51 Shaktipeeths-51 शक्तिपीठों के नाम और स्थान
किरीट शक्तिपीठ
कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ
करवीर शक्तिपीठ
श्री पर्वत शक्तिपीठ
विशालाक्षी शक्तिपीठ
गोदावरी तट शक्तिपीठ
शुचींद्रम शक्तिपीठ
पंच सागर शक्तिपीठ
ज्वालामुखी शक्तिपीठ
हरसिद्धि शक्तिपीठ
अट्टहास शक्तिपीठ
अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर (लामपुर) रेलवे स्टेशन वर्धमान से लगभग 95 किलोमीटर आगे कटवा-अहमदपुर रेलवे लाइन पर है, जहाँ सती का ‘नीचे का होठ’ गिरा था। इसे अट्टहास शक्तिपीठ कहा जाता है, जो लामपुर स्टेशन से नजदीक ही थोड़ी दूर पर है।
जनस्थान शक्तिपीठ
महाराष्ट्र के नासिक में पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता का ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।
कश्मीर शक्तिपीठ
कश्मीर में अमरनाथ गुफ़ा के भीतर ‘हिम’ शक्तिपीठ है। यहाँ माता सती का ‘कंठ’ गिरा था। यहाँ सती ‘महामाया’ तथा शिव ‘त्रिसंध्येश्वर’ कहलाते है।
नन्दीपुर शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के बोलपुर (शांति निकेतन) से 33 किमी दूर सैन्थिया रेलवे जंक्शन के पास एक वटवृक्ष के नीचे देवी मन्दिर है। यहाँ देवी के देह से ‘कण्ठहार’ गिरा था।
श्री शैल शक्तिपीठ
आंध्र प्रदेश के श्री शैलम में, हैदराबाद से 250 किमी दूर स्थित है। यहाँ सती की ‘ग्रीवा’ का पतन हुआ था। यहाँ की सती ‘महालक्ष्मी’ तथा शिव ‘संवरानंद’ हैं।
नलहाटी शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के बोलपुर में नलहरी शक्तिपीठ है जहाँ माता का ‘उदरनली’ गिरी थी। यहाँ की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।
मिथिला शक्तिपीठ
यहाँ माता सती का ‘वाम स्कन्ध’ गिरा था। स्थान को लेकर तीन स्थानों को शक्तिपीठ माना जाता है: उच्चैठ, उग्रतारा, और जयमंगला।
रत्नावली शक्तिपीठ
तमिलनाडु के मद्रास में माना जाता है। यहाँ सती का ‘दायाँ कन्धा’ गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।
अम्बाजी शक्तिपीठ
गुजरात के गिरनार पर्वत पर स्थित है। यहाँ माता सती का ‘उदर’ गिरा था। शक्ति ‘चंद्रभागा’ तथा भैरव ‘वक्रतुण्ड’ हैं।
जालंधर शक्तिपीठ
पंजाब के जालंधर में स्थित है। यहाँ सती का ‘बायां स्तन’ गिरा था। सती ‘त्रिपुरमालिनी’ और शिव ‘भीषण’ के रूप में पूजे जाते हैं।
रामगिरि शक्तिपीठ
मध्य प्रदेश के मैहर या चित्रकूट के शारदा मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ देवी के ‘दाएँ स्तन’ का निपात हुआ था।
वैद्यनाथ शक्तिपीठ
झारखंड के देवघर में स्थित है। यहाँ सती का ‘हृदय’ गिरा था। सती ‘जयदुर्गा’ और शिव ‘वैद्यनाथ’ हैं।
वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है। यहाँ माता का मन गिरा था। शक्ति महिषासुरमदिनी और भैरव वक्त्रानाथ हैं।
कन्याकुमारी शक्तिपीठ
तमिलनाडु में तीन सागरों के संगम पर स्थित है। यहाँ माता सती की ‘पीठ’ गिरी थी। सती ‘शर्वाणी’ और शिव ‘स्थाणु’ हैं।
बहुला शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के केतुग्राम में स्थित है। यहाँ सती के ‘वाम बाहु’ का पतन हुआ था। सती ‘बहुला’ और शिव ‘भीरुक’ हैं।
भैरवपर्वत शक्तिपीठ
उज्जैन या गिरनार पर्वत के पास स्थित माना जाता है। यहाँ सती की ‘कुहनी’ गिरी थी।
मणिवेदिका शक्तिपीठ
राजस्थान के पुष्कर में सावित्री मंदिर शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ सती के ‘मणिबंध’ का पतन हुआ था।
प्रयाग शक्तिपीठ
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित है। यहाँ सती की ‘अँगुली’ गिरी थी। सती ‘ललिता’ और शिव ‘भव’ हैं।
विरजा शक्तिपीठ
