मृत्यु का भय क्यों होता है-
राधे-राधे🙏🙏
मृत्यु का भय क्यों होता है
मुझे मरने से बहुत डर लगता है। मैं क्या करूँ?
अरे बच्चा! तुम कैसी बातें करते हो, क्या कोई मरने के लिए शौक से बैठा होता है? नहीं न! मौत से कौन नहीं डरता? जब किसी बीमार इंसान की हालत देखी जाती है या कोई गंभीर रोग सुनते हैं, तो मन घबरा जाता है। डर लगता है — कहीं ये सब मेरे बुरे कर्मों का फल तो नहीं? लेकिन सच्चाई ये है कि ये डर हमारे अज्ञान का फल है। जब हमें ज्ञान नहीं होता, तभी तो डर जन्म लेता है।
हमारी दोनों किडनियां खराब हैं। हम डायलिसिस पर हैं। कभी भी मृत्यु हो सकती है। फिर भी हम हँस रहे हैं,हमें मृत्यु न कोई डर है, न कोई दुख। क्योंकि हमने अपने मन को भगवान से जोड़ दिया है। अब हमें पता है कि यह शरीर एक दिन छूट जाएगा — लेकिन आत्मा? आत्मा तो अपने प्यारे श्याम-सांवरे के पास जाएगी, जिसके लिए हमने पूरी ज़िंदगी भजन किया,उसे पुकारा,उसके लिए तड़पे। अब जब मिलने का समय पास है, तो मृत्यु हमारे लिए कोई भय नहीं, बल्कि एक उत्सव की तरह है।

मौत डरावनी कब होती? तब जब हमारी दुनिया सिर्फ हमारा परिवार, मकान, बैंक बैलेंस, पद और प्रतिष्ठा बन जाती है। जब हम इन सबमें इतनी आसक्ति रख लेते हैं कि हमें लगता है, “मर गए तो सब छूट जाएगा।” तब डर आता है। लेकिन अगर हम ये मान लें
“नाथ सकल संपदा तुम्हारी,मैं सेवक समेत सुत नारी”
हे नाथ! सब कुछ तुम्हारा है। मेरा शरीर, मेरा परिवार, मेरी पत्नी, मेरे बच्चे, मेरी संपत्ति, सब कुछ तो फिर डर किस बात का?
कई बार लोग कहते हैं, महाराज जी अपने तो सब कुछ त्याग दिया है, हम तो सांसारिक जीवन जी रहे हैं। हमारे बच्चे, परिवार, पत्नी, सब हैं। तो हम यही कहते हैं, उनमें भी भगवान को देखना सीखिए। कभी बच्चे बात नहीं सुनते, कभी पत्नी नाराज़ हो जाती है, लेकिन हर किसी में वही परमात्मा है। जैसे बिजली एक ही होती है, चाहे वह प्रकाश दे, गर्मी दे, या ठंडक दे। उसी तरह हर व्यवहार में परमात्मा की शक्ति ही काम करती है।
अगर हम अपने परिवार से प्रेम करें, लेकिन परमात्मा भाव से प्रेम करते है, तो हम बंधेंगे नहीं। मोह नहीं होगा, डर नहीं लगेगा। वरना पूरी ज़िंदगी जिनसे जुड़ते हैं, वही लोग अंत में छूटने का डर देते हैं, और वही डर मृत्यु को भयावह बना देता है।

इसलिए मृत्यु से डरने की ज़रूरत नहीं है। कब यह शरीर छूटे, कब अपने पूर्ण आनंद स्वरूप भगवान से मिलन हो। यही तो आनंद का विषय है। डर वहां होता है जहाँ भजन नहीं होता, नाम जप नहीं होता, सेवा नहीं होती। लेकिन जब आप हर दिन हर प्राणी में भगवान को देखेंगे, सेवा करेंगे, नाम जपेंगे। तब मृत्यु का भय धीरे-धीरे गलता चला जाएगा।
जैसे-जैसे ज्ञान आएगा, वैसे-वैसे मृत्यु एक भय नहीं, बल्कि एक प्यारा मिलन लगने लगेगा। एक मधुर क्षण जब आत्मा अपने परमप्रिय श्यामा श्याम के पास पहुँचती है।
आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Spiritual Talk In Hindi
राधे राधे ![]()
एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े ![]()
हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।














