धार्मिक कर्म से पाप मुक्ति | Dharmik Karma Se Paap Mukti | Guru Vani | Premanand ji Maharaj

धार्मिक कर्म से पाप मुक्ति-Dharmik Karma Se Paap Mukti

राधे राधे 🙏🙏

धार्मिक कर्म से पाप मुक्ति | Dharmik Karma Se Paap Mukti

यदि आत्महत्या या अकाल मृत्यु वाले को मुक्ति नहीं मिलती, तो उनके परिवारवाले उसकी मुक्ति के लिए क्या कर सकते हैं?

यदि श्रीमद्भागवत का 1 सप्ताह का पाठ कराया जाए, भगवान का नाम कीर्तन, साधु महात्माओं को भोज भंडारा, यह सभी पुण्य कार्य यदि किसी जीवात्मा को समर्पित कर दिए जाए तो वह अपने जीवन से मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकता है अन्यथाएं जो व्यक्ति आत्महत्या करता है वह महा पाप कर रहा है इससे उसकी दुर्गति होना निश्चित है।

ऐसे लोग प्रेत योनि को प्राप्त होते हैं। यदि उनके लिए धार्मिक कर्मकांड न किए जाएं तो वहां न जाने कितने दिनों तक मृत्यु लोक में भटकना पड़ सकता है,जिसका कोई हिसाब नही है। इसलिए उसकी परिजनों का कर्तव्य है कि वह धर्म ग्रंथो का पाठ करवाये,भजन कीर्तन आदि करवाये, साधु संतों की सेवा करें तथा भगवान का नाम जप करें। इससे उसे जीवात्मा को पुण्य प्राप्त होगा जिससे वह अपने पापों से मुक्त होकर उत्तम योनियों को प्राप्त कर सकेगा।

श्रीमद् भागवत के महात्म में इसका विवरण है कि एक  व्यक्ति जिसका नाम धुंधकारी था। वह महा पापी था। वह अनेक वैश्यों से संबंध रखता था हिंसा करवाता था और चोरी करता था।

Karma Bada hai ya Dharma
Karma Bada hai ya Dharma

एक बार वह जब राजकोष से चोरी कर लाया तो वैश्यों ने सोचा कि यदि हमने इसे नहीं मारा तो एक दिन हम सब पकड़े जाएंगे। इसलिए उन्होंने उसे सोते समय बांध दिया और उसके मुख में अंगारे रख दिए, जब वह फिर भी नहीं मारा तो गला घोट कर करने की कोशिश करें जिसके कारण वहां प्रेत योनि को प्राप्त हुआ और भयंकर प्रेत बन गया।

उसका एक भाई था जिसका नाम गोकर्ण था। जब गोकर्ण जी तीर्थ यात्रा करके लौटे थे। एक राज्य में शयन कर रहे थे तो उनके साथ अजीब घटनाएं घटित हुई। उन्होंने समझ लिया कि यह कोई प्रेत है जब उन्होंने गायत्री मंत्र जाप कर उसे पर जल छिड़का तब उसके कुछ पाप नष्ट हुए और वह बोल सका उसने बताया कि वह धुंधकारी है और अपने पापों के कारण प्रेत योनि को प्राप्त हुआ है।

गोकर्ण जी ने  कहा कि उन्होंने तो पिंडदान किया था तो धुंधकारी बोला कि उससे उसका कल्याण नहीं हो पाया है तब गोकर्ण जी ने भगवान सूर्य से इसका उपाय पूछा। भगवान सूर्य देव ने श्रीमद् भागवत महापुराण का पाठ करने का सुझाव दिया। गोकर्ण जी ने 7 दिन तक श्रीमद् भागवत का श्रवण कराया जिसके फल स्वरुप धुंधकारी प्रेत योनि से मुक्त होकर भगवान के पार्षद स्वरूप को प्राप्त हुआ।

सबके सामने विमान आया और वह भगवान के धाम को चला गया इसलिए जो मनुष्य अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उनके कल्याण हेतु श्रीमद् भागवत पाठ का श्रवण करना चाहिए। भगवान का नाम कीर्तन साधु संतों की सेवा आदि करके यदि उसे समर्पित किया जाए तो उसका कल्याण होता है।

राधे राधे 🙏🙏

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राधे राधे 🙏🙏 एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े 🙏

हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।

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