शिव श्लोक संस्कृत | शिव मंत्र श्लोक | Shiv Mantra Shlok | powerful shiv stotra for success

शिव श्लोक संस्कृत | Shiv Mantra Shlok

शिव श्लोक संस्कृत

करपूर गौरं करुणावतारं

करपूर गौरं करुणावतारं
संसार सारं भुजगेन्द्र हारम् ।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानी सहितं नमामि ॥

यह शिव श्लोक संस्कृत भगवान शिव की निर्मलता और दयालु स्वरूप की स्तति करता है। यहाँ शिव को करपूर की तरह श्वेत कहा गया है, जो उनकी शुद्धता और प्रकाश का प्रतीक है। शिव केवल विनाश के देव नहीं, बल्कि करुणा के अवतार हैं — जो संसार के कष्टों को हरते हैं। वे संसार के अंतिम सत्य हैं — “संसार सारम्”।

उनकी गले में सर्प-माला दर्शाती है कि वे मृत्यु एवं काल (सर्प) पर भी विजयी हैं। शिव का आसन श्मशान है, उनका श्रृंगार भस्म है, फिर भी वे भक्तों के हृदय-कमल में अनंत प्रेम के साथ बसते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र

इस श्लोक में शिव-पार्वती को साथ नमस्कार करना यह दर्शाता है कि शिव ऊर्जा के साथ पूर्ण हैं — शिव + शक्ति = संपूर्ण ब्रह्मांड।

जीवन में सीख:

यह शिव श्लोक संस्कृत बताता है कि चाहे हम कितने संकटों में हों, शिव करुणास्वरूप हैं। वे उन लोगों के हृदय में बसते हैं जिनका हृदय कमल समान निर्मल हो। इस श्लोक का जप हमें शांति, भय से मुक्ति, और भीतर स्थिरता देता है।

यह हमें याद दिलाता है कि असली सुंदरता बाहरी आभूषणों में नहीं, बल्कि अंतःकरण की पवित्रता और नम्रता में है — तभी शिव हमारे भीतर निवास करेंगे।

निष्कर्ष: यह शिव श्लोक सिर्फ स्तुति नहीं है, बल्कि एक साधना है। शिव को यदि पाना है, तो हृदय को शुद्ध बनाओ,दया और सरलता रखो,सत्य के मार्ग पर चलो

महामृत्युंजय मंत्र (त्र्यम्बकं मंत्र)

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्॥

मंत्र का सरल अर्थ:

हम उस त्रिनेत्रधारी भगवान शंकर की उपासना करते हैं, जो सुगंधित हैं और हमें पोषण व शक्ति देते हैं। जैसे ककड़ी या फल बेल से स्वतः अलग हो जाता है, वैसे ही कृपया हमें मृत्यु और बंधनों से मुक्त करें, लेकिन अमरत्व (आत्मिक जीवन) प्रदान करें।

भावार्थ:

यह शिव श्लोक संस्कृत केवल मृत्यु से शारीरिक बचाव के लिए नहीं है — यह आध्यात्मिक मुक्ति का सबसे ऊँचा मंत्र है। यहाँ “मृत्यु” का अर्थ केवल शरीर का अंत नहीं, बल्कि भय, पीड़ा और अज्ञान भी है। भगवान शिव को त्र्यम्बकम् कहा गया है — जिनकी तीसरी आँख आत्मज्ञान की प्रतीक है। जो सुगंधित हैं, उसका मतलब है — जिनकी उपस्थिति से हमारे भीतर शुद्धता और दिव्यता फैलती है।

उर्वारुकमिव का प्रतीक सबसे सुंदर है — जैसे एक पका हुआ फल बेल से आसानी से अलग हो जाता है, वैसे ही हमारी आत्मा संसार के दुःखों, पापों और माया के बन्धन से मुक्त हो जाए। लेकिन “मा अमृतात्” — हमें मोक्ष से वंचित न करना। यानी हम संसार से भागना नहीं चाहते, हम आत्मिक अमरत्व चाहेंगे — आत्मज्ञान, भक्ति, कर्मयोग के साथ जीवित अवस्था में दिव्यता का अनुभव।

आध्यात्मिक संदेश

महामृत्युंजय मंत्र हमें यह सिखाता है कि शिव केवल मृत्यु के देव नहीं, बल्कि अमृत के भी स्वामी हैं। जब तक हम मोह, लोभ, क्रोध, अहंकार के बन्धन में हैं, हम मृत्यु-जैसे जीवन में हैं। शिव की कृपा से हम आत्मिक रूप से जन्म लेते हैं — वहीं असली “अमृत” है।

 निष्कर्ष

यह मंत्र हमें आंतरिक बल देता है, रोग और शोक से मुक्ति दिलाता है और जीवन को एक ऊँचे आध्यात्मिक स्तर तक ले जाता है। इसलिए इसे “महामृत्युंजय” यानी महान मृत्यु पर विजय दिलाने वाला कहा जाता है। अगर श्रद्धा से इसका जप किया जाये, तो हम न केवल संकटों से बचते हैं, बल्कि अंततः आत्मिक मुक्ति की ओर अग्रसर होते हैं।

शिव तांडव स्तोत्र – प्रथम श्लोक

जटाटवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥

भावार्थ और व्याख्या

इस स्तोत्र का यह श्लोक शिव के भयानक लेकिन दिव्य तांडव का दृश्य प्रस्तुत करता है। ॠषि रावण अपने उच्चतम भक्ति भाव में शिव के तांडव को शब्दों में चित्रित कर रहे हैं। शिव की जटाओं से गंगा बह रही है जो संसार को पवित्र करती है, उनके गले में नागों की माला है, और डमरू की गूंज सारी दिशाओं में फैल रही है।

यह श्लोक शिव के रौद्र रूप और नृत्य रूप — दोनों का संगम दिखाता है। उनका तांडव केवल विनाश नहीं, बल्कि सृष्टि-स्थिति-प्रलय का प्रतीक है। वह नृत्य ब्रह्मांड की लय है।

आध्यात्मिक संदेश

यह शिव श्लोक संस्कृत हमें बताता है कि सृजन और विनाश दोनों जीवन का हिस्सा हैं। कभी-कभी जीवन में बदलाव एक तांडव जैसा लगता है — तूफानी और कठोर — लेकिन अंततः वही नया मार्ग बनाता है। शिव का तांडव केवल क्रोध नहीं, उसमें दिव्यता और लय दोनों हैं।

जब हम इस श्लोक का उच्चारण करते हैं, तो हमारे भीतर शक्ति, साहस और नियंत्रण की भावना आती है। यह भय को दूर करता है और जीवन के उतार–चढ़ाव को स्वीकार करने का भाव देता है।

जीवन में उपयोग

  • जब जीवन में कठिन परिवर्तन या संघर्ष हो, यह श्लोक याद दिलाता है कि यह केवल “विनाश” नही है बल्कि “नव निर्माण” का चरण है।

  • यह श्लोक आत्म-शक्ति और निडरता बढ़ाता है।

  • कहीं भी भय, तनाव या कमजोरी हो — शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अद्भुत ऊर्जा देता है।

राधे राधे!🙏🙏

आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Spiritual Knowledge in Hindi

राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏

हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।

 

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