आध्यात्मिक प्रेरणा कहानी-भक्ति पर प्रेरणादायक कहानी
जब एक जिद्दी भक्त ने यह ठान लिया कि बिना भगवान की कृपा के वह अन्न का एक दाना भी नहीं खाएगा, तब भगवान ने ऐसी लीला रची। पढ़िए यह भावपूर्ण और हास्य से भरी प्रेरणादायक कथा जो आपको हँसाएगी भी और श्रीकृष्ण की असीम करुणा का अनुभव भी कराएगी। क्या वाकई भगवान अपने भक्त को भूखा नहीं रहने देते? जानिए इस सुंदर कथा में!
आध्यात्मिक प्रेरणा कहानी
एक समय की बात है। एक व्यक्ति ने ठान लिया कि वह भगवान की लीला को परखेगा। उनकी शक्तियों की परीक्षा लेगा। उसने सोच लिया कि जब तक स्वयं भगवान उसे खाना नहीं खिलाएंगे, वह कुछ भी नहीं खाएगा। उसने खाना पीना छोड़ दिया और अपने घर वालों की बात भी नहीं मानी। सबने उसको बहुत समझाया। उसके बच्चों ने भी उससे मिन्नते की, लेकिन वह बस एक ही बात कहता रहा कि अब देखता हूं भगवान मुझे कैसे खिलाते हैं।

वह जंगल चला गया और एक पेड़ के नीचे बैठ गया। वहीं बैठकर बार-बार बोलता “मैं नहीं खाऊंगा” जब तक भगवान मुझे खुद आकर नहीं खिलाएंगे, मैं कुछ भी नहीं खाऊंगा। तभी जंगल में एक बाघ आ गया और उसे देखकर दहाड़ने लगा। जान बचाने के लिए वह पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन फिर भी उसकी जिद्दी वही रही, मैं नहीं खाऊंगा। कुछ समय बाद कुछ लोग वहां पिकनिक मनाने आए। उन्होंने इस पेड़ के नीचे ढेर सारा स्वादिष्ट भोजन रखा और खेलने कूदने लगे।
मगर वह व्यक्ति पेड़ पर बैठा रहा, मन ही मन सोचता रहा, स्वयं भगवान क्यों नहीं आए। तभी अचानक कुछ डाकू वहां पहुंच गए। उन्होंने पिकनिक करने वालों पर हमला कर दिया। सभी लोग डर के मारे जंगल में इधर-उधर भाग खड़े हुए। लेकिन खाना वहीं रह गया। डाकू खाने को देखकर बोले वह यह तो बड़ा स्वादिष्ट भोजन लगता है लेकिन उनके सरदार को शक हुआ, इतना अच्छा खाना ऐसे ही पड़ा है। जरूर इसमें कोई चाल है। फिर उसने पेड़ की और देखा और पेड़ पर बैठे उसे व्यक्ति को देख लिया। डाकुओं का सरदार गरज अच्छा तो तू है वह जो हमें फसाने आया है।
और उसे पेड़ से नीचे खींच कर ले आए और बोले अच्छा तो तू है। तू पहले खाना खाएगा अगर तू सही सलामत बच गया तो, हम भी खाएंगे। बेचारा व्यक्ति डरा हुआ था। लेकिन फिर भी कहता रहा मैं नहीं खाऊंगा। डाकू और गुस्से में आ गए। उसे खूब पीटा और मजबूर किया कि वह खाना खाए। आखिरकार जब उसने खाया तो उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह रोते हुए बोला हे प्रभु आपकी लीला तो न्यारी है। आप चाहे तो कैसे भी खिला सकते हैं, चाहे डाकुओं से पिटवा कर ही सही। आज मैं समझ गया कि आप किसी को भूख नहीं रखते। आप सब की चिंता करते हैं। बस हमें भरोसा रखना चाहिए।
शिक्षा: भगवान की कृपा के रास्ते, हमें समझ नहीं आते लेकिन वह हमें कभी भी भूख नहीं रखते है। उनकी लीला में गहराई होती है और अगर श्रद्धा हो तो रास्ता खुद ही खुल जाता है।
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