सकारात्मक सोच और मां लक्ष्मी का संबंध-Relationship between positive thinking and Maa Lakshmi
राधे राधे! दोस्तों आज सबसे पहले हम शुरुआत साधारण बात से करते हैं। जरा सोच कर बताइए ? क्या आप किसी ऐसे होटल में रहना पसंद करेंगे, जहां हर तरफ सिर्फ गंदगी हो बाथरूम साफ ना हो, कूड़ा बिखरा हुआ हो। अगर कोई ₹1000 का कमरा भी किराए पर लेता है, तो वह इतनी उम्मीद तो करता ही है, इस सब कुछ साफ सुथरा मिले बालकनी साफ हो, बेडशीट साफ हो, फर्श साफ हो और अगर कहीं गलती से भी मच्छर मक्खियों दिख जाए तो, दोस्तों हम गुस्से से भर जाते हैं और सोचते हैं यह कैसा होटल हमने बुक किया था आज के बाद हम कभी यहां नहीं जाएंगे।
दोस्तों हम तो मनुष्य हैं फिर भी रहने रुकने के लिए सफाई पसंद करते हैं, ठीक वैसे ही मां लक्ष्मी वहां कभी नहीं रुकती, जहां धूल गंदगी को जाले लटक रहे हो घर का सामान इधर-उधर बिखरा हुआ हो।
पूरी ही दुनिया धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करती है। अगर मां लक्ष्मी रूठ जाए तो, इंसान दरिद्र हो जाता है। हर इंसान चाहता है देवी लक्ष्मी हमारे यहां आए और रूके भी। बहुत कम घर ऐसे होते हैं जहां वह जाती है और बहुत थोड़े से घर ऐसे होते हैं जहां वह रुकती भी है।

Relationship between positive thinking and Maa Lakshmi
धीरूभाई अंबानी से लेकर एपीजे अब्दुल कलाम तक। उनका वर्कस्पेस हमेशा साफ और ऑर्गनाइज़्ड रहता था क्योंकि उन्हें पता था कि बाहर की सफाई ही अंदर के फोकस को जगाती है। इसलिए अगली बार जब आप अपना बिस्तर ठीक करें, अलमारी जमाएं या मेज से बेकार कागज़ हटाएं तो समझ लीजिए आप सिर्फ सफाई नहीं कर रहे, आप लक्ष्मी जी के आने का रास्ता बना रहे हैं।
दोस्तों जापान की एक फेमस राइटर है जिनका नाम है मैरी कोंडो। उनकी एक प्रसिद्ध बुक है जिसका नाम है (The Life-Changing Magic of Tidying Up) लाइफ चेंजिंग मैजिक ऑफ टाइडिंग अप।
इस किताब के जरिए उन्होंने “कोनमारी मेथड” (konmari method) पूरी दुनिया को सिखाया की सफाई सिर्फ चीज हटाने की नहीं बल्कि पॉजिटिव एलर्जी को बुलाने का एक बहुत बड़ा स्रोत है। जापान के लोग समझ चुके हैं कि साफ सफाई का सीधा रिश्ता हमारी अर्थव्यवस्था से है। यानी पैसे से है। बात बहुत छोटी लगती है, लेकिन मां लक्ष्मी का वेलकम कार्ड हैं।

दोस्तों! अब बात करते हैं, आपकी बोलचाल, भाषा और आपके व्यवहार की। मां लक्ष्मी वहां वास करती है जहां परिवार में माहौल अच्छा हो। लोगों की वाणी में मिठास हो। मां लक्ष्मी वह सिर्फ पूजा करने से नहीं प्रसन्न होती। आपके शब्दों में, आपकी भाषा में, वह शक्ति या आकर्षण होता है जो उन्हें आने पर मजबूर करता है अगर आप अपने घर वालों से हमेशा गंदे तरीके से बात करते हैं, नौकरों से हमेशा गुस्से से पेश करते हैं। अपने स्टाफ को सही से डील नही करते, इसका सीधा सा मतलब की आपको रिश्ते बनाना नहीं आता आप सिर्फ रिश्ते तोड़ रहे हैं।
दोस्तों एक बात हमेशा याद रखिए।पैसा कभी भी अकेले नहीं आता, आपके आसपास के लोगों की वजह से आपके पास पैसा आता है, और लोगों से रिश्ता बनता है।
आपने बहुत बार देखा होगा किसी दुकानदार का सामान बहुत अच्छा है लेकिन अगर उसका व्यवहार लोगों के प्रति अच्छा नहीं है उसकी बोलचाल, उसकी भाषा, उसका व्यवहार अच्छा नहीं है तो ग्राहक कभी भी उसके पास जाना पसंद नहीं करते।
वहीं दूसरी और एक छोटा दुकानदार, आपसे बहुत प्रेम भाव से बात करता है, मुस्कुरा कर बात करता है, तो आपका मन करेगा, चलो वहीं चलते हैं। यही फर्क है हमारे व्यवहार और वाणी का। जो दूसरों को छोटा समझता है, समय उसे छोटा बना देता है। गाली देने वाला अमीर हो सकता है, पर सुखी कभी नहीं होता क्योंकि जहां कटुता है, वहां कलह होती है, और जहां कलह होती है, वहां लक्ष्मी एक पल भी नहीं रुकती। अगर आप चाहते हैं कि धन सिर्फ बैंक अकाउंट में नहीं बल्कि जीवन में आनंद, संबंध और सम्मान भी लाए — तो सबसे पहले अपनी भाषा और व्यवहार में मिठास लाइए।

