छोटे संस्कृत श्लोक | Small Sanskrit Shlokas | संस्कृत श्लोक

छोटे संस्कृत श्लोक-Small Sanskrit Shlokas

50 छोटे संस्कृत श्लोक और उनके हिंदी अर्थ

सत्य, धर्म और ज्ञान(1–10)

  1. सत्यं वद। — सत्य बोलो।

  2. धर्मं चर। — धर्म का पालन करो।

  3. सत्यं शिवं सुन्दरम्। — सत्य ही शुभ और सुंदर है।

  4. विद्या ददाति विनयं। — विद्या विनम्रता देती है।

  5. ज्ञानं परमं बलम्। — ज्ञान ही सबसे बड़ा बल है।

  6. धर्मो रक्षति रक्षितः। — जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।

  7. श्रम एव जयते। — परिश्रम ही जीतता है।

  8. कर्म हीनं न जीवंति। — बिना कर्म के जीवित नहीं रह सकते।

  9. अविद्या मृत्युं शीलयति। — अज्ञान मृत्यु की ओर ले जाता है।

  10. विद्या अमृतं अश्नुते। — विद्या अमरत्व प्रदान करती है।

धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक
                    धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक

परिवार और समाज(11–20)

  1. वसुधैव कुटुम्बकम्। — पूरी पृथ्वी एक परिवार है।

  2. माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:। — धरती मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूँ।

  3. नास्ति मातृसमा छाया। — माँ की छाया जैसी कोई नहीं।

  4. पितृदेवो भव। — पिता को देवता मानो।

  5. मातृदेवो भव। — माँ को देवता मानो।

  6. गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णुः। — गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और शिव हैं।

  7. सर्वे भवन्तु सुखिनः। — सब सुखी हों।

  8. सर्वे सन्तु निरामयाः। — सब निरोगी हों।

  9. मित्रं यत्र विश्वासः। — जहाँ विश्वास है, वहीं मित्र है।

  10. परहितं परमं धर्मः। — दूसरों का भला करना सबसे बड़ा धर्म है।

कर्म पर गीता के श्लोक
                        कर्म पर गीता के श्लोक

नैतिकता और आचरण(21–30)

  1. अहिंसा परमो धर्मः। — अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है।

  2. क्षमा वीरस्य भूषणम्। — क्षमा वीर का आभूषण है।

  3. सत्यं हि परमं धनम्। — सत्य ही सबसे बड़ा धन है।

  4. लोभो विनाशकारणम्। — लोभ विनाश का कारण है।

  5. शुभस्य शीघ्रम्। — शुभ कार्य शीघ्र करो।

  6. संगच्छध्वं संवदध्वं। — साथ चलो, साथ बोलो।

  7. श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्। — श्रद्धावान व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है।

  8. दुर्जनः परिहर्तव्यः। — दुर्जन से बचना चाहिए।

  9. धैर्यं सर्वत्र साधनम्। — धैर्य हर जगह काम आता है।

  10. न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रम्। — ज्ञान से बढ़कर कुछ भी पवित्र नहीं।

पूर्व जन्म के कर्म
                             पूर्व जन्म के कर्म

प्रकृति और जीव(31–40)

  1. जलमेव जीवनम्। — जल ही जीवन है।

  2. वृक्षो रक्षति रक्षितः। — वृक्ष की रक्षा करने वाला सुरक्षित रहता है।

  3. भूतेषु दया सर्वत्र। — सभी प्राणियों पर दया करो।

  4. ग्रामो रक्षति रक्षितः। — गाँव की रक्षा करने वाला सुरक्षित रहता है।

  5. स्वच्छता सेवा धर्मः। — स्वच्छता सेवा ही धर्म है।

  6. अन्नं ब्रह्म इति। — अन्न ही ब्रह्म है।

  7. गोषु प्रेम। — गायों से प्रेम करो।

  8. भूमेः रक्षणम्। — धरती की रक्षा करो।

  9. वनं रक्षति रक्षितम्। — वन की रक्षा करने वाला सुरक्षित रहता है।

  10. सूर्यः सर्वस्य जीवनम्। — सूर्य सबका जीवन है।


प्रेरणा और आत्मबल(41–50)

  1. उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि। — परिश्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं।

  2. न हि परिश्रमानां फलम्। — परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता।

  3. साहसं लभते लक्ष्मीम्। — साहस से लक्ष्मी प्राप्त होती है।

  4. बलवान् साधयति। — बलवान कार्य सिद्ध करता है।

  5. आत्मा बलं परं बलम्। — आत्मबल सबसे बड़ा बल है।

  6. संतोषः परमं सुखम्। — संतोष ही परम सुख है।

  7. मौनं सर्वार्थसाधनम्। — मौन कई कार्य सिद्ध करता है।

  8. कालः सर्वं भक्षयति। — समय सबको नष्ट करता है।

  9. यथा बीजं तथा फलम्। — जैसा बीज, वैसा फल।

  10. कर्मण्येवाधिकारस्ते। — कर्म में ही तुम्हारा अधिकार है।

आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Spiritual Knowledge in Hindi

राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏

हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।

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