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Toggleआलस्य की कहानी – गौतम बुद्ध
दोस्तो! एक बार एक व्यक्ति जो आलस्य से परेशान था, वह गौतम बुद्ध के पास आया और कहने लगा,
“बुद्ध, मेरे अंदर बहुत आलस्य है। इस आलस्य के कारण मैं अपने जीवन में वे काम नहीं कर पाता जो मैं करना चाहता हूं। यह आलस्य मुझे बहुत परेशान करता है। इसके कारण मैं अपने जीवन में प्रगति नहीं कर पा रहा हूं। कृपया मुझे इस आलस्य से छुटकारा पाने का कोई उपाय बताइए।”
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यह सुनकर गौतम बुद्ध मुस्कुराए और उस व्यक्ति से पूछा,
“तुम्हें कैसे पता कि तुम आलसी हो?”
वह व्यक्ति बोला, “बुद्ध, केवल मैं ही नहीं, बल्कि मेरा पूरा परिवार भी कहता है कि मैं एक आलसी व्यक्ति हूं।”
बुद्ध ने कहा, “क्या तुम यह प्रमाण दे सकते हो कि तुम आलसी हो?”
उस व्यक्ति ने कहा, “हां बुद्ध, मैं प्रमाण दे सकता हूं।”
बुद्ध बोले, “तो प्रमाण दो।”
उस व्यक्ति ने कहा, “बुद्ध, मैं जानता हूं कि सुबह जल्दी उठना मेरे स्वास्थ्य और मन दोनों के लिए लाभकारी है, लेकिन मेरा आलस्य मुझे सुबह जल्दी उठने नहीं देता।”
बुद्ध ने कहा, “ठीक है, लेकिन क्या तुम जानते हो कि आलस्य क्या है?”
वह व्यक्ति बोला, “बुद्ध, मुझे नहीं पता कि आलस्य क्या है, लेकिन जो भी है, वह बहुत खराब है।”
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बुद्ध ने कहा, “आलस्य एक मानसिक स्थिति है, एक भावना है, एक विचार है, जिसे हम मनुष्य जानबूझकर या अनजाने में अपने अंदर उत्पन्न करते हैं।”
वह व्यक्ति बोला, “लेकिन यह कैसे, बुद्ध?”
आलस्य के कारण
बुद्ध ने कहा, “सबसे पहले यह समझो कि आलस्य हमारे अंदर दो कारणों से उत्पन्न होता है। पहला कारण शारीरिक होता है और दूसरा मानसिक।”
1. शारीरिक आलस्य के कारण
- भोजन:
बुद्ध ने कहा, “जब हम ऐसा भोजन ग्रहण करते हैं जिसमें कोई जीवन नहीं होता, तो वह भोजन हमारे शरीर के लिए एक बोझ बन जाता है और यही आलस्य उत्पन्न करता है। हमारा शरीर भोजन से ऊर्जा प्राप्त करता है और हम जो भोजन करते हैं, हमारा शरीर वैसी ही ऊर्जा प्राप्त करता है। इसलिए यदि आलस्य से बचना है, तो ऐसे भोजन का सेवन करो जो आसानी से पच सके और जो प्रकृति से सीधे प्राप्त होता हो।” - गलत ढंग से चलना, बैठना और लेटना:
बुद्ध ने आश्रम के भिक्षुओं की ओर इशारा करते हुए कहा, “यदि तुम ध्यान से देखोगे, तो पाओगे कि इन भिक्षुओं के चलने, बैठने और लेटने के ढंग में एक विशेष प्रकार का संतुलन है। जब वे चलते हैं, तो उनके पैरों में समन्वय होता है। जब वे बैठते हैं, तो उनकी रीढ़ सीधी होती है और गर्दन हल्की ऊपर की ओर। जब वे लेटते हैं, तो उनका शरीर पूरी तरह से आराम की स्थिति में होता है। इसी कारण वे गहरी और आरामदायक नींद ले पाते हैं।”
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- पर्याप्त नींद न लेना:
व्यक्ति ने पूछा, “बुद्ध, क्या पर्याप्त नींद लेना भी उतना ही जरूरी है?”
