प्रेरणादायक सत्य वचन:-जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं, तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। इस परंपरा का पालन आज भी काफी लोग करते हैं। चरण स्पर्श करने से धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर चरण स्पर्श के कई फायदे हैं:
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चरणस्पर्श का धार्मिक व वैज्ञानिक विश्लेषण | प्रेरणादायक सत्य वचन
चरण स्पर्श के धार्मिक लाभ
1.विनम्रता और शांति:-चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना। इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है। साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में कामयाब होता है।
2.आशीर्वाद और पॉजिटिव एनर्जी:-जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते हैं, तो आशीर्वाद के तौर पर उनका हाथ हमारे सिर को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है। ऐसी मान्यता है कि इससे उस पूजनीय व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी हमारे शरीर में प्रवेश करती है, जिससे हमारा आध्यात्मिक और मानसिक विकास होता है।
3.आयु, विद्या, यश और बल:-शास्त्रों में कहा गया है कि हर रोज बड़ों के अभिवादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है।
4.सभ्यता और सदाचार का प्रतीक:-चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक है।
5.प्रतिकूल ग्रहों का अनुकूल होना:-मान्यता है कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श नियमित तौर पर करने से कई प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं।
6.अहंकार का नाश:-प्रणाम करने का एक फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। इन्हीं कारणों से बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया है।
7.समर्पण भाव:-किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार खत्म हो जाता है।
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चरण स्पर्श के वैज्ञानिक तथ्य
1.न्यूटन का नियम:-इसका वैज्ञानिक पक्ष इस तरह है: न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं। सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम ‘चरण स्पर्श’ कहते हैं।
2.पैर के अंगूठे से शक्ति का संचार:-माना जाता है कि पैर के अंगूठे से भी शक्ति का संचार होता है। मनुष्य के पांव के अंगूठे में भी ऊर्जा प्रसारित करने की शक्ति होती है।
3.सूक्ष्म व्यायाम:-यह एक प्रकार का सूक्ष्म व्यायाम भी है। पैर छूने से शारीरिक कसरत होती है। झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर प्रणाम करने या साष्टांग दंडवत से शरीर लचीला बनता है।
4. सिर में रक्त प्रवाह:-आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है।
शास्त्रों में लिखा है:
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति रोज बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम और चरण स्पर्श करता है, उसकी उम्र, विद्या, यश और शक्ति बढ़ती जाती है।
चरण स्पर्श के तरीके और उनके फायदे
1.झुककर पैर छूना:-झुककर पैर छूने से हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।
2.घुटने के बल बैठकर पैर छूना:-इस विधि से पैर छूने पर हमारे शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता है, जिससे जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
3.साष्टांग प्रणाम:-इस विधि में शरीर के सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए सीधे तन जाते हैं, जिससे शरीर का स्ट्रेस दूर होता है। झुकने से सिर का रक्त प्रवाह व्यवस्थित होता है जो हमारी आंखों के साथ ही पूरे शरीर के लिए लाभदायक है।
समर्पण और अहंकार का नाश
पैर छूने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार खत्म होता है। चरण स्पर्श की क्रिया में अंग संचालन की शारीरिक क्रियाएं व्यक्ति के मन में उत्साह, उमंग, चैतन्यता का संचार करती हैं। यह अपने आप में एक लघु व्यायाम और यौगिक क्रिया भी है, जिससे मन का तनाव, आलस्य और मनो-मालिन्यता से मुक्ति मिलती है।
इस मुद्रा में चरण स्पर्श नही करना चाहिए
इस मुद्रा में नहीं करना चाहिए चरण स्पर्श…
सनातन संस्कृति में बड़ों के चरण स्पर्श करने का विधान है, जो आदर और सम्मान का प्रतीक है। परंतु कुछ मुद्राओं एवं अवस्थाओं में चरण स्पर्श करना वर्जित माना गया है। ये नियम हमारे धार्मिक और सामाजिक आचरण को दिशा देते हैं।
1- सोते हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए:- सोते हुए व्यक्ति के चरण स्पर्श से उनका आराम और शांति भंग होती है। यह एक अनुचित और अशिष्ट आचरण माना जाता है। इसलिए, सोते हुए व्यक्ति को जाग्रत होने पर ही प्रणाम करना उचित है।
2- श्मशान से लौटे हुए व्यक्ति को प्रणाम नहीं करना चाहिए:-श्मशान से लौटे हुए व्यक्ति को उनके शोक और शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक प्रणाम नहीं करना चाहिए। यह धार्मिक दृष्टिकोण से शुद्धता और मन की स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
3-प्रणाम दोनों हाथ जोड़ कर ही करना चाहिए:-प्रणाम करते समय दोनों हाथ जोड़कर और विनम्रता से प्रणाम करना चाहिए। यह हमारे मन में श्रद्धा और आदर का भाव जागृत करता है। इस विधि से अहंकार का नाश होता है और विनम्रता का विकास होता है।
4-अशुद्ध अवस्था में चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए:-जब शरीर और मन अशुद्ध हों, जैसे स्नान के बिना या मानसिक अशांति की अवस्था में, तब चरण स्पर्श करना उचित नहीं माना गया है। यह स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक है।
5-बिना अनुमति चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए:-जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर वार्तालाप में हो या ध्यानमग्न हो, तब बिना उनकी अनुमति के चरण स्पर्श करना उनके ध्यान और शांति में विघ्न डाल सकता है। उचित होगा कि पहले अनुमति लें और फिर चरण स्पर्श करें।
6- बीमार व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए:-बीमार व्यक्ति को आराम की आवश्यकता होती है और उनका शरीर कमजोर होता है। ऐसे में उनका चरण स्पर्श करके उनकी ऊर्जा को बाधित करना उचित नहीं होता।
चरण स्पर्श का महत्व केवल बाह्य क्रिया में नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपी भावना और श्रद्धा में है। यह हमारे जीवन के आचरण को शुद्ध और समर्पित बनाता है। सही समय, स्थान और अवस्था में चरण स्पर्श करना हमें सच्ची आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति कराता है।
याद रखें, चरण स्पर्श का उद्देश्य मात्र आशीर्वाद प्राप्त करना नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से हम अपने मन, वचन और कर्म में शुद्धता और विनम्रता को स्थान देते हैं। यह हमारी संस्कृति की एक महत्वपूर्ण धरोहर है, जिसे सहेजना और सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है।
निष्कर्ष
चरण स्पर्श केवल एक परंपरा नहीं है, यह एक वैज्ञानिक क्रिया है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ी है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता, बल्कि बड़ों के स्वभाव की अच्छी बातें भी हमारे अंदर उतर जाती हैं। ये हमारे जीवन को समृद्ध और सुदृढ़ बनाती हैं, जिससे हम सफलता के क्षेत्र में अग्रसर होते हैं।
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