भगवान की भक्ति कैसे करें-How to worship God
राधे-राधे🙏🙏
भगवान की भक्ति कैसे करें
महाराज जी घर में सबके भगवान अलग-अलग हैं ऐसे में क्या करूँ?
जब परिवार बड़ा होता है तो परिवार में प्राय ऐसा देखा गया है। बड़े परिवारों में ऐसा ही होता है। कोई बात नहीं परिवार है, परिवार के सदस्य है, सबकी अपनी-अपनी भावनाएं हैं।
अपनी भावना के अनुसार जब हम पूजा गृह में पहुंचे, अगर हम शिव के उपासक हैं तो शिव को चंदन लगा दे और शिव की उपासना करें अगर हम रामजी के उपासक है तो राम जी को चंदन और भोग लगा दें हमारे भाव होने चाहिए कि यह हमारे ठाकुर जी हैं। हमें प्रेम तो एक से ही होगा अनेक में प्रेम नहीं होता।
प्रेम गली सकरी तामे दो ना समाय।
प्रेम तो हमें एक से ही होता है एक होती है ग्रामीण पूजा, ग्रामीण पूजा में हमारे सभी भगवान जैसे शिवजी रामजी पार्वती माता लक्ष्मी माता गणेश जी हनुमान जी सभी भगवान विराजमान है और उनके तिलक लगाए सबको थाली में भोग रखा जाए।
लेकिन जब हमारी आराधना रंग लाती है तो फिर सब एक ही हो जाता है।
जिस प्रकार हम डाल, पत्ती, पुष्प इन सब पर जल डालें लेकिन जड़ में जल ना डालें, तो क्या पेड़ सुरक्षित रहेगा? लेकिन अगर हम जड़ में पानी डाल दें और चाहे फूल पत्ती शाखों में पानी न भी दे तो भी हमारा वृक्ष सुरक्षित है। इस प्रकार हमें यह समझना चाहिए कि इन सब की जड़ कौन है।
चाहे हम शिव, भोलेबाबा, राम, विष्णु बोले लेकिन इन सब का एक ही स्वरुप है, ईश्वर एक ही है।

हमें थोड़ा और समझना चाहिए। एक होता है लोक धर्म। जब हम लोक धर्म का त्याग करते हैं, तो भगवत धर्म में आते हैं। जब भगवत धर्म का त्याग करते हैं, तो हम प्रेम धर्म में आते हैं। यहां जो चर्चा चल रही है वह प्रेम धर्म की हो रही है। जब हम बात प्रेम धाम की करते हैं तो फिर सब कुछ एक हो जाता है।
जब हम अपने बाल्य काल में आराधना करते थे तो शुरुआत में कम से कम 20-25 चालीसा पढ़ते थे जब 11 वर्ष की अवस्था में, बाबा जी बने तो दिन भर चालीसा ही पढ़ते थे। शिव चालीसा, दुर्गा चालीसा, राम स्त्रोत धीरे-धीरे पढ़ते-पढ़ते भगवान शिव की कृपा से श्यामा श्याम की उपासना करने लगे। आचार्य गुरुदेव ने जो मंत्र दिया वह भी श्यामा श्याम। अब हमारी पूरी उपासना में सिर्फ श्याम शाम ही है।

राधे-राधे🙏🙏
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हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।