सकारात्मक दृष्टिकोण | राजा और गुरु की प्रेरणादायक कहानी

सकारात्मक दृष्टिकोण: राजा और गुरु की प्रेरणादायक कहानी

दोस्तो ! बहुत समय पहले, एक समृद्ध राज्य में एक निष्ठावान और प्रजापालक राजा शासन करता था। राजा का जीवन सुख-सुविधाओं और ऐश्वर्य से भरा हुआ था, परंतु उसके मन में एक खालीपन था। वह हमेशा सोचता कि यह सब कुछ कितने समय तक रहेगा? क्या जीवन का यही उद्देश्य है।

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राजा को अक्सर ईश्वर और अध्यात्म की बातें आकर्षित करती थीं। वह गहरे चिंतन में डूब जाता और सोचता कि राजपाट छोड़कर शेष जीवन ईश्वर की खोज में बिताना चाहिए। परंतु उसे एक बड़ी समस्या थी—उसके पास राज्य का कोई योग्य उत्तराधिकारी नहीं था। उसका पुत्र अभी छोटा था और राज्य संभालने के लिए तैयार नहीं था।

एक दिन राजा ने अपने गुरु को बुलाया। गुरु एक ज्ञानी और दयालु संत थे, जिनकी बातें राजा के लिए मार्गदर्शन का काम करती थीं। राजा ने अपनी समस्या बताते हुए कहा,

“गुरुदेव, मैं राजपाट छोड़कर ईश्वर की खोज में समय देना चाहता हूँ। परंतु राज्य का क्या होगा? मेरा बेटा अभी छोटा है, और मुझे कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो इस राज्य को सही ढंग से संभाल सके।”

प्रेरणादायक कहानी छोटी सी
प्रेरणादायक कहानी छोटी सी

गुरु मुस्कुराए और बोले,

“यदि तुम्हें कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिला, तो क्या तुम मेरे बारे में सोच सकते हो? क्या तुम्हें मुझसे अधिक पात्र, अधिक सक्षम कोई व्यक्ति मिलेगा?”

राजा थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला,

“गुरुदेव, आपसे योग्य भला कौन हो सकता है? मेरा राज्य आपके मार्गदर्शन में फल-फूल जाएगा। मैं अभी आपके हाथों में राज्य की बागडोर सौंप देता हूँ।”

गुरु ने राजा की बात ध्यान से सुनी और फिर पूछा,

“राज्य की बागडोर सौंपने के बाद तुम क्या करोगे?”

राजा ने उत्तर दिया,

“गुरुदेव, मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा ताकि मेरा जीवन आराम से कट सके।”

गुरु ने गंभीर स्वर में कहा,

“लेकिन अब खजाना मेरा होगा। मैं तुम्हें उसमें से एक पैसा भी नहीं दूँगा।” राजा हैरान हो गया, लेकिन उसने कहा,

“ठीक है, फिर मैं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा। मेहनत करके जो कमाऊँगा, उसी से गुजारा कर लूँगा।”

गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा,

“अगर तुम्हें काम ही करना है, तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है। क्या तुम मेरे लिए काम करना चाहोगे?”

राजा ने उत्सुकता से पूछा,“गुरुदेव, कौन-सी नौकरी?”

गुरु बोले, “मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए राजा बनकर काम करो। राज्य संभालो, प्रजा का ख्याल रखो और हर महीने खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहो।”

राजा यह सुनकर अवाक रह गया। उसने गुरु की बात मान ली और उसी समय से अपने राज्य को गुरु के आदेश पर चलाने लगा।

राजा ने अब अपने राज्य को गुरु का राज्य मान लिया। वह सोचता था कि वह सिर्फ एक कर्मचारी है और गुरु के निर्देशानुसार ही काम कर रहा है। यह सोचते ही उसके मन का बोझ हल्का हो गया। पहले जहां वह हर छोटे-बड़े निर्णय को लेकर चिंता में डूबा रहता था, अब वह हर समस्या को गुरु के पास छोड़ देता था।

इस बदलाव का असर न केवल राजा पर, बल्कि पूरे राज्य पर पड़ा। राजा अब अधिक निष्ठा और समर्पण के साथ काम करने लगा। प्रजा की भलाई के लिए वह पहले से ज्यादा सजग और सक्रिय हो गया।

एक वर्ष बाद गुरु वापस आए। उन्होंने देखा कि राज्य पहले से भी बेहतर स्थिति में था। राजा न केवल अपना काम बखूबी कर रहा था, बल्कि उसके चेहरे पर संतोष और खुशी की झलक थी।

गुरु ने राजा से पूछा,“अब बताओ, तुम अपने निर्णय से खुश हो?”

राजा ने उत्साहपूर्वक उत्तर दिया,“गुरुदेव, मैंने कभी सोचा नहीं था कि राजपाट संभालते हुए भी मैं अध्यात्म का अनुभव कर सकता हूँ। अब मैं हर काम को आपकी सेवा समझकर करता हूँ। यह सोचकर मेरा मन शांत और प्रसन्न रहता है।”

गुरु मुस्कुराए और बोले,“यही तो मैं तुम्हें सिखाना चाहता था। परिवर्तन केवल दृष्टिकोण का होता है। काम वही रहता है, परिस्थिति वही रहती है, लेकिन यदि हम खुद को ईश्वर या गुरु का सेवक मान लें, तो जीवन में कोई भी कार्य बोझ नहीं लगता।”

गुरु ने राजा को समझाया,  “हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी भूमिका में होता है। कोई पिता, कोई माता, कोई कर्मचारी, कोई व्यवसायी।

यदि हम हर भूमिका को ईश्वर की दी हुई जिम्मेदारी समझकर निभाएं, तो जीवन में तनाव नहीं रहेगा। मालिक बनने की बजाय खुद को ईश्वर का सेवक मान लो। तब हर कार्य एक साधना बन जाएगा।”

राजा ने अब समझ लिया था कि असली समस्या राजपाट में नहीं थी, बल्कि उसके दृष्टिकोण में थी। उसने राज्य को गुरु का माना और खुद को केवल एक सेवक। यही सोच उसके जीवन की सबसे बड़ी सीख बन गई।  

दोस्तों! इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन की परिस्थितियां वही रहती हैं, लेकिन हमारा दृष्टिकोण उन्हें सुखद या कठिन बनाता है। यदि हम हर काम को ईश्वर की सेवा समझकर करें, तो जीवन में संतोष और शांति का अनुभव होगा।  दृष्टिकोण बदलने से ही जीवन बदलता है।

दोस्तो! आपको यह कहानी कैसी लगी? अपने  सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

राधे राधे 🙏🙏

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