बसंत पंचमी कब है | Basant Panchmi Kab Hai
राधे राधे 🙏🙏
दोस्तों! बसंत पंचमी का पर्व इस वर्ष 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि 2 फरवरी की सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 फरवरी की सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, पंचमी तिथि के सूर्योदय के समय उपस्थित होने के कारण, बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।
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इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी को सुबह 7 बजकर 9 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने, पीले फलों और मिठाइयों का भोग लगाने की परंपरा है, जो बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?
बसंत पंचमी का पर्व विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन को सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऋतु परिवर्तन के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी माना जाता है।
बसंत पंचमी मनाने के प्रमुख कारण:
- मां सरस्वती का प्राकट्य:
मान्यता है कि इसी दिन देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के समय जब पृथ्वी पर मौन और शून्यता देखी, तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़ककर मां सरस्वती को प्रकट किया। उनके वीणा के नाद से संपूर्ण सृष्टि में शब्द और ज्ञान की धारा प्रवाहित हुई। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। - ज्ञान, संगीत और कला का उत्सव:
बसंत पंचमी को शिक्षा, संगीत, नृत्य, चित्रकला और साहित्य से जुड़े लोग विशेष रूप से मनाते हैं। इस दिन स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती पूजा का आयोजन होता है। - ऋतु परिवर्तन का संकेत:
यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस समय प्रकृति नई ऊर्जा से भर जाती है, खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं और आम के वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं। इसीलिए लोग इस दिन पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग का भोजन ग्रहण करते हैं। - भगवान राम और बसंत पंचमी:
एक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका विजय के लिए इसी दिन देवी सरस्वती की पूजा की थी, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई। - कामदेव और रति की पूजा:
बसंत पंचमी को कामदेव और रति के पूजन का भी विशेष महत्व है। इसे प्रेम और सौंदर्य का पर्व भी माना जाता है। - माधव-गौरी विवाह:
कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की शुरुआत हुई थी।
कैसे मनाई जाती है बसंत पंचमी?
- इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर उनके चरणों में पुस्तक, कलम और वाद्ययंत्र अर्पित किए जाते हैं।
- विद्यारंभ संस्कार (बच्चों की पहली शिक्षा की शुरुआत) इस दिन करना शुभ माना जाता है।
- पीले वस्त्र धारण करना, पीली मिठाइयाँ खाना और पतंगबाजी करना इस दिन की परंपराओं में शामिल है।
निष्कर्ष:
बसंत पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह ज्ञान, शिक्षा, संगीत, कला और प्रकृति के प्रति प्रेम का भी प्रतीक है। इस दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त उनकी आराधना करते हैं और नई ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा लेते हैं।
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