प्रश्न – पूजन (हवन) में नारियल का फल रखना ही शुभ क्यों माना जाता है ? जबकि फल तो और भी है l
उत्तर-हिंदी छोटे सुविचार- नारियल प्रतीक है मनुष्य के सिर का । वही सिर जिसमें बुद्धि देवी का निवास होता है ।
वही बुद्धि देवी जिसके कारण यह जीव सुख और दुःख भोगता है ।
इसी बुद्धि ने जीव को अनंत विषयों में उलझा कर रखा हुआ है और अनंतानंत योनियों में चक्कर लगवाता है ।
इसी बुद्धि को शास्त्रों , गुरुओं , महापुरुषों के आधीन करना है ।
इसीलिए इसी प्रतीक को नारियल के रूप में चढ़ाया जाता है कि हम अब आपके अनुसार ही चलेंगे , अपनी मति रखेंगे ।
इसीलिए नवरात्र में देवी के सामने नौ दिन तक नारियल रखा जाता है । यह प्रतीक है कि हम इन नौ दिन आपके ही निमित सभी कार्य करेंगे और हमारी मति आपके ही गुणगान या आपके ही अंतर्गत रहेगी ।
लेकिन कोई नहीं जानता । सब नारियल रखकर इतिश्री कर लेते हैं ।
एक राजा हुए । वह देवी के बहुत बड़े भक्त हुए । वह उन्हीं के निमित्त सभी कार्य करते थे । एक दिन उनकी परीक्षा के लिए देवी ने कहा कि तुम इतनी दूर जा रहे हो , वहाँ तुम संसार के अनुकूल चलने लगे तो ?
तो उन्होंने तुरंत अपना शीश उतार कर दे दिया कि यह बुद्धि निरन्तर आपके ही चरणों मे लगी रहेगी ।
इसी को प्रतीक मानकर नारियल की अवधारणा व्याप्त हुई ।
इसलिए आज हर देवी के मंदिर में नारियल फोड़ा जाता है कि यह प्रतीक के रूप में कि हमारी बुद्धि जो भी है वह आपके ही निमित्त है । और यह हम यहीं इसको आपके पास ही समर्पित करते हैं ।
लेकिन अब रह गए मात्र प्रतीक ,मूल अर्थ खो गया ।
अस्तु मूल अर्थ और तत्व तो सबमें से खो गया ,कोई एक हो तो चर्चा भी करें ।।
अब कलियुग में लोग मात्र प्रतीकों को ढो रहे हैं । और उसी में पूरा जीवन नष्ट कर रहे हैं । मिल कुछ नहीं रहा है l
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प्रश्न- अग्नि और स्वाहा में क्या संबंध है?
उत्तर- अग्नि और स्वाहा में ऐसे सम्बंध है जैसे दूध और सफेदी की ।
अग्नि की दाहक शक्ति का नाम स्वाहा है।
अग्नि की दो पत्नियाँ या शक्तियाँ मानी गयी हैं स्वधा और स्वाहा ।
स्वधा – पितरों को तर्पण करने की शक्ति है ।
स्वाहा – देवताओं को हविष्य प्रदान करने की शक्ति का नाम है।
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एक छोटी सी कहानी। Hindi short story | हिंदी छोटे सुविचार
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किसी का प्रश्न आया कि क्या स्त्रियाँ हनुमान जी की परिक्रमा नहीं कर सकती ? और क्या उनकी मूर्ति को छू भी नहीं सकती ?
उनका कहना था कि मंदिर के पुजारी ने उन्हें हनुमान जी की परिक्रमा करने के लिए मना कर दिया ।
पूछने पर उन्होंने अपने अलौकिक ज्ञान से बताया कि क्योंकि “हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं । “
कितनी शर्मनाक बात है कि उस पुजारी ने भक्त शिरोमणि , ज्ञान बुद्धि के प्रदाता एवं भगवान राम के परम भक्त को क्या समझ लिया ।
हम लोग क्यों अमायिक , अलौकिक , दिव्यतिदिव्य , मन बुद्धि से परे तत्वों और महापुरुषों को अपनी विष्ठायुक्त बुद्धि से अपनी तरह समझने का प्रयास करने लगते हैं ????