आपको लग सकता है कि पैसा तो दिमाग से आता है। हां, पैसा जरूर दिमाग से आता है, लेकिन रुकता उन संबंधों के कारण है जो दिल से बनते हैं, और बिना संबंधों के पैसा टिकता नहीं। नम्रता वो गुण है जो आपके लिए हर दरवाजा खोलती है।
तीसरी चीज — कृतज्ञता यानी ग्रैटिट्यूड( gratitude) का ना होना। हमारे पास जो कुछ भी है, हमें उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। जिसके पास जो है, अगर वह उसी के लिए थैंकफुल नहीं है, तो नई अपॉर्च्युनिटी उसे कभी नहीं मिलती। यह कोई अध्यात्मिक ज्ञान नहीं, यह एक यूनिवर्सल लॉ है। सोचिए अगर कोई आपके हर छोटे एफर्ट पर आपको “थैंक यू” बोले, मुस्कुराए, तो अगली बार आप उसके लिए और भी कुछ करने को तैयार हो जाएंगे। जब आप अपनी सैलरी, शरीर, घर, माता-पिता, छोटी-छोटी अचीवमेंट्स के लिए यूनिवर्स को थैंक यू बोलते हो, तो पूरी कायनात आपको और देने को तैयार हो जाती है। ग्रेटट्यूड एक मैग्नेट है। जो सफलता को अपनी ओर खींचता है।
यह सुख और संपन्नता को अपनी ओर खींचता है। और दूसरी तरफ जो व्यक्ति शिकायत करता है — “मुझे कम मिलता है”, “मैं अनलकी हूं” — वह खुद अपनी एनर्जी ब्लॉक कर रहा है। कुदरत भी सोचती है — “इसे कुछ भी दे दो,ये तो बस रोता ही रहेगा।” इसको छोड़ो और उस इंसान की सुनो जो कहता है — “थैंक यू गॉड! मेरी नौकरी है, मेरे पास दो वक्त की रोटी है, मेरे मां-बाप साथ हैं।” ऐसे लोग वही वाइब्रेशन बनाते हैं जो देवी लक्ष्मी को आकर्षित करती है।
अब चौथी बात — कुछ नया सीखने की भूख का ना होना। यही आदत इंसानों को पशु-पक्षियों से अलग बनाती है। कोई पशु नया काम नहीं करता — तोता वही रटता है, कुत्ता पेड़ पर नहीं चढ़ता, गाय-बैल अब भी चार पैरों पर ही चलते हैं। लेकिन इंसान ने फसल उगाई, पशु पाले, कपड़े बनाए, गुफा से निकलकर घर बनाए, भाषा बनाई, आग जलाई, पहिया बनाया। क्या सबक है? नया काम करने की आदत ने ही इंसान को आगे बढ़ाया। Relationship between positive thinking and Maa Lakshmi
सक्सेस का शॉर्टकट नहीं होता, लेकिन अमीरी का एक ही शॉर्टकट है — “कुछ नया करने की आदत।” जिस दिन आपने मान लिया कि आपको सब आता है — उसी दिन से आपका पतन शुरू। आज का जमाना उन लोगों का है जो हर दिन कुछ नया सीखते हैं। लक्ष्मी कभी भी कंफर्ट ज़ोन में रहने वालों के पास नहीं रुकतीं। वो वहीं जाती हैं जहां दिमाग हर दिन अपडेट होता है।
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हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।
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