51 शक्तिपीठों के नाम और स्थान | 51 Shaktipeeths

51 Shaktipeeths-51 शक्तिपीठों के नाम और स्थान

शक्तिपीठों का प्रादुर्भाव : – सती के मृत शरीर के विभिन्न अंग और उनमें पहने आभूषण ५१ स्थलों पर गिरे जिससे वे स्थल शक्तिपीठों के रूप में जाने जाते हैं। सती के शरीर के हृदय से ऊपर के भाग के अंग जहां गिरे वहां वैदिक एवं दक्षिणमार्ग की और हृदय से नीचे भाग के अंगों के पतनस्थलों में वाममार्ग की सिद्धि होती है।

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51 शक्तिपीठों के नाम और स्थान | 51 Shaktipeeths

किरीट शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ, जहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं। इस स्थान पर सती के ‘किरीट (शिरोभूषण या मुकुट)’ का निपात हुआ था। कुछ विद्वान मुकुट का निपात कानपुर के मुक्तेश्वरी मंदिर में मानते हैं।

कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ

मथुरा में स्थित है जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं। यहाँ माता सती ‘उमा’ तथा भगवन शंकर ‘भूतेश’ के नाम से जाने जाते है।

करवीर शक्तिपीठ

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित ‘महालक्ष्मी’ अथवा ‘अम्बाईका मंदिर’ ही यह शक्तिपीठ है। यहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति ‘महिषामर्दिनी’ तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
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श्री पर्वत शक्तिपीठ

यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं। कुछ विद्वान इसे लद्दाख (कश्मीर) में मानते हैं, तो कुछ असम के सिलहट से 4 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्यकोण) में जौनपुर में मानते हैं। यहाँ सती के ‘दक्षिण तल्प’ (कनपटी) का निपात हुआ था।

विशालाक्षी शक्तिपीठ

उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं। यहाँ माता सती का ‘कर्णमणि’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘विशालाक्षी’ तथा भगवान शिव को ‘काल भैरव’ कहते है।

गोदावरी तट शक्तिपीठ

आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं। गोदावरी तट शक्तिपीठ आन्ध्र प्रदेश देवालयों के लिए प्रख्यात है। वहाँ शिव, विष्णु, गणेश तथा कार्तिकेय (सुब्रह्मण्यम) आदि की उपासना होती है तथा अनेक पीठ यहाँ पर हैं। यहाँ पर सती के ‘वामगण्ड’ का निपात हुआ था।

शुचींद्रम शक्तिपीठ

तमिलनाडु में कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुचींद्रम शक्तिपीठ, जहाँ सती के ऊर्ध्वदंत (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं। यहाँ माता सती के ‘ऊर्ध्वदंत’ गिरे थे। यहाँ माता सती को ‘नारायणी’ और भगवान शंकर को ‘संहार’ या ‘संकूर’ कहते है। तमिलनाडु में तीन महासागर के संगम-स्थल कन्याकुमारी से 13 किमी दूर ‘शुचीन्द्रम’ में स्याणु शिव का मंदिर है। उसी मंदिर में ये शक्तिपीठ है।
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पंच सागर शक्तिपीठ

इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता के नीचे के दांत गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। पंच सागर शक्तिपीठ में सती के ‘अधोदन्त’ गिरे थे। यहाँ सती ‘वाराही’ तथा शिव ‘महारुद्र’ हैं।

ज्वालामुखी शक्तिपीठ

हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं। यह ज्वालामुखी रोड रेलवे स्टेशन से लगभग 21 किमी दूर बस मार्ग पर स्थित है। यहाँ माता सती ‘सिद्धिदा’ अम्बिका तथा भगवान शिव ‘उन्मत्त’ रूप में विराजित है। मंदिर में आग के रूप में हर समय ज्वाला धधकती रहती है।
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हरसिद्धि शक्तिपीठ

(उज्जयिनी शक्तिपीठ) इस शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ उज्जैन के निकट शिप्रा नदी के तट पर स्थित भैरवपर्वत को, तो कुछ गुजरात के गिरनार पर्वत के सन्निकट भैरवपर्वत को वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं। अत: दोनों ही स्थानों पर शक्तिपीठ की मान्यता है। उज्जैन के इस स्थान पर सती की कोहनी का पतन हुआ था। अतः यहाँ कोहनी की पूजा होती है।
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अट्टहास शक्तिपीठ

अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर (लामपुर) रेलवे स्टेशन वर्धमान से लगभग 95 किलोमीटर आगे कटवा-अहमदपुर रेलवे लाइन पर है, जहाँ सती का ‘नीचे का होठ’ गिरा था। इसे अट्टहास शक्तिपीठ कहा जाता है, जो लामपुर स्टेशन से नजदीक ही थोड़ी दूर पर है।

जनस्थान शक्तिपीठ

महाराष्ट्र के नासिक में पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता का ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।

कश्मीर शक्तिपीठ

कश्मीर में अमरनाथ गुफ़ा के भीतर ‘हिम’ शक्तिपीठ है। यहाँ माता सती का ‘कंठ’ गिरा था। यहाँ सती ‘महामाया’ तथा शिव ‘त्रिसंध्येश्वर’ कहलाते है।

नन्दीपुर शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के बोलपुर (शांति निकेतन) से 33 किमी दूर सैन्थिया रेलवे जंक्शन के पास एक वटवृक्ष के नीचे देवी मन्दिर है। यहाँ देवी के देह से ‘कण्ठहार’ गिरा था।

श्री शैल शक्तिपीठ

आंध्र प्रदेश के श्री शैलम में, हैदराबाद से 250 किमी दूर स्थित है। यहाँ सती की ‘ग्रीवा’ का पतन हुआ था। यहाँ की सती ‘महालक्ष्मी’ तथा शिव ‘संवरानंद’ हैं।

नलहाटी शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के बोलपुर में नलहरी शक्तिपीठ है जहाँ माता का ‘उदरनली’ गिरी थी। यहाँ की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।

मिथिला शक्तिपीठ

यहाँ माता सती का ‘वाम स्कन्ध’ गिरा था। स्थान को लेकर तीन स्थानों को शक्तिपीठ माना जाता है: उच्चैठ, उग्रतारा, और जयमंगला।

रत्नावली शक्तिपीठ

तमिलनाडु के मद्रास में माना जाता है। यहाँ सती का ‘दायाँ कन्धा’ गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।

अम्बाजी शक्तिपीठ

गुजरात के गिरनार पर्वत पर स्थित है। यहाँ माता सती का ‘उदर’ गिरा था। शक्ति ‘चंद्रभागा’ तथा भैरव ‘वक्रतुण्ड’ हैं।

जालंधर शक्तिपीठ

पंजाब के जालंधर में स्थित है। यहाँ सती का ‘बायां स्तन’ गिरा था। सती ‘त्रिपुरमालिनी’ और शिव ‘भीषण’ के रूप में पूजे जाते हैं।

रामगिरि शक्तिपीठ

मध्य प्रदेश के मैहर या चित्रकूट के शारदा मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ देवी के ‘दाएँ स्तन’ का निपात हुआ था।

वैद्यनाथ शक्तिपीठ

झारखंड के देवघर में स्थित है। यहाँ सती का ‘हृदय’ गिरा था। सती ‘जयदुर्गा’ और शिव ‘वैद्यनाथ’ हैं।

वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है। यहाँ माता का मन गिरा था। शक्ति महिषासुरमदिनी और भैरव वक्त्रानाथ हैं।

कन्याकुमारी शक्तिपीठ

तमिलनाडु में तीन सागरों के संगम पर स्थित है। यहाँ माता सती की ‘पीठ’ गिरी थी। सती ‘शर्वाणी’ और शिव ‘स्थाणु’ हैं।

बहुला शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के केतुग्राम में स्थित है। यहाँ सती के ‘वाम बाहु’ का पतन हुआ था। सती ‘बहुला’ और शिव ‘भीरुक’ हैं।

भैरवपर्वत शक्तिपीठ

उज्जैन या गिरनार पर्वत के पास स्थित माना जाता है। यहाँ सती की ‘कुहनी’ गिरी थी।

मणिवेदिका शक्तिपीठ

राजस्थान के पुष्कर में सावित्री मंदिर शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ सती के ‘मणिबंध’ का पतन हुआ था।

प्रयाग शक्तिपीठ

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित है। यहाँ सती की ‘अँगुली’ गिरी थी। सती ‘ललिता’ और शिव ‘भव’ हैं।

विरजा शक्तिपीठ

उड़ीसा के पुरी में स्थित है। यहाँ सती की ‘नाभि’ गिरी थी। सती ‘विमला’ और शिव ‘जगत’ हैं।

कांची शक्तिपीठ

तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। यहाँ सती का ‘कंकाल’ गिरा था। सती ‘देवगर्मा’ और शिव ‘रूद्र’ हैं।

कालमाधव शक्तिपीठ

यहाँ माता का ‘वाम नितम्ब’ गिरा था। सती ‘काली’ और भैरव ‘असितांग’ हैं।

शोण शक्तिपीठ

मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित है। यहाँ सती के ‘दक्षिणी नितम्ब’ का निपात हुआ था। सती ‘नर्मदा’ और शिव ‘भद्रसेन’ हैं।

कामाख्या शक्तिपीठ

असम के गुवाहाटी में नीलाचल पर्वत पर स्थित है। यहाँ सती की ‘योनि’ गिरी थी। सती ‘कामाख्या’ और शिव ‘उमानंद’ हैं।

जयंती शक्तिपीठ

मेघालय की जयंतिया पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ सती के ‘वाम जंघ’ का निपात हुआ था।

मगध शक्तिपीठ

बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। यहाँ सती का ‘दाहिना जंघा’ गिरा था। शक्ति ‘सर्वानन्दकरी’ और भैरव ‘व्योमकेश’ हैं।

त्रिस्तोता शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल में तिस्ता नदी के तट पर स्थित है। यहाँ सती के ‘वाम चरण’ का पतन हुआ था।

त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ

त्रिपुरा राज्य में स्थित है। यहाँ माता का ‘दक्षिण पद’ गिरा था। सती ‘त्रिपुरासुन्दरी’ और शिव ‘त्रिपुरेश’ हैं।

विभाष शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में स्थित है। यहाँ सती का ‘बायाँ टखना’ गिरा था। सती ‘भीमरूपा’ और भैरव ‘सर्वानन्द’ हैं।

देवीकूप शक्तिपीठ

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है। यहाँ सती का ‘दाहिना टखना’ गिरा था। सती ‘सावित्री’ और शिव ‘स्याणु’ हैं।

युगाद्या शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के क्षीरग्राम में स्थित है। यहाँ सती के ‘दाहिने चरण का अँगूठा’ गिरा था। शक्ति ‘युगाद्या’ और भैरव ‘क्षीरकण्टक’ हैं।

विराट शक्तिपीठ

राजस्थान के विराटनगर में स्थित है। यहाँ सती के ‘दायें पाँव की उँगलियाँ’ गिरी थीं।

कालीघाट शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है। यहाँ सती की ‘शेष उँगलियाँ’ गिरी थीं। शक्ति ‘कलिका’ और भैरव ‘नकुलेश’ हैं।

मानस शक्तिपीठ

तिब्बत में मानसरोवर के तट पर स्थित है। यहाँ सती की ‘दाहिनी हथेली’ गिरी थी।

लंका शक्तिपीठ

श्रीलंका में स्थित है। यहाँ सती का ‘नूपुर’ गिरा था। शक्ति ‘इन्द्राक्षी’ और भैरव ‘राक्षसेश्वर’ हैं।

गण्डकी शक्तिपीठ

नेपाल में गण्डकी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ सती का ‘दक्षिणगण्ड’ गिरा था। शक्ति ‘गण्डकी’ और भैरव ‘चक्रपाणि’ हैं।

गुह्येश्वरी शक्तिपीठ

नेपाल में बागमती नदी के किनारे स्थित है। यहाँ सती का ‘गुप्त अंग’ गिरा था। शक्ति ‘महामाया’ और भैरव ‘कपाल’ हैं।

हिंगलाज शक्तिपीठ

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। यहाँ सती का ‘ब्रह्मरंध्र’ गिरा था। शक्ति ‘भैरवी’ और भैरव ‘भीमलोचन’ हैं।

सुंगधा शक्तिपीठ

बांग्लादेश के शिकारपुर ग्राम में स्थित है। यहाँ सती की ‘नासिका’ गिरी थी। शक्ति ‘उग्रतारा’ हैं।

करतोयाघाट शक्तिपीठ

बांग्लादेश के भवानीपुर ग्राम में स्थित है। यहाँ सती का ‘वाम तल्प’ गिरा था। शक्ति ‘अपर्णा’ और भैरव ‘वामन’ हैं।

चट्टल शक्तिपीठ

बांग्लादेश के सीताकुंड के पास स्थित है। यहाँ सती की ‘दक्षिण बाहु’ गिरी थी। शक्ति ‘भवानी’ और भैरव ‘चंद्रशेखर’ हैं।

यशोर शक्तिपीठ

बांग्लादेश के जैसोर में स्थित है। यहाँ सती की ‘वाम हथेली’ गिरी थी।

राधे राधे!🙏🙏

आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Anmol Vachan

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राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏

हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।

 

 

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