दोष देखने से क्या हानि होती है-साधना में दृष्टि शुद्ध कैसे करें
राधे राधे!🙏🙏
दोष देखने से क्या हानि होती है
महाराज जी! जो दोष मैं दूसरों में देखती थी,वही दोष अब मेरे अंदर आने लगे हैं।
महाराज जी बोले: “हाँ, यह बहुत पक्का सिद्धांत है कि हम जिसके दोष दर्शन करेंगे, वह हमारे अंदर प्रकट हो जाएंगे। इसलिए हमें किसी के दोषों को नहीं देखना चाहिए। यह केवल आपका ही नहीं, हमारा भी अनुभव है। परदोष दर्शन साधना में बहुत बड़ी बाधा बनता है। अगर किसी में कोई दोष दिखाई दे तो उसी समय प्रणाम करके भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि – ‘हे भगवान, हमारी दृष्टि को पवित्र कर दो, ताकि हम किसी के दोष न देखें।’ क्योंकि हमें जो गंदी बातें दिखाई दे रही हैं, वह हमारी अपनी अपवित्र दृष्टि का परिणाम है।
और यदि हमने मान लिया कि वह व्यक्ति दोषी है, तो पक्की बात है कि वही दोष धीरे-धीरे हमारे भीतर भी आ जाएगा। यह आपका भी अनुभव है, हमारा भी अनुभव है और यह तो शास्त्र का भी अनुभव है।

शास्त्र का आदेश है कि साधक को तीन बातों से हमेशा बचना चाहिए –
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परदोष दर्शन (दूसरों के दोष देखना),
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निंदा श्रवण (दूसरों की बुराई सुनना),
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निंदा कथन (दूसरों की निंदा करना)।
इन तीनों से बचना साधना के लिए अनिवार्य है।
अब जो हो गया है, उसका सुधार कैसे हो? — नाम जप करो। नाम जप करो।
और जहाँ-जहाँ, जिस व्यक्ति में आपने दोष देखे हैं, वहाँ-वहाँ जाकर या मन ही मन उसे प्रणाम करो। तो सब ठीक हो जाएगा।
फिर साधक कहती हैं — “मुझे भी पता है कि हर जीव में भगवान का वास है। यह तो समझ में आता है, लेकिन फिर भी मैं वह चीज़ देख नहीं पाती।”
महाराज जी उत्तर देते हैं — “हाँ, यह स्थिति साधना से आती है। जब हम खूब भजन करते हैं और डटकर भजन करते हैं, तब हमारी इंद्रियाँ पवित्र होती हैं। और जब इंद्रियाँ पवित्र होती हैं, तब हमें परम पवित्र भगवान स्वयं अपने सामने दिखाई देने लगते हैं।
अभी हम त्रिगुणों (सत्व, रज, तम) के अधीन हैं। जब हमारी दृष्टि तीनों गुणों से परे हो जाएगी, तब हमें हर जीव में, हर व्यक्ति में, हर मनुष्य में भगवान के दर्शन होंगे।

भगवान कहीं बाहर नहीं हैं। सबके हृदय मंदिर में, इस मानव शरीर में ही भगवान नारायण विराजमान हैं।
‘सिया राम मय सब जग जानी’ – यह स्थिति तभी आती है जब हम पूरी श्रद्धा से भजन करें।
डटकर भजन करो, फिर यह दिव्य दृष्टि अपने आप मिल जाएगी।”
राधे राधे!🙏🙏
आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Spiritual Knowledge in Hindi
राधे राधे एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े
हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।