यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक | yada yada hee dharmasy shlok | यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक हिंदी अनुवाद

यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक-yada yada hee dharmasy shlok

राधे राधे!🙏🙏

यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक | yada yada hee dharmasy shlok

यह भगवद् गीता के अध्याय 4, श्लोक 7 का परम प्रसिद्ध श्लोक है — “यदा यदा हि धर्मस्य…”। ये सिर्फ एक श्लोक नहीं है, बल्कि भगवान कृष्ण का दिव्य वचन है जो बताता है कि वह कब और क्यों अवतार लेते हैं।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक हिंदी अनुवाद

हे अर्जुन! जब जब धर्म की हानि होती है और अधर्म अत्यधिक बढ़ जाता है, तब-तब मैं स्वयं को (अवतार रूप में) प्रकट करता हूँ।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब संसार में पाप, अन्याय और अधर्म बहुत बढ़ जाते हैं और अच्छे लोगों पर संकट आता है, तब वे स्वयं किसी रूप में जन्म लेकर धर्म की स्थापना करते हैं। इसका अर्थ यह है कि सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए भगवान समय-समय पर अवतार लेते हैं।

  • त्रेता युग में राम बनकर रावण का अंत किया,

  • द्वापर युग में कृष्ण बनकर कंस, दुर्योधन और अन्य अधर्मियों का विनाश किया,

  • नरसिंह अवतार, वामन अवतार, बुद्ध अवतार, आदि ये सभी इसी सिद्धांत के उदाहरण हैं।

इसका व्यक्तिगत अर्थ यह भी निकलता है: यदि हमारे जीवन में बहुत अंधेरा (अधर्म) छा जाए, तो भगवान किसी ना किसी रूप में मार्गदर्शन देने आ जाते हैं — कभी गुरु, कभी मित्र, कभी भीतर की अंतरात्मा बनकर।

Krishnay Vasudevay Haraye Paramatmane
Krishnay Vasudevay Haraye Paramatmane

निष्कर्ष

  • यह श्लोक संसार में धर्म का शाश्वत सिद्धांत बताता है। भगवान केवल तभी अवतरित होते हैं जब अधर्म अपनी सीमा पार कर देता है। इस श्लोक से हमें हिम्मत, आस्था और सकारात्मक सोच मिलती है। यह विश्वास जगता है कि सत्य की जीत निश्चित है

छोटी कहानी: “न्याय का समय”

एक छोटे से गाँव में अनीश नाम का एक सच्चा, मेहनती आदमी रहता था। वो लोगों की मदद करता, सच बोलता और ईमानदारी से जीवन जीता था। लेकिन गाँव का मुखिया और कुछ लालची लोग उसे पसंद नहीं करते थे। उन्होंने उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए, जमीन पर कब्जा किया और उसे समाज में बदनाम कर दिया।

अनीश बहुत दुखी हुआ। उसने न्याय के लिए कई जगह गुहार लगाई, पर कोई उसकी बात नहीं सुन रहा था। तब उसके गुरुदेव ने उसे गीता का यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक सुनाया:

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति…”

और समझाया:
“जब अन्याय बहुत बढ़ जाता है, और अधर्म हावी होता है, भगवान या तो स्वयं आते हैं या किसी के माध्यम से सही न्याय करवाते हैं। बस विश्वास बनाए रखो और सत्य के रास्ते पर डटे रहो।”

छोटे संस्कृत श्लोक
                               छोटे संस्कृत श्लोक

अनीश ने हार नहीं मानी। वह शांत रहा, पर सच्चाई पर टिका रहा। कुछ समय बाद गाँव में सरकारी जाँच बैठी और सारी सच्चाई सामने आ गई। जो लोग उसे सताते थे, वे पकड़े गए और अनीश को इज़्ज़त और न्याय दोनों मिला।

 

Leave a Comment

error: