जब पति भक्ति में साथ न दे-When the husband does not support you in devotion
राधे राधे!🙏🙏
जब पति भक्ति में साथ न दे
महाराज जी! पति को धाम और संतों के प्रति श्रद्धा नहीं है। जबरदस्ती भक्ति मार्ग पर लाना संत-अपराध ना बन जाए
प्रणाम महाराज जी। मेरे पति को धाम और संतों के प्रति बहुत निष्ठा नहीं है, लेकिन जब वृंदावन की महिमा सुनती हूँ तो गुरु कृपा से मन में इच्छा होती है कि उन्हें समझा-बुझाकर ले आऊँ। परंतु मन में डर रहता है कि कहीं यह संत-अपराध या भगवत-अपराध न बन जाए। मुझे उन्हें लेकर आना चाहिए या नहीं?
महाराज जी ने कहा — हमें लगता है कि उनके लाने की चिंता तुम छोड़ दीजिए। आप भी उनकी अनुमति से ही आइए। अगर उनकी अनुमति नहीं है, तो मत आइए। वहीं से चिंतन कीजिए, वहीं सत्संग सुनिए, वहीं नाम-जप कीजिए। आपका भी मंगल होगा और आपके पति का भी मंगल होगा। पति की आज्ञा के विरुद्ध वृंदावन आने से हमें लगता है कोई लाभ नहीं मिलेगा।

अगर वो आपको मना नहीं करते हैं तो फिर आप आ सकती हैं। अगर कहते हैं कि तुम्हें जो भक्ति करनी है करो, हाँ ठीक है, नाम-जप भी करते हैं, लेकिन उनकी श्रद्धा नहीं बन पाती है संतों में, धाम में — कोई बात नहीं। धाम-संतों में अगर सदार नहीं भी है, पर नाम में हो जाए तो भी कल्याण संभव है। एक चादर है, इसको फैला देते हैं — इसके चार कोने हैं: एक धाम, एक नाम, एक रूप, और एक लीला। कोई एक कोना पकड़ लो, पूरा चादर आ जाएगा।
अगर उनके नाम में श्रद्धा है तो उनका परम मंगल हो जाएगा। उनके कल्याण में कोई बाधा नहीं पड़ेगी, आप चिंता मत कीजिए। वो नाम-जप करते रहें, इसी से मंगल हो जाएगा। और आप उनकी अनुमति से ही चलिए। अगर वो आज्ञा करते हैं तो वृंदावन आइएगा, कोई परेशानी नहीं है। वो तो आपको बहुत सपोर्ट करते हैं — कहते हैं कि आपको जो करना है करो, मेरी तरफ से कोई आपत्ति नहीं है। हाँ, बिल्कुल ठीक है, तो उनका बहुत अच्छा विचार है कि वो आपको भक्ति में बढ़ाने के लिए प्रेरणा भी दे रहे हैं और स्वयं भी भक्ति कर रहे हैं।
देखिए, कुछ ऐसी घटनाएं भारत में हो गई हैं जिनके कारण संतों के प्रति श्रद्धा बनाना बहुत कठिन हो गया है। कुछ सीरियल बन गए हैं, कुछ फिल्में भी बन गई हैं, जिनमें संतों की छवि बहुत ही गंदे स्वरूप में प्रस्तुत की गई है। लेकिन अगर नकली नोट है तो असली नोट भी जरूर होगा। अगर कृष्ण पक्ष है तो शुक्ल पक्ष भी होगा। अगर रात है तो दिन भी होगा।

तो संतो पर श्रद्धा — यह तो भगवान की कृपा से ही होती है। अभी संतो पर श्रद्धा थोड़ी टिकी है, नहीं तो सब कुछ मिट्टी में मिल गया होता। हमें लगता है कि श्रद्धा बच जाए — यही बहुत बड़ी बात है। संत, शास्त्र और भगवान — इन पर श्रद्धा मात्र हो जाए तो कार्य सिद्ध हो जाए। श्रद्धा नहीं होगी तो फिर कोई भी साधन सफल नहीं होगा। अगर वो नाम-जप कर रहे हैं, राधा नाम जप रहे हैं, कृष्ण नाम जप रहे हैं — तो उनकी श्रद्धा है, उनका मंगल हो जाएगा। आप उसकी चिंता ना करें।
राधे राधे!🙏🙏
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हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।