बुद्ध ने कहा, “न कम और न ज्यादा, हमेशा पर्याप्त नींद लेना लाभदायक होता है। यदि तुम आज रात पर्याप्त नींद नहीं लोगे, तो कल पूरा दिन थकावट और सुस्ती से भरा होगा।” - सुबह जल्दी न उठना:
बुद्ध ने कहा, “जो लोग सुबह जल्दी नहीं उठ पाते, उनका दिन भी आलस्य से भरा रहता है। सुबह जल्दी उठने के लिए रात को जल्दी सोने की आदत डालनी होगी। आश्रम के भिक्षुओं को देखो, उन्होंने अपने सोने का एक निश्चित समय तय कर रखा है और इसी कारण वे हर सुबह जल्दी उठ पाते हैं।”
2. मानसिक आलस्य के कारण
- पुराने मिथक:
बुद्ध ने कहा, “जब हम खुद को किसी काम के लिए सक्षम नहीं मानते, तो आलस्य उत्पन्न होता है। यदि हमारा मन मान ले कि पिछले समय की तरह इस बार भी हम असफल होंगे, तो हम उस काम को करने में आलस्य करेंगे। हमें यह समझना चाहिए कि पिछले समय और इस समय में बहुत फर्क है। हमने अपनी पिछली हार से बहुत कुछ सीखा है। इसलिए मानसिक आलस्य से बचने के लिए सबसे पहले खुद पर विश्वास करना सीखो।” - गलत संगति:
बुद्ध ने कहा, “कई बार ऐसा होता है कि हम खुद आलसी नहीं होते, लेकिन कुछ आलसी और नकारात्मक लोगों की संगति में रहकर हम भी आलसी बन जाते हैं। इसलिए आलसी और नकारात्मक लोगों की संगति छोड़ दो।” - काम को टालने की आदत:
बुद्ध बोले, “काम को टालने की आदत आलस्य और मानसिक दबाव का सबसे बड़ा कारण है। यह आदत धीरे-धीरे स्थायी हो जाती है और एक ही आदत किसी भी व्यक्ति के जीवन को बर्बाद करने के लिए पर्याप्त है। इसलिए जो काम आज हो सकता है, उसे कभी भी कल पर मत टालो।” - लक्ष्य का अभाव:
बुद्ध ने कहा, “यदि आपके पास स्पष्ट लक्ष्य नहीं है, तो आलस्य आपको घेर लेता है।”
उदाहरण देते हुए बुद्ध ने कहा, “मान लो तुम एक बड़े रेगिस्तान में फंसे हो और तुम्हें प्यास लगी है। तो तुम क्या करोगे?”
व्यक्ति बोला, “मैं पानी खोजने की कोशिश करूंगा।”
बुद्ध ने कहा, “लेकिन यदि पानी न मिले तो?”
व्यक्ति बोला, “फिर भी मैं प्रयास करता रहूंगा, क्योंकि मेरे पास और कोई विकल्प नहीं होगा।”
बुद्ध ने कहा, “जहां स्पष्टता और उद्देश्य हो, वहां आलस्य टिक नहीं सकता।” - कोई महान उद्देश्य न होना:
बुद्ध ने कहा, “यदि किसी कार्य को करने के लिए तुम्हारे पास कोई बड़ा उद्देश्य नहीं है, तो आलस्य तुम्हें रोक सकता है।”
निष्कर्ष
दोस्तो! उस व्यक्ति ने कहा, “बुद्ध, अब मैंने आलस्य का पूरा खेल समझ लिया है।”
बुद्ध ने कहा, “हमेशा याद रखना, जहां स्पष्टता और करने का बड़ा उद्देश्य होगा, वहां आलस्य कभी नहीं टिकेगा।”
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