के लिए एक साफ कंबल, ऊनी कालीन, फर के आसन आदि पर बैठना चाहिए। जिस आसन पर बैठकर गीता पढ़ते हैं उसे रोजाना नहीं बदलना चाहिए।

भगवद्गीता मनुष्य को सही राह दिखाती है और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है इसलिए जब गीता के वचनों को अपने जीवन में भी पालन करने की कोशिश करें।

जो व्यक्ति प्रतिदिन गीता पढ़ने के साथ ही उसे अपने जीवन में भी पालन करता है, भगवान श्रीकृष्ण सदैव उसके साथ रहते हैं।

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भगवत गीता किसने लिखी और कब?

उत्तर: श्रीमद्भागवत गीता महर्षि वेदव्यास जी द्वारा लिखी गई थी। महाभारत में वेद व्यास ने भगवद गीता लिखी थी। यह संजय द्वारा अर्जुन और कृष्ण को एक दूसरे से कही गई बातों के बारे में है। वेद व्यास ने भगवद गीता की रचना की, जिसे महाभारत में शामिल किया गया है।

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