उड़ीसा के पुरी में स्थित है। यहाँ सती की ‘नाभि’ गिरी थी। सती ‘विमला’ और शिव ‘जगत’ हैं।
कांची शक्तिपीठ
तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। यहाँ सती का ‘कंकाल’ गिरा था। सती ‘देवगर्मा’ और शिव ‘रूद्र’ हैं।
कालमाधव शक्तिपीठ
यहाँ माता का ‘वाम नितम्ब’ गिरा था। सती ‘काली’ और भैरव ‘असितांग’ हैं।
शोण शक्तिपीठ
मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित है। यहाँ सती के ‘दक्षिणी नितम्ब’ का निपात हुआ था। सती ‘नर्मदा’ और शिव ‘भद्रसेन’ हैं।
कामाख्या शक्तिपीठ
असम के गुवाहाटी में नीलाचल पर्वत पर स्थित है। यहाँ सती की ‘योनि’ गिरी थी। सती ‘कामाख्या’ और शिव ‘उमानंद’ हैं।
जयंती शक्तिपीठ
मेघालय की जयंतिया पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ सती के ‘वाम जंघ’ का निपात हुआ था।
मगध शक्तिपीठ
बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। यहाँ सती का ‘दाहिना जंघा’ गिरा था। शक्ति ‘सर्वानन्दकरी’ और भैरव ‘व्योमकेश’ हैं।
त्रिस्तोता शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल में तिस्ता नदी के तट पर स्थित है। यहाँ सती के ‘वाम चरण’ का पतन हुआ था।
त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ
त्रिपुरा राज्य में स्थित है। यहाँ माता का ‘दक्षिण पद’ गिरा था। सती ‘त्रिपुरासुन्दरी’ और शिव ‘त्रिपुरेश’ हैं।
विभाष शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में स्थित है। यहाँ सती का ‘बायाँ टखना’ गिरा था। सती ‘भीमरूपा’ और भैरव ‘सर्वानन्द’ हैं।
देवीकूप शक्तिपीठ
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है। यहाँ सती का ‘दाहिना टखना’ गिरा था। सती ‘सावित्री’ और शिव ‘स्याणु’ हैं।
युगाद्या शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के क्षीरग्राम में स्थित है। यहाँ सती के ‘दाहिने चरण का अँगूठा’ गिरा था। शक्ति ‘युगाद्या’ और भैरव ‘क्षीरकण्टक’ हैं।
विराट शक्तिपीठ
राजस्थान के विराटनगर में स्थित है। यहाँ सती के ‘दायें पाँव की उँगलियाँ’ गिरी थीं।
कालीघाट शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है। यहाँ सती की ‘शेष उँगलियाँ’ गिरी थीं। शक्ति ‘कलिका’ और भैरव ‘नकुलेश’ हैं।
मानस शक्तिपीठ
तिब्बत में मानसरोवर के तट पर स्थित है। यहाँ सती की ‘दाहिनी हथेली’ गिरी थी।
लंका शक्तिपीठ
श्रीलंका में स्थित है। यहाँ सती का ‘नूपुर’ गिरा था। शक्ति ‘इन्द्राक्षी’ और भैरव ‘राक्षसेश्वर’ हैं।
गण्डकी शक्तिपीठ
नेपाल में गण्डकी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ सती का ‘दक्षिणगण्ड’ गिरा था। शक्ति ‘गण्डकी’ और भैरव ‘चक्रपाणि’ हैं।
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
नेपाल में बागमती नदी के किनारे स्थित है। यहाँ सती का ‘गुप्त अंग’ गिरा था। शक्ति ‘महामाया’ और भैरव ‘कपाल’ हैं।
हिंगलाज शक्तिपीठ
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है। यहाँ सती का ‘ब्रह्मरंध्र’ गिरा था। शक्ति ‘भैरवी’ और भैरव ‘भीमलोचन’ हैं।
सुंगधा शक्तिपीठ
बांग्लादेश के शिकारपुर ग्राम में स्थित है। यहाँ सती की ‘नासिका’ गिरी थी। शक्ति ‘उग्रतारा’ हैं।
करतोयाघाट शक्तिपीठ
बांग्लादेश के भवानीपुर ग्राम में स्थित है। यहाँ सती का ‘वाम तल्प’ गिरा था। शक्ति ‘अपर्णा’ और भैरव ‘वामन’ हैं।
चट्टल शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सीताकुंड के पास स्थित है। यहाँ सती की ‘दक्षिण बाहु’ गिरी थी। शक्ति ‘भवानी’ और भैरव ‘चंद्रशेखर’ हैं।
यशोर शक्तिपीठ
बांग्लादेश के जैसोर में स्थित है। यहाँ सती की ‘वाम हथेली’ गिरी थी।
राधे राधे!🙏🙏
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