छोटे संस्कृत श्लोक-Small Sanskrit Shlokas
50 छोटे संस्कृत श्लोक और उनके हिंदी अर्थ
सत्य, धर्म और ज्ञान(1–10)
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सत्यं वद। — सत्य बोलो।
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धर्मं चर। — धर्म का पालन करो।
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सत्यं शिवं सुन्दरम्। — सत्य ही शुभ और सुंदर है।
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विद्या ददाति विनयं। — विद्या विनम्रता देती है।
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ज्ञानं परमं बलम्। — ज्ञान ही सबसे बड़ा बल है।
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धर्मो रक्षति रक्षितः। — जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
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श्रम एव जयते। — परिश्रम ही जीतता है।
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कर्म हीनं न जीवंति। — बिना कर्म के जीवित नहीं रह सकते।
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अविद्या मृत्युं शीलयति। — अज्ञान मृत्यु की ओर ले जाता है।
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विद्या अमृतं अश्नुते। — विद्या अमरत्व प्रदान करती है।

परिवार और समाज(11–20)
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वसुधैव कुटुम्बकम्। — पूरी पृथ्वी एक परिवार है।
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माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:। — धरती मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूँ।
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नास्ति मातृसमा छाया। — माँ की छाया जैसी कोई नहीं।
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पितृदेवो भव। — पिता को देवता मानो।
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मातृदेवो भव। — माँ को देवता मानो।
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गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णुः। — गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और शिव हैं।
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सर्वे भवन्तु सुखिनः। — सब सुखी हों।
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सर्वे सन्तु निरामयाः। — सब निरोगी हों।
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मित्रं यत्र विश्वासः। — जहाँ विश्वास है, वहीं मित्र है।
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परहितं परमं धर्मः। — दूसरों का भला करना सबसे बड़ा धर्म है।

नैतिकता और आचरण(21–30)
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अहिंसा परमो धर्मः। — अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है।
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क्षमा वीरस्य भूषणम्। — क्षमा वीर का आभूषण है।
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सत्यं हि परमं धनम्। — सत्य ही सबसे बड़ा धन है।
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लोभो विनाशकारणम्। — लोभ विनाश का कारण है।
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शुभस्य शीघ्रम्। — शुभ कार्य शीघ्र करो।
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संगच्छध्वं संवदध्वं। — साथ चलो, साथ बोलो।
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श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्। — श्रद्धावान व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है।
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दुर्जनः परिहर्तव्यः। — दुर्जन से बचना चाहिए।
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धैर्यं सर्वत्र साधनम्। — धैर्य हर जगह काम आता है।
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न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रम्। — ज्ञान से बढ़कर कुछ भी पवित्र नहीं।

प्रकृति और जीव(31–40)
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जलमेव जीवनम्। — जल ही जीवन है।
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वृक्षो रक्षति रक्षितः। — वृक्ष की रक्षा करने वाला सुरक्षित रहता है।
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भूतेषु दया सर्वत्र। — सभी प्राणियों पर दया करो।
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ग्रामो रक्षति रक्षितः। — गाँव की रक्षा करने वाला सुरक्षित रहता है।
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स्वच्छता सेवा धर्मः। — स्वच्छता सेवा ही धर्म है।
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अन्नं ब्रह्म इति। — अन्न ही ब्रह्म है।
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गोषु प्रेम। — गायों से प्रेम करो।
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भूमेः रक्षणम्। — धरती की रक्षा करो।
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वनं रक्षति रक्षितम्। — वन की रक्षा करने वाला सुरक्षित रहता है।
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सूर्यः सर्वस्य जीवनम्। — सूर्य सबका जीवन है।
प्रेरणा और आत्मबल(41–50)
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उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि। — परिश्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं।
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न हि परिश्रमानां फलम्। — परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता।
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साहसं लभते लक्ष्मीम्। — साहस से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
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बलवान् साधयति। — बलवान कार्य सिद्ध करता है।
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आत्मा बलं परं बलम्। — आत्मबल सबसे बड़ा बल है।
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संतोषः परमं सुखम्। — संतोष ही परम सुख है।
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मौनं सर्वार्थसाधनम्। — मौन कई कार्य सिद्ध करता है।
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कालः सर्वं भक्षयति। — समय सबको नष्ट करता है।
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यथा बीजं तथा फलम्। — जैसा बीज, वैसा फल।
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कर्मण्येवाधिकारस्ते। — कर्म में ही तुम्हारा अधिकार है।
आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक कहानियां | Spiritual Knowledge in Hindi
राधे राधे एक सच्ची कहानी। एक बार अवश्य पढ़े
हमारे शरीर और मानसिक आरोग्य का आधार हमारी जीवन शक्ति है। वह प्राण शक्ति भी कहलाती है।