माता-पिता को भक्ति के लिए कैसे प्रेरित करें | 21 पीढ़ियों का उद्धार | प्रेमानंद महाराज जी :27

21 पीढ़ियों का उद्धार-माता-पिता को भक्ति के लिए कैसे प्रेरित करें 

राधे राधे!🙏🙏

माता-पिता को भक्ति के लिए कैसे प्रेरित करें  | 21 पीढ़ियों का उद्धार

महाराज जी! माता-पिता की भक्ति में रुचि न होने पर क्या करें?

महाराज जी! मेरी चिंता यह है कि मेरे माता-पिता भगवान के भजन और नाम जप के प्रति उतने उत्साहित नहीं हैं। जब मैं अपनी माता जी से कहती हूं कि आधा घंटा नाम जप करें, तो वह स्पष्ट कह देती हैं – “मैं 10 मिनट से ज़्यादा जाप नहीं कर सकती।” उनका तर्क होता है कि “जो ज़्यादा भक्ति करता है, उसे जीवन में ज़्यादा दुःख भोगना पड़ता है। हमने ऐसे कई उदाहरण देखे हैं।”

मुझे यह सुनकर बड़ा दुःख होता है। वो मानती हैं कि मनुष्य जन्म दोबारा नहीं मिलेगा, लेकिन फिर भी वे भगवान की भक्ति को पूरी तरह अपनाने को तैयार नहीं हैं। मैं उन्हें समझाना चाहती हूं कि यह जीवन भगवान को पाने का एकमात्र अवसर है। लेकिन डर भी लगता है कि कहीं ज़ोर देकर कुछ कह दिया तो वो नाराज़ न हो जाएं।

जन्माष्टमी पर केक काटना
                जन्माष्टमी पर केक काटना

इसी तरह, पिताजी से जब चारधाम यात्रा पर चलने की बात कहो तो उनका उत्तर होता है – “अगर वहां कुछ हो गया, तब? पूरा घर बिखर जाएगा। इसलिए घर पर ही ठीक है।” मैं समझती हूं कि उनके मन में भय है, लेकिन वो इस भय को विश्वास से क्यों नहीं बदल पाते?

गुरुदेव, ऐसे में मैं क्या करूं? क्या मैं ही भजन करती रहूं? क्या यह पर्याप्त है?

महाराज जी कहते हैं – हाँ! बिल्कुल पर्याप्त है।

आपका चित्त भगवान में स्थिर हो जाए, यही सबसे बड़ा साधन है। जब किसी का चित्त निरंतर श्रीहरि के नाम में लग जाता है, तो वह अकेले ही अपने कुल की 21 पीढ़ियों को पार कर सकता है। यह केवल एक कथन नहीं, बल्कि शास्त्रों का सत्य है।

जैसे हमारे पास धन होता है और हम चाहें तो किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं, ठीक वैसे ही हमारे पास नाम रूपी अमूल्य धन होता है। जब हम सच्चे भाव से नाम जपते हैं, तो उस जप का फल हम अपने माता-पिता, अपने कुल, अपने परिवार को समर्पित कर सकते हैं।

हो सकता है कि माता जी केवल 10 मिनट जपती हों, लेकिन चिंता मत कीजिए। जब आप सच्चे हृदय से भजन करते हैं और उन्हें उस जप का फल समर्पित करते हैं, तो उनका भी कल्याण सुनिश्चित होता है। भगवान का नाम इतना शक्तिशाली है कि वह मन, बुद्धि और हृदय को परिवर्तित कर देता है।

श्रीरामचरितमानस में आता है:

“जहाँ सो कुल धन्य, उमा सुन जगत पूज्य सुपनीत।”
– वह कुल धन्य है, जिसमें कोई भी श्रीहरि का नाम जपने वाला हो।

यह आवश्यक नहीं कि पुरुष ही कुल का उद्धार करें। स्त्रियाँ भी एक से एक महान संत और भक्त बनी हैं। माताएं, बहनें – जिन्होंने सच्चे मन से भजन किया – वे भी अपने कुल को तारने वाली बनी हैं।

इसलिए, आप स्वयं पूरी श्रद्धा से नाम जप करें, भजन करें और उस नाम के पुण्य को अपने माता-पिता को समर्पित करें। धीरे-धीरे, भगवान स्वयं उनकी बुद्धि को शुद्ध करेंगे, उनका चित्त शांत करेंगे, और एक दिन ऐसा आएगा जब वे भी भक्ति की ओर अग्रसर होंगे।

जिन्हें आप अभी जबरदस्ती धाम नहीं ले जा सकतीं, उन्हें अपने प्रेम, सेवा और भजन के प्रभाव से धाम तक पहुँचा सकती हैं।

राधे राधे!🙏🙏

आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Spiritual Knowledge in Hindi

राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏

हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।

 

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