उनको कम से कम इस क्षेत्र को अपनी मायिक दोषों से युक्त बुद्धि को नहीं लगाना चाहिए ।
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क्या एक स्त्री के परिक्रमा करने से हनुमान जी का ब्रह्मचर्य टूट जाएगा ??
हिंदी छोटे सुविचार-क्या एक सांसारिक स्त्री जो माँस मल मूत्र का पिटारा है उसको देखकर या उसका स्पर्श पाकर भक्त शिरोमणि, कामदेव का मर्दन करने वाले हनुमान जी का ब्रह्मचर्य टूट जाएगा ??
कौन से शास्त्र में ऐसा लिखा है कोई लेकर आये, एक भी श्लोक जहाँ ऐसा कुछ लिखा है ।
क्या हनुमान जी को इतना निम्न समझ लिया गया कि एक स्त्री के छूने मात्र से उन पर काम हावी हो जाएगा ??
ये क्षुद्र बुद्धि की मानसिकता का परिचायक है जिन्होंने हनुमान जी जैसे को एक सामान्य मनुष्य की श्रेणी से भी नीचे ला दिया ।
जैसे वो अपने हैं , उसी तरह उन्होंने हनुमान जी को भी समझ लिया ।
हनुमान जी का ब्रह्मचर्य इतना कच्चा नहीं है कि साधारण स्त्री के छूने मात्र से डगमगा जाए ।
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वह कौन हैं , वह क्या हैं , वह क्यों हैं , क्या तत्त्व हैं , यह जिस दिन पता , जिस क्षण पता लगेगा उसी क्षण आप कृत्य कृत्य हो जायेंगे ।
असंख्य कामदेवों को भी गलित करने वाले वह स्वयं महादेव के ब्रह्मचर्य रूप के मूर्तिमान स्वरूप हैं ।
जिनकी दुनियाँ एकमात्र शरीर के इर्द गिर्द घूमती रहती है , उन स्वल्प बुद्धि के लोगों ने ऐसी विचारधारा को जन्म दिया है ।
ध्यान देने योग्य बात है भगवान का शरीर से कुछ लेना देना नहीं है , उनको सिर्फ और सिर्फ मन से मतलब है । मन के कार्य ही वह नोट करते हैं , शरीर से चाहे कोई कितनी घंटी बजाये या मार्चिंग करे , उससे उन्हें कुछ लेना देना नहीं हैं।
और मैं उन स्त्री को साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने तथाकथित पोंगे पंडित से तर्क करके हनुमान जी की परिक्रमा कर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।
हमारा विनाश कव शुरू हुआ था ?
1हिंदी छोटे सुविचार-.हमारा विनाश उस समय से शुरू हुआ था जब हरित क्रांति के नाम पर देश में रासायनिक खेती की शुरूआत हुई और हमारा पौष्टिक वर्धक, शुद्ध भोजन विष युक्त कर दिया है!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश में जर्सी गाय लायी गई और भारतीय स्वदेशी गाय का अमृत रूपी दूध छोड़कर जर्सी गाय का विषैला दूध पीना शुरु किया था!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन भारतीयों ने दूध, दही,मक्खन, घी आदि छोड़कर शराब पीना शुरू किया था!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने गन्ने का रस छोड़कर पेप्सी, कोका कोला पीना शुरु किया था जिसमें 12 तरह के कैमिकल होते हैं और जो कैंसर, टीबी, हृदय घात का कारण बनते हैं!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने शुद्ध देशी तेल खाना छोड़ दिया था और रिफाइंड आयल खाना शुरू किया था जो रिफाइंड ऑयल हृदय घात, आदि का कारण बन रहा है!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश के युवाओं ने नशा शुरू किया था बीडी, सिगरेट, गुटखा, गांजा, अफीम, आदि शुरू किया था जिससे से कैंसर बढ रहा है!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ जिस दिन देश में 84 हजार नकली दवाओं का व्यापार शुरु हुआ और नकली दवाओं से लोग मर रहे हैं!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने अपने स्वदेशी भोजन छोड़कर पीजा, बर्गर, जंक फूड खाना शुरू किया था जो अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है!
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन लोगों ने अनुशासित और स्वस्थ दिनचर्या को छोड़कर मनमानी दिनचर्या शुरू की थी ।
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन लोगों ने घरों में एलुमिनियम के बर्तन व घर में फ्रिज लाया था।
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन भारतीय जीवन शैली को छोड़कर विदेशी जीवन शैली शुरू की थी।
12 .हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन लोगों ने स्वस्थ रहने का विज्ञान छोड दिया था और अपने शरीर के स्वास्थ्य सिद्धांतों के विपरीत कार्य करना शुरू किया था ।
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश का अधिकतर युवा / युवतियां व्यभिचारी बनकर कंडोम का प्रयोग करके व्यभिचार करना ,गर्भ निरोधक गोलियां खाना,लाखों युवतियां हर साल गर्भाशय कैंसर से मरती हैं।
- हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन लोगों ने अपने बच्चों को टीके लगवाना शुरू किया था और यह विचार कभी भी नहीं किया था कि टीकों का बच्चों के शरीर पर भविष्य में क्या प्रभाव पडेगा?
- इस शरीर की कुछ सीमा है कुछ मर्यादा है कुछ स्वस्थ सिद्धांत हैं लेकिन मनमाने आचरण के कारण शरीर की बर्बादी की है!!
नोट :- हमारे विनाश के अनेक कारण हैं आज लोगों को सिर्फ को.रोना ही दिखाई दे रहा है उन्हें यह भी देखना चाहिए कि लोग कैंसर, टीबी, हृदय घात, शुगर, किडनी फेल, हाई वीपी, लो वीपी, अस्थमा आदि गंभीर बीमारियों से मर रहे हैं!!
आज का सत्संग
हिंदी छोटे सुविचार-इंसान, जीव जंतु, संजीव हर वस्तु और यहां तक कि जीव की सोच भी पल प्रति पल, क्षण क्षण परिस्थिति, स्थान, जरूरत के अनुसार बदल रही है। लेकिन ईश्वर वही रहते है। वो नहीं बदलते। बदलता है उनका नित्य का श्रृंगार। उन्हें देखने वाले भाव। उनसे मांगने की अनंत इच्छाएं।
एक मां कभी बच्चे को श्रृंगार से नहीं देखती। वल्कि अपने बच्चे को उसके अंदर के भावों से पहचानती है। उसी से प्यार करती है। ईश्वर भी ऐसा ही करते है। और सदगुरु भी। लेकिन उनसे आस रखने वाले कभी उन्हें देखकर भावुक होते है। कभी उदास। कभी हंसते है। कभी रोते है। और कभी कभी तो जरूरत न पूरी होने पर इन्हें ही बदल लेते है। क्योंकि वो इन्हें अपनी कसौटी पर परखना चाहते है।
कभी ऐसा सोचते ही नहीं। की स्वयं इनकी कसोटी पर खरा कैसे उतरे। अपने अनुसार बदलने की जिद करते है। और सोचते है। वो सब जानते ही है मेरी मजबूरी। लेकिन वही इंसान बेकार का सोशल मीडिया या कहे screen time में कितना समय खराब करता है। ईश्वर की बातें भी कहानियों में हो तो अच्छा। वर्ना ऐसे ही छोड़ देता है। सारा लिखा भी नही पढ़ता। उसे लेक्चर (उपदेश) ही लगता है।
खेर, आगे वहीं पढ़ पाएंगे। जो प्रयास करेंगे। वर्ना ऐसे यही समाप्त समझे।