प्रेरक कहानी छोटी सी | एक अच्छी आदत | small inspired story in hindi

प्रेरक कहानी छोटी सी:-मेरे एक मित्र ने एक घटना बताई थी। घटना में कितनी सच्चाई थी, इस बात से तो मैं अनभिज्ञ हूँ पर उस घटना में छिपे मर्म और सार ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैंने उस घटना को अपने स्तर पर अपने शब्दों में पिरोकर कहानी का रूप देकर आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है।

वो एक बर्फ बनाने की विशाल फैक्ट्री थी। हजारों टन बर्फ हमेशा बनता था। सैकड़ों मजदूर व अन्य कर्मचारी एवं अधिकारी वहां कार्य करते थे। उन्हीं में से था एक कर्मचारी अखिलेश। अखिलेश उस फैक्ट्री में पिछले बीस वर्षों से कार्य कर रहा था। उसके मृदु व्यवहार, ईमानदारी एवं काम के प्रति समर्पित भावना के कारण वह उन्नति करते हुए उच्च सुपरवाइजर के पद पर पहुँच गया था। उसे फैक्ट्री के हर काम की जानकारी थी।

इसे भी जरूर पढ़े- आज का दु:ख कल का सौभाग्य कैसे बन जाता है?

इसे भी जरूर पढ़े- जाने! किस प्रकार ब्रह्माण्ड की शक्तियाँ हमारी मदद कर सकती हैं?| ब्रह्माण्ड की शक्ति | Law of Positivity in hindi

जब भी कोई मुश्किल घड़ी होती, सब, यहाँ तक कि फैक्ट्री के मालिक भी उसे याद करते थे और वह उस मुश्किल पलों को चुटकियों में हल कर देता था। इसी लिए फैक्ट्री में सभी लोग, कर्मचारी व अन्य अधिकारी उसका बहुत मान करते थे।

इन सब के अलावा उसकी एक छोटी सी अच्छी आदत और थी। वह जब भी फैक्ट्री में प्रवेश करता, फैक्ट्री के गेट पर तैनात सुरक्षा गार्ड से लेकर सभी अधीनस्थ कर्मचारियों से मुस्कुरा कर बात करता, उनकी कुशलक्षेम पूछता और फिर अपने कक्ष में जाकर अपने काम में लग जाता। और यही सब वह फैक्ट्री का समय समाप्त होने पर घर जाते समय करता था।

एक दिन फैक्ट्री के मालिक ने अखिलेश को बुलाकर कहा, “अखिलेश, एक मल्टीनेशनल कंपनी जो कि आइसक्रीम बनती है, ने हमें एक बहुत बड़ा ऑर्डर दिया है और हमें इस ऑर्डर को हर हाल में नियत तिथि तक पूरा करना है ताकि कंपनी की साख और लाभ दोनों में बढ़ोतरी हो तथा और नई मल्टीनेशनल कंपनियां हमारी कंपनी से जुड़ सकें। इस काम को पूरा करने के लिए तुम कुछ भी कर सकते हो चाहे कर्मचारियों को ओवरटाइम दो, बोनस दो या और नई भर्ती करो, पर ऑर्डर समय पर पूरा कर पार्टी को भिजवाओ।”

इसे भी जरूर पढ़े- कलयुग में पुण्य क्या है | What is virtue in Kalyug in hindi

अखिलेश ने कहा, “ठीक है, मैं इस ऑर्डर को समय पर पूरा कर दूंगा।” मालिक ने मुस्कुराकर अखिलेश से कहा, “मुझे तुमसे इसी उत्तर की आशा थी।”

अखिलेश ने सभी मजदूरों को एकत्रित किया और ऑर्डर मिलाने की बात कही और कहा, “मित्रो, हमें हर हाल में यह ऑर्डर पूरा करना है। इसके लिए सभी कर्मचारियों को ओवरटाइम, बोनस सभी कुछ मिलेगा। साथ ही यह कंपनी की साख का भी सवाल है।”

एक तो कर्मचारियों का अखिलेश के प्रति सम्मान की भावना तथा दूसरी ओर ओवरटाइम व बोनस मिलने की खुशी, सभी कर्मचारियों ने हां कर दी।

प्रेरक कहानी छोटी सी
प्रेरक कहानी छोटी सी

 

फैक्ट्री में दिन-रात युद्धस्तर पर काम चालू हो गया। अखिलेश स्वयं भी सभी कर्मचारियों का हौसला बढ़ाता हुआ उनके कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा था। उन सभी की मेहनत रंग लाई और समस्त कार्य नियत तिथि से पूर्व ही समाप्त हो गया। सारी की सारी बर्फ शीतलीकरण (कोल्ड स्टोरेज) कक्ष, जो एक विशाल अत्याधुनिक तकनीक से बना हुआ तथा कम्प्यूटराइज्ड था, में पैक कर के जमा कर दी गई।

सभी कर्मचारी काम से थक गए थे, इसलिए उस रोज काम बंद कर सभी कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई। सभी कर्मचारी अपने-अपने घर की तरफ प्रस्थान करने लगे। अखिलेश ने सभी कार्य की जांच की और वह भी घर जाने की तैयारी करने लगा।

जाते-जाते उसने सोचा चलो एक बार शीतलीकरण कक्ष की भी जांच कर ली जाए कि सारी की सारी बर्फ पैक्ड और सही है कि नहीं। यह सोच कर वह शीतलीकरण कक्ष को खोलकर उसमें प्रवेश कर गया। उसने घूम-फिर कर सब चेक किया, और सभी कुछ सही पाकर वह जाने को वापस मुड़ा।

पर किसी तकनीकी खराबी के कारण शीतलीकरण कक्ष का दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया। दरवाजा ऑटोमेटिक था तथा बाहर से ही खुलता था। इस लिए उसने दरवाजे को जोर-जोर से थपथपाया। पर सभी कर्मचारी जा चुके थे। उसकी थपथपाहट का कोई असर नहीं हुआ। उसने दरवाजा खोलने की बहुत कोशिश की पर सब कुछ बेकार रहा। दरवाजा केवल बाहर से ही खुल सकता था।

प्रेरक कहानी छोटी सी
प्रेरक कहानी छोटी सी

 

अखिलेश घबरा गया। उसने और जोर से दरवाजे को पीटा, जोर से चिल्लाया पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। अखिलेश सोचने लगा कि कुछ ही घंटों में शीतलीकरण कक्ष का तापक्रम शून्य डिग्री से भी कम हो जाएगा। ऐसी दशा में मेरा खून का जमना निश्चित है। उसे अपनी मौत नजदीक दिखाई देने लगी। उसने एक बार पुनः दरवाजा खोलने की कोशिश की पर सब कुछ व्यर्थ रहा।

कक्ष का ताप धीरे-धीरे कम होता जा रहा था। अखिलेश का बदन अकड़ने लगा। वो जोर-जोर से अपने आप को गर्म रखने के लिए भाग-दौड़ करने लगा। पर कब तक, आखिर थक कर एक स्थान पर बैठ गया। ताप शून्य डिग्री की तरफ बढ़ रहा था। अखिलेश की चेतना शून्य होने लगी। उसने अपने आप को जाग्रत रखने की बहुत कोशिश की पर सब निष्फल रहा। ताप के और कम होने पर उसका खून जमने के कगार पर आ गया और अखिलेश भावना शून्य होने लगा। मौत निश्चित जान वह अचेत हो कर वहीं जमीन पर गिर पड़ा।

कुछ ही समय पश्चात दरवाजा धीरे-से खुला। एक साया अंदर आया। उसने अचेत अखिलेश को उठाया और शीतलीकरण कक्ष से बाहर ला कर लिटाया। उसे गर्म कंबल से ढंका और पास ही पड़े फैक्ट्री के कबाड़ को एकत्रित कर उसमें आग जलाई ताकि अखिलेश को गर्मी मिल सके और उसका रक्तसंचार सुचारू हो सके।

गर्मी पाकर अखिलेश के शरीर में कुछ शक्ति आई। उसका रक्तसंचार सही होने लगा। आधे घंटे के बाद अखिलेश के शरीर में हरकत होने लगी। उसका रक्तसंचार सही हुआ और उसने अपनी आँखें खोलीं। उसने सामने गेट पर पहरा देने वाले सुरक्षा गार्ड शेखर को पाया। उसने शेखर से पूछा, “मुझे बाहर किसने निकाला? और तुम तो गेट पर रहते हो, तुम्हारा तो फैक्ट्री के अंदर कोई कार्य भी नहीं, फिर तुम यहाँ कैसे आये?”

शेखर ने कहा, “सर, मैं एक मामूली-सा सुरक्षा गार्ड हूँ। फैक्ट्री में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर निगाह रखना तथा सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को सलाम करना यही मेरी ड्यूटी है। मेरे अभिवादन पर अधिकतर कोई ध्यान नहीं देता। कभी-कभी कोई मुस्कुरा कर अपनी गर्दन हिला देता है। पर सर, एक आप ही ऐसे इंसान हैं जो प्रतिदिन मेरे अभिवादन पर मुस्कुरा कर अभिवादन का उत्तर देते थे। साथ ही मेरी कुशलक्षेम भी पूछते थे।

आज सुबह भी मैंने आपको अभिवादन किया। आपने मुस्कुरा कर मेरे अभिवादन का उत्तर दिया और मेरे हालचाल पूछे। मुझे मालूम था कि इन दिनों फैक्ट्री में बहुत काम चल रहा है जो आज समाप्त हो जाएगा और काम समाप्त भी हो गया। सभी लोग अपने-अपने घर जाने लगे। जब सब लोग दरवाजे से निकल गए तो मुझे आपकी याद आई कि रोज आप मुझसे बात कर के घर जाते थे पर आज दिखे नहीं दिए।

मैंने सोचा शायद अंदर काम में लगे होंगे, पर सबके जाने के बाद भी बहुत देर तक आप बाहर आते दिखे नहीं दिए तो मेरे दिल में कुछ शंकाएं उत्पन्न होने लगीं। क्योंकि फैक्ट्री के जाने आने का यही एकमात्र रास्ता है। इसी लिए मैं आपको ढूंढते हुए फैक्ट्री के अंदर आ गया। मैंने आपका कक्ष देखा, मीटिंग हाल देखा, बॉस का कक्ष देखा पर आप कहीं दिखाई नहीं दिए।

मेरा मन शंका से भर गया कि आप कहाँ गए? कोई निकलने का दूसरा रास्ता भी नहीं है। मैं वापस जाने लगा तो सोचा चलो शीतलीकरण कक्ष भी देख लूं। पर वो बंद था। मैं वापस जाने को मुड़ा पर मेरे दिल ने कहा कि एक बार इस शीतलीकरण कक्ष को खोल कर भी देखूं। मैंने आपातकालीन चाबियों से कक्ष खोला तो आपको यहाँ बेहोश पाया।”

अखिलेश एकटक शेखर के चेहरे की ओर देखे जा रहा था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी एक छोटी-सी अच्छी आदत का प्रतिफल उसे इतना बड़ा मिलेगा। उसकी आँखों में आँसू भर आए। उसने उठकर शेखर को गले लगा लिया।

इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि लोग पढ़ें और एक अच्छी आदत, चाहे वह छोटी-सी ही क्यों न हो, अपने जीवन में उतार सकें।

हिंदी कहानियां प्रेरणादायक

गुरु शिष्य के प्रेरणादायक प्रसंग

कलयुग में पुण्य क्या है

सबसे बड़ा पुण्य क्या है | एक दिन का पुण्य | भक्ति कथा

मनुष्य को अहंकार क्यों नहीं करना चाहिए | बेस्ट प्रेरणादायक सुविचार

जय श्री कृष्णा 🙏🙏 जाने दान का सही अर्थ। कृष्णा और अर्जुन की बहुत ही सुन्दर कहानी। एक बार अवश्य पढ़े।🙏🙏

 

Leave a Comment

error: