मृत्यु को महोत्सव कैसे बनाएं | How to make death a celebration | Premanand Maharaj ji :20

महाराज जी! मैंने अपने जीवन में बहुत बुरे काम किए हैं। अब सोच कर डर लगता है। मेरा आगे का क्या हाल होगा ?

अब समय आ गया है बच्चा कि भगवान का नाम जप करे। नाम जप से पाप नाश और जीवन में असली आनंद आएगा। बार-बार अपनी पुरानी गलतियों को न दोहराएं। अभी और यहीं से शुरुआत करें।

गलतियाँ हर किसी से होती हैं, लेकिन अगर हम उन्हें सुधार लें और भगवान का नाम अपने जीवन का आधार बना लें — तो हमारा जीवन भी सुधर सकता है और मृत्यु भी महोत्सव बन सकती है।

इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। जीवन और मृत्यु, दोनों सत्य हैं। हम सबको एक दिन इस दुनिया से जाना ही है, लेकिन जरा सोचो — अगर हमारी मृत्यु भी एक महोत्सव बन जाए, हमे कोई दुख न हो, तो कितना सुंदर होगा।

सोचो, जब जीवन का अंत हो रहा हो, तब हमारे होंठों पर हमारी श्यामा श्याम का नाम हो। भगवान का नाम हो, और हमारे हृदय में उसका ध्यान। यही तो है मृत्यु का महोत्सव — जब शरीर छूट रहा हो, लेकिन आत्मा परमात्मा में मिल रही हो।

हम सबसे गलतियाँ होती हैं, ये स्वाभाविक है। लेकिन जो बात हमें समझ में आ चुकी है कि ये गलती है, उसे बार-बार दोहराना सही नहीं है। अगर हमें पता है कि कोई काम पाप है, तो उसे फिर से अपने जीवन में आने ही क्यों दें?

वर्तमान में जीने का तरीका
                   वर्तमान में जीने का तरीका

 अब बस एक ही रास्ता है — भगवान का नाम जपना।

भगवान का नाम जपना यानी अपने जीवन को शुद्ध करना।
नाम संकीर्तन यानी उस नाम का कीर्तन, भजन, स्मरण — यही वो औषधि है, जो जीवन के सारे रोग मिटा देती है।
शास्त्रों में भी कहा गया है:
“नाम संकीर्तनं यस्य सर्व पाप प्रणाशनं”

अर्थात भगवान के नाम का कीर्तन ही सभी पापों का नाश करने वाला है।

एक सज्जन कहने लगे, जबसे मैं सत्संग सुनने लगा हूँ, अब कुछ करने का मन ही नहीं करता।”
महाराज जी बोले — यही तो असली आनंद है!
वो शांति, जो बाहर की दुनिया नहीं दे सकती, वह सिर्फ सत्संग, नाम जप और भगवद्भाव से मिलती है।

अब देर मत करो,नाम जपो। भगवान को याद करो। पाप मिटेंगे, मन शुद्ध होगा, और आत्मा आनंद में डूब जाएगी